2017 में हुई बलात्कार की घटनाओं से उजागर हुआ महिला सुरक्षा के दावों का खोखलापन 

निर्भया कांड के बाद भी देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ खास नहीं बदला है। 2017 में महिलाओं के खिलाफ कई संगीन वारदातें हुईं, जिसने पीएम मोदी के ‘न्यू इंडिया’ के दावों की कलई खोलकर रख दी।

फोटो: सोशल मीडिया
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आईएएनएस

दिल्ली में निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा को लेकर देश में बड़े-बड़े वादे किए गए। महिलाओं के खिलाफ इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए 'सख्त कानून से लेकर पैनिक बटन' तक तमाम तरह के वादों की झड़ी लगा दी गई, लेकिन साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ कई संगीन वारदातें हुईं, जो हमें सोचने को मजबूर करती हैं और महिला सुरक्षा के इन खोखले वादों की पोल खोलती हैं। इस कड़ी में देश में बलात्कारों के उन पांच झकझोर देने वाली वारदातों का जिक्र किया गया है, जो पीएम मोदी के 'न्यू इंडिया' की सच्चाई की परतें खोलती हैं।

18 जून 2017 को एक रिपोर्ट जारी हुई, जिसमें बताया गया कि इस साल दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले घटे हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 31 मई 2017 तक दिल्ली में दुष्कर्म के 836 मामले दर्ज किए गए, जो 2016 की समान अवधि में 924 थे। 2017 की शुरुआत में यमुना एक्सप्रेस-वे पर जेवर-बुलंदशहर मार्ग पर चार महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले ने सबकी भौंहे तान दी थीं। कार में सवार एक परिवार जेवर से बुलंदशहर जा रहा था। रास्ते में कार का टायर पंक्चर होने पर ड्राइवर मदद मांगने के लिए कार से उतरा। इस दौरान छह लोगों ने रॉड, चाकू और बंदूक की नोक पर उन पर हमला किया और महिलाओं को पास की झाड़ी में खींचकर ले गए और उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया।

जेवर गैंगरेप कांड के बाद भी महिलाओं के खिलाफ अपराध का सिलसिला खत्म थमा नहीं। बलात्कार के दूसरे चर्चित मामले में दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर चलती कार में तीन लोगों ने सिक्किम की 26 वर्षीया महिला के साथ दुष्कर्म किया। महिला को रात दो बजे गुरुग्राम से अगवा किया गया था और पांच घंटे तक उसकी आबरू तार-तार किए जाने के बाद आरोपी पीड़िता को सड़क पर फेंककर फरार हो गए। बलात्कार की इन घटनाओं पर जब देश उबल रहा था, तो इसी बीच शिमला में एक स्कूली बच्ची के साथ दिल दहलाने वाली घटना हुई। 4 जुलाई 2017 को नाबालिग स्कूली छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। पीड़ित बच्ची शाम को स्कूल से घर लौट रही थी, लेकिन वह घर नहीं पहुंची। बच्ची की लाश दो दिन बाद कोटखाई के जंगल में मिली। इस मामले की जांच के लिए राज्य पुलिस की विशेष टीम भी गठित की गई। हालांकि, हिमाचल प्रदेश पुलिस ने मामले में 6 संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, जिसमें से एक की हिरासत में मौत हो गई थी। इस मामले को 'एक और निर्भया कांड' कहा गया।

इस साल चौथा चर्चित बलात्कार मामला गुरुग्राम का रहा। गुरुग्राम के मानेसर में 19 साल की युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म ने एक बार महिला सुरक्षा के खोखले दावों की पोल खोलकर रख दी थी। यह महिला अपने 8 महीने के बच्चे के साथ ऑटो से सफर कर रही थी कि ऑटो चालक और ऑटो में सवार दो अन्य लोगों ने मौका पाकर महिला के साथ बलात्कार किया। इस बीच जब बच्चा रोया, तो हैवानों ने गुस्से में आकर उसे सड़क पर फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

पांचवां मामला विशाखापट्टनम में सामने आया, जहां दिनदहाड़े सड़क किनारे एक महिला के साथ दुष्कर्म के मामले ने सभी के होश उड़ा दिए। इस मामले में समाज की संवेदनहीनता भी सामने आई, क्योंकि जिस वक्त एक शख्स शराब के नशे में चूर होकर खुलेआम महिला के साथ बलात्कार कर रहा था, उस वक्त सड़क पर काफी लोग आ-जा रहे थे। लेकिन किसी ने भी उसे रोकने की कोशिश नहीं की, बल्कि तमाशबीन बने रहे। इतना ही नहीं, कुछ लोग तो इस घटना का मोबाइल पर वीडियो भी बनाते दिखे।

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