राहुल बोले- आरक्षण के खिलाफ हैं BJP-RSS, हम इसे नहीं होने देंगे खत्म, चाहे मोदी-भागवत कितना भी देखें सपना

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि एससी/एसटी के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं, क्योंकि यह मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एससी/एसटी के लोग सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दावा नहीं कर सकते।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

एससी/एसटी आरक्षण मुद्दे पर राहुल गांधी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा आरक्षण के खिलाफ है। वे कभी नहीं चाहते हैं कि एससी/एसटी प्रगति करे। वे संस्थागत ढांचे को तोड़ रहे हैं। मैं एससी/एसटी/ओबीसी और दलितों को बताना चाहता हूं कि हम आरक्षण को कभी खत्म नहीं होने देंगे चाहे मोदी जी या मोहन भागवत कितना भी बड़ा सपना देखें।”

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं, क्योंकि यह मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एससी/एसटी के लोग सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दावा नहीं कर सकते, यह राज्य सरकारों की इच्छा पर निर्भर करता है। कोर्ट के इस फैसले पर कांग्रेस पार्टी ने असहमति जताई है। राहुल गांधी का इशारा मोहन भागवत के उन बयानों की ओर था, जिसमें आरएसएस प्रमुख कई बार आरक्षण का विरोध कर चुके हैं।


रविवार को कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस प्रतिक्रिया दी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकल वासनिक ने मडिया से बात करते हुए का था, “हम इस फैसले से सहमत नहीं हैं। संविधान के जरिए जो अधिकार एससी/एसटी के लोगों को प्राप्त हुए, उन पर आम सहमति रही है। लेकिन, दुर्भाग्यवश आज की सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे व्यक्तियों के बयान वंचित और प्रताड़ित व्यक्तियों के अधिकारों पर संकट खड़ा करते रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी ने कुछ समय पहले आरक्षण पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य जी ने आरक्षण को खत्म करने की बात कही थी और इससे अलगाववाद फैलने की बात भी कही थी।”

वासनिक ने कहा, “खुद प्रधानमंत्री जी ने अपनी किताब में वाल्मीकि समुदाय को लेकर जो टिप्पणी की थी, उससे पूरा देश परिचित है। हमारा स्पष्ट मानना है कि एससी/एसटी के लोगों की सरकारी पदों पर नियुक्ति सरकारों के विवेक पर नहीं, बल्कि संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार रहा है।”

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Published: 10 Feb 2020, 11:51 AM
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