मनमोहन सरकार के विकास दर को कम दिखाने पर राहुल का हमला, कहा, आंकड़ों की हेराफेरी में माहिर हैं पीएम मोदी

यूपीए कार्यकाल के दौरान हुए विकास दर को मोदी सरकार से कम दिखाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने एक कार्टून को ट्वीट कर कहा कि आंकड़ों की हेराफेरी में पीएम मोदी माहिर हैं।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए विकास दर को मोदी सरकार से कम दिखाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने एक कार्टून को ट्वीट कर कहा कि आंकड़ों की हेराफेरी में मोदी माहिर हैं।

बता दें कि बुधवार को केंद्र सरकार ने जीडीपी को लेकर पिछले 10 साल का डेटा जारी किया था। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि सरकार ने जीडीपी आंकड़ों को साल 2004-05 के आधार के बजाय वर्ष 2011-12 के आधार पर संशोधित किया है। इस संशोधन के बाद मनमोहन सरकार के शासन की विकास दर में 1 से 2 फीसदी तक की कमी आ गई है।

वैश्विक वित्तीय संकट के दौर में 2008-09 के वृद्धि दर के आंकड़ों को 3.9 से घटाकर 3.1 प्रतिशत किया गया है। 2009-10 के लिए इसे 8.5 से घटाकर 7.9 प्रतिशत और 2011-12 के लिए 6.6 से घटाकर 5.2 प्रतिशत किया गया है। मौजूदा आंकड़े अगस्त 2018 में जारी पुरानी सीरीज के आंकड़ों से पूरी तरह विरोधाभासी हैं। उस समय राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा नियुक्त वास्तविक क्षेत्र सांख्यिकी समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि यूपीए सरकार के कार्यकाल 2004-05 से 2013-14 के दौरान अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर मौजूदा सरकार के पिछले चार साल की औसत वृद्धि दर से अधिक रही है।

यूपीए शासन के दौर की विकास दर घटाए जाने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार और नीति आयोग पर हमला बोला था। कांग्रेस ने कहा था, “मोदी सरकार और इसकी कठपुतली नीति आयोग को लगता है कि दो और दो 8 होते हैं। यही इनका दिखावटीपन, चालबाजी, भ्रम फैलाने का कारोबार है, जिसे बैक डेटा के तौर पर बेचा जा रहा है”

वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार के इस कदम को भद्दा मजाक बताया। उन्होंने कहा था कि, “नीति आयोद द्वारा जारी संशोधित जीडीपी के आंकड़े किसी भद्दे मजाक की तरह हैं।”

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि, “नाकाम मोदीनॉमिक्स और पकौड़ा इकोनॉमिक विजन के चलते देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा चुकी है। एक तानाशाही प्रधानमंत्री और एक छद्म अर्थशास्त्री वित्त मंत्री द्वारा नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों ने आर्थिक उथल पुथल मचा रखी है।”

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