आरुषि हत्याकांड : शक के आधार पर बरी हुए तलवार दंपति, इसी आधार पर हुई थी सजा 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरुषि मर्डर केस मामले डॉ. राजेश और नूपुर तलवार को बरी कर दिया है। फैसले के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि तलवार दंपती को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

आरुषि तलवार की हत्या 16 मई 2008 को नोएडा में उसके घर में हुई थी। पांच साल चले केस के बाद सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने आरुषि के माता-पिता राजेश और नूपुर तलवार को उसकी हत्या का दोषी करार देते हुए उम्रकैद सुनाई थी। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को तलवार दंपति को बरी कर दिया। इस घटना में घर के नौकर हेमराज की भी हत्या हुई थी। सीबीआई कोर्ट ने कहा था कि घटना के वक्त के हालात और सबूत बताते हैं कि बाहर से कोई शख्स घर में नहीं आया। चार लोग घर में थे। दो (आरुषि और हेमराज) की लाशें मिलीं। बाकी दो (राजेश और नूपुर) सही-सलामत थे। कोर्ट ने कहा था कि हत्या के वक्त और बाद में जो भी परिस्थितिजन्य साक्ष्य यानी सबूत हैं उससे तलवार दंपति ही दोषी माने जा सकते हैं।

26 नवंबर, 2013 को राजेश और नूपुर को सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसके खिलाफ तलवार दंपति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। तलवार दंपति की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सात सितंबर को ही सुनवाई पूरी कर ली थी, लेकिन न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

आरुषि हत्याकांड में कब क्या हुआ ?

  • 16 मई, 2008 :आरुषि तलवार का शव उसके बेडरूम में मिला
  • 17 मई, 2008 : नेपाल के रहने वाले नौकर हेमराज का शव घर की छत पर मिला, उसी पर आरुषि की हत्या का आरोप राजेश तलवार ने लगाया था
  • 18 मई 2008: जांच में यूपी एसटीएफ को लगाया गया। पुलिस ने कहा कि दोनों कत्ल बेहद सफाई से किए गए थे। साथ ही, पुलिस ने माना कि हत्या में परिवार से जुड़े किसी शख्स का हाथ है
  • 19 मई, 2008: तलवार दंपति के पूर्व घरेलू नौकर विष्णु शर्मा पर भी पुलिस ने शक जताया
  • 21 मई, 2008: उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ ही दिल्ली पुलिस भी जांच में शामिल हुई
  • 22 मई, 2008: आरुषि की हत्या के ऑनर किलिंग होने का शक पुलिस ने जाहिर किया। इस पहलू से भी जांच शुरू की गई। पुलिस ने आरुषि के लगातार संपर्क में रहे एक नजदीकी दोस्त से भी पूछताछ की। इस दोस्त से आरुषि ने 45 दिनों में 688 बार फोन पर बात की थी
  • 23 मई, 2008 : पुलिस ने डॉ. राजेश तलवार को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया
  • 29 मई, 2008: जांच सीबीआई को सौंप दी गई
  • 01 जून, 2008 : सीबीआई ने जांच शुरू की
  • 03 जून, 2008: डॉ तलवार के कम्पाउंडर कृष्णा को पूछताछ के लिए सीबीआई ने हिरासत में लिया
  • 27 जून, 2008 : नौकर राजकुमार को भी हिरासत में लिया गया
  • 12 जुलाई, 2008 : नौकर विजय मंडल को भी गिरफ्तार किया गया और डॉ राजेश तलवार को जमानत मिली
  • 29 दिसंबर, 2010: सीबीआई ने केस में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। गाजियाबाद कोर्ट ने नौकरों को क्लीन चिट दी, लेकिन माता-पिता की भूमिक पर सवाल उठाए
  • 09 फरवरी, 2011: मामले में तलवार दंपति को आरोपी बनाया गया
  • 21 फरवरी, 2011: तलवा दंपति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने अपील खारिज कर दी और ट्रायल कोर्ट को इनके खिलाफ सुनवाई शुरू करने के आदेश दिए
  • 19 मार्च, 2011: तलवार दंपति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटायास लेकिन कोई राहत नहीं मिली
  • 11 जून, 2012: सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। इस मामले की सुनवाई जस्टिस एस लाल ने की
  • 26 नवंबर, 2013 : नूपुर और राजेश तलवार को उम्रकैद की सजा। जस्टिस एस लाल ने 208 पन्नों का फैसला सुनाया था
  • 21 जनवरी, 2014: नूपुर और राजेश तलवार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर कर सीबीआई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी
  • 19 मई, 2014: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति की जमानत की अर्जी खारिज कर दी
  • 11 जनवरी, 2017: इलाहाबाद में इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा
  • 7 सितंबर, 2017: इस तारीख को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में फैसला नहीं सुनाया और सुरक्षित रखा
  • 12 अक्टूबर, 2017: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति को हत्या के आरोप से बरी कर दिया

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