हरियाणा में मोदी सरकार की ‘उज्जवला’ का हाल, बीपीएल सूची से लेकर कनेक्शन तक हर कदम पर हो रही है वसूली

उज्जवला योजना के तहत देश में छह करोड़ रसोई कनेक्शन मुफ्त में बांटने के मुकाबले आठ करोड़ लोगों को कनेक्शन देने का दावा करने वाली मोदी सरकार की इस योजना का जमीनी सच उतना उजला नहीं है। मोदी सरकार की यह योजना हरियाणा में भ्रष्टाचार का नया पिटारा बन गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

केंद्र की मोदी सरकार का पहला आधा हिस्सा उम्मीद जताती योजनाओं का रहा तो दूसरा इनकी कलई उतारने वाला। तमाम बड़ी-बड़ी योजनाएं लक्षित परिणाम पाने में विफल रहीं। लेकिन इसका संदेश लोगों के बीच काफी गलत गया। उन्हें लगा जैसे मोदी सरकार ने उनके साथ धोखाधड़ी कर दी है। बेशक, चुनावी समय में इसके सियासी निहितार्थ जो भी निकाले जाएं, इतना तो तय है कि इन योजनाओं के नाकाम रहने से आम लोगों में निराशा और खीझ है। मोदी सरकार की उज्जवला योजना की पड़ताल करती नवजीवन की श्रृंखला की इस कड़ी में पेश है हरियाणा में इस योजना की जमीनी हकीकत।

भ्रष्टाचार का नया पिटारा है मोदी सरकार की बहुचर्चित उज्ज्वला योजना। इस योजना के तहत देश में छह करोड़ रसोई कनेक्शन मुफ्त में बांटने के मुकाबले आठ करोड़ लोगों को कनेक्शन देने का दावा करने वाली इस योजना का जमीनी सच उतना उजला नहीं है। उज्ज्वला योजना के नाम पर भ्रष्टाचार की नई दुकानें खुल गई हैं। हालत ये है कि बीपीएल में शामिल करने के नाम पर लोगों से पैसे लिए जा रहे हैं। कहने के लिए तो रसोई गैस कनेक्शन फ्री में दिया जा रहा है, लेकिन बीपीएल सूची में नाम शामिल करवाने से लेकर कनेक्शन देने तक हर कदम पर वसूली की जा रही है।

हरियाणा में 15 जनवरी तक 6, 42, 346 रसोई गैस कनेक्शन बीपीएल परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत देने का दावा सरकार आधिकारिक वेबसाइट में कर रही है। मगर, जमीन पर हालात चौंकाने वाले हैं। बीपीएल परिवारों के लिए हो रहे सर्वे से ही भ्रष्टाचार की शुरुआत हो जाती है। सूची में नाम शामिल करने के लिए सौ रुपये लिए जा रहे हैं। बड़ी तादाद में ऐसी महिलाएं हैं, जिनका नाम बीपीएल सूची में होने के बावजूद उन्हें योजना का फायदा नहीं मिला।

हरियाणा की प्रशासनिक राजधानी का दर्जा प्राप्त और हिमाचल की पहाड़ियों की तलहटी में बसे खूबसूरत शहर पंचकूला में ही इस योजना का स्याह पक्ष बेपर्दा हो जाता है। पंचकूला की राजीव कॉलोनी की आबादी तकरीबन 30-35 घरों की है। यह एक स्लम बस्ती है। तंग और बदबूदार गलियां और झोपड़पट्टी नुमा छोटे-छोटे घर ही इस बात की तस्दीक करते हैं कि यहां रहने वाले परिवार गरीबी रेखा से नीचे होंगे। 25 साल से यहां राशन डिपो चला रही चंद्रकांती के पास 111 बीपील कार्ड वाले परिवार राशन लेते हैं। चंद्रकांती दावे से कहती हैं कि इन 111 में से दो परिवार भी ऐसे नहीं हैं, जिन्हें उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन मिला हो। केरोसिन तेल तो कई साल से उनके डिपो में नहीं आ रहा।

यहीं पर साधना नाम की महिला से भेंट हो जाती है। उन्होंने बताया कि उनका नाम बीपीएल सूची में था। लेकिन उनसे कह दिया गया कि उन्हें कनेक्शन नहीं मिलेगा। इसका कारण भी नहीं बताया गया। चार बच्चों की मां साधना दिहाड़ी मजदूर हैं और बड़ी मुश्किल से परिवार चलाती हैं। वहीं मिली 18 साल की लक्ष्मी ने बताया कि उनकी मां राजेश्वरी को योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला था, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते दोबारा वह सिलेंडर नहीं भरवा पाईं। राजेश्वरी नर्सरी में काम कर परिवार का गुजारा करती हैं।

परिवार की कमजोर आर्थिक हालत के चलते लक्ष्मी सातवीं के बाद स्कूल भी नहीं जा पाईं। लक्ष्मी भी दिहाड़ी कर परिवार को योगदान देती हैं। राजीव कॉलोनी में ही एक दूसरा राशन डिपो चला रही संगीता देवी ने बताया कि उनके यहां से 102 बीपीएल कार्ड धारी परिवार राशन लेते हैं। संगीता देवी ने भी विश्वास के साथ कहा कि इन परिवारों में से किसी को भी उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन नहीं मिला है। काफी खोजबीन के बाद हमें भी वहां ऐसा परिवार नहीं मिला। उनका कहना है कि ऐसा लगता है कि योजना कागजों में ही चल रही है।

फ्री में गैस कनेक्शन किसे दिए जा रहे हैं और बीपीएल परिवारों को देने के नाम पर कहां जा रहे हैं यह तो सरकार ही जाने। संगीता देवी ने बताया कि किरोसिन तेल तो तकरीबन चार साल से डिपो में नहीं आ रहा है। उन्होंने बताया कि ढाई किलो दाल कांग्रेस के शासन में मिलती थी, वह भी इस सरकार ने बंद कर दी है। संगीता देवी ने एक और ऐसा सच बताया जो इस सरकार की कलई खोल देता है। उन्होंने बताया कि पहले उनके डिपो के तहत 382 बीपीएल कार्डधारी परिवार होते थे, जो अब 102 रह गए हैं। बिना पूछे और बिना किसी सर्वे के सभी के नाम काट दिए गए।

संगीता ने बताया कि इनमें से कई परिवारों की हालत तो दयनीय है। कई सदस्य दिव्यांग हैं। कई महिलाएं विधवा हैं, लेकिन उनके नाम बीपीएल सूची से काट दिए गए हैं। यह सच उस पक्ष को उजागर करता है कि गरीबों की मदद करने की जगह कहीं सरकार गरीब को ही हटाने पर तो नहीं तुली है?

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