राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर साधा निशाना, बोले- उन्हें स्वीकार करना चाहिए कि ‘मेक इन इंडिया’ विफल है

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘प्रधानमंत्री जी, आपने अपने भाषण में 'मेक इन इंडिया' का जिक्र तक नहीं किया। प्रधानमंत्री को यह स्वीकार करना चाहिए कि 'मेक इन इंडिया' एक अच्छी पहल होने के बावजूद असफल है।"

राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा कि प्रधानमंत्री को स्वीकार करना चाहिए कि ‘मेक इन इंडिया’ विफल है।
राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा कि प्रधानमंत्री को स्वीकार करना चाहिए कि ‘मेक इन इंडिया’ विफल है।
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नवजीवन डेस्क

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ का उल्लेख तक नहीं किया, जबकि उन्हें स्वीकार करना चाहिए कि एक अच्छी पहल होने के बावजूद यह विफल है।

उन्होंने यह भी कहा कि उत्पादन और प्रौद्योगिकी के संदर्भ में चीन का मुकाबला करने के लिए दूरदर्शिता और रणनीति की जरूरत है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘प्रधानमंत्री जी, आपने अपने भाषण में 'मेक इन इंडिया' का जिक्र तक नहीं किया। प्रधानमंत्री को यह स्वीकार करना चाहिए कि 'मेक इन इंडिया' एक अच्छी पहल होने के बावजूद असफल है। विनिर्माण क्षेत्र में 2014 में सकल घरेलू उत्पाद 15.3 प्रतिशत था जो गिरकर 12.6 प्रतिशत हो गया है, यह पिछले 60 वर्षों में सबसे कम है।’’

उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं को नौकरियों की सख्त जरूरत है तथा हाल के समय में कोई भी सरकार, चाहे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) हो या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) इस राष्ट्रीय चुनौती का बड़े पैमाने पर सामना करने में सक्षम नहीं रही है।


कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमें इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि हमारे विनिर्माण क्षेत्र को किस चीज़ ने पीछे धकेल रखा है और इसे भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धी होने के लिए तैयार किया जाए। ’’

उन्होंने कहा कि भारत में उत्पादन के इस दृष्टिकोण में इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी, ऑप्टिक्स और एआई जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

राहुल गांधी के अनुसार, ‘‘यह हमारे विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने, अत्याधुनिक विनिर्माण क्षमता विकसित करने और हमारे लिए आवश्यक नौकरियां पैदा करने का एकमात्र तरीका है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चीन हमसे 10 साल आगे है और उसके पास एक मजबूत औद्योगिक प्रणाली है। यही बात उन्हें हमें चुनौती देने का आत्मविश्वास देती है। उनके साथ प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने का एकमात्र तरीका हमारी अपनी उत्पादन प्रणाली का निर्माण करना है और इसके लिए हमें दूरदर्शिता और रणनीति की आवश्यकता है।’’

पीटीआई के इनपुट के साथ

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