तमिलनाडु विधानसभा में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के खिलाफ प्रस्ताव पारित, CM स्टालिन बोले- ये लोकतंत्र के आधार के खिलाफ

सीएम स्टालिन ने कहा, "यह सम्मानित सदन केंद्र सरकार से 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' नीति को लागू नहीं करने का आग्रह करता है, क्योंकि भारत के संविधान में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का सिद्धांत लोकतंत्र के आधार के खिलाफ है।"

तमिलनाडु विधानसभा में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के खिलाफ प्रस्ताव पारित
तमिलनाडु विधानसभा में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के खिलाफ प्रस्ताव पारित
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नवजीवन डेस्क

तमिलनाडु विधानसभा ने बुधवार को मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा पेश किए गए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया और केंद्र से यह नीति नहीं लाने का आग्रह किया।

हालांकि, बीजेपी ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया, जबकि मुख्य विपक्षी दल एआईएडीएमके ने कहा कि वह दस वर्षों में अपनी दस मांगों के पूरा होने की स्थिति में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' नीति का समर्थन करेगी, जिसे तैयार करने की जिम्‍मेदारी तत्कालीन भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दी गई थी।

बीजेपी नेता वनाथी श्रीनिवासन ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा, 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर चिंताएं निराधार हैं और उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव अनावश्यक है। पीएमके विधायक सदन में मौजूद नहीं थे और डीएमके सहयोगी, कांग्रेस, वीसीके और वाम दलों ने मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन किया।

हालांकि, सदन ने सर्वसम्मति से एक दूसरा प्रस्ताव अपनाया, जिसमें केंद्र से 2026 के बाद जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन नहीं करने का आग्रह किया गया।


दोनों प्रस्ताव पेश करने वाले स्टालिन ने कहा, "यह सम्मानित सदन केंद्र सरकार से 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' नीति को लागू नहीं करने का आग्रह करता है, क्योंकि भारत के संविधान में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का सिद्धांत लोकतंत्र के आधार के खिलाफ है, अव्यावहारिक है और स्थापित नहीं है।"

उन्‍होंने कहा, "भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में जन-केंद्रित मुद्दों के आधार पर अलग-अलग समय पर स्थानीय निकायों, राज्य विधानसभाओं और संसद के चुनाव कराए जा रहे हैं और ये लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के विचार के खिलाफ हैं।"

मुख्यमंत्री ने दूसरा प्रस्ताव पेश करने के बाद सदन में कहा, “यह सम्मानित सदन यह भी आग्रह करता है कि तमिलनाडु जैसे राज्‍य को लोगों के लाभ के लिए 50 साल विभिन्न सामाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रमों और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए।”

प्रस्ताव में कहा गया है, “यदि अपरिहार्य कारणों से 1971 की जनसंख्या के आधार पर सीटों की संख्या में वृद्धि होती है, तो इसे राज्यों की विधानसभाओं और संसद के दोनों सदनों के बीच निर्वाचन क्षेत्रों के मौजूदा अनुपात के आधार पर बनाए रखा जाएगा।”

एआईएडीएमके ने दक्षिणी राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण उपायों और उत्तरी राज्यों में इसकी कमी की ओर इशारा करते हुए दूसरे प्रस्ताव का समर्थन किया। वनाथी श्रीनिवासन ने कहा कि बीजेपी परिसीमन पर प्रस्ताव में व्यक्त की गई चिंताओं को साझा करती है।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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