रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीज़ों के दाम आसमान पर, सात महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 3.58 फीसदी हो गई, जो सितंबर में 3.28 फीसदी थी।

फोटो: सोशल मीडिया 
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IANS

देश में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) का बढ़ना लगातार पांचवें महीने जारी है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में सीपीआई पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 3.58 फीसदी हो गई, जो सितंबर में 3.28 फीसदी थी। इससे पहले इस साल मार्च में यह 3.89 फीसदी के स्तर पर थी। वहीं सितंबर में यह 3.28 फीसदी थी। महंगाई के इस आंकड़े से आरबीआई को इसे चार फीसदी के दायरे में रखने की चुनौती और कठिन हो गई है।

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हालांकि, पिछले महीने सीपीआई महंगाई में गिरावट आई है, जो कि साल 2016 के अक्टूबर में 4.20 फीसदी दर्ज की गई थी, जबकि सितंबर में यह 1.25 फीसदी थी। शहरी क्षेत्रों में मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 3.81 फीसदी रही, जबकि ग्रामीण भारत में बढ़कर यह 3.36 फीसदी रही।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी सब्जियों, दुग्ध आधारित उत्पादों, अनाजों और मांस-मछली की कीमतों में हुई वृद्धि के कारण हुई है। आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टबूर में सब्जियों की कीमतें 7.47 फीसदी बढ़ गईं, जबकि दुग्ध आधारित उत्पादों की कीमतें बढ़कर 4.30 फीसदी रही। इस दौरान अनाजों की कीमत में कमी आई और यह 3.68 फीसदी पर रही, जबकि मांस-मछली की कीमतें बढ़ी और यह 3.12 फीसदी पर रही।

भारतीय स्टेट बैंक समूह की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष ने एसबीआई की इकोफ्लैश रिपोर्ट में कहा, "इस साल सितंबर में खाद्य पदार्थ, ईधन और आवास की कीमतों से तुलना करने पर मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जबकि खाद्य पदार्थो की मुद्रास्फीति बढ़ाने में सबसे ज्यादा योगदान सब्जियों, दूध और दुग्ध उत्पादों का है।’’ उन्होंने कहा, "कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से ईंधन की महंगाई दर बढ़कर 6.36 फीसदी हो गई, जो कि पिछले महीने 5.56 फीसदी थी। हालांकि सरकार द्वारा उत्पाद कर में कटौती की घोषणा के बाद ईधन की कीमतों में कमी आई है।"

एंजल ब्रोकिंग के शोध विश्लेषक जयकिशन जे परमार ने कहा, "पहली बात, सीपीआई मुद्रास्फीति आरबीआई के सुविधा क्षेत्र चार फीसदी के भीतर ही है। दूसरी बात, जीएसटी परिषद ने नाटकीय ढंग से जीएसटी दरों में कटौती की है। इससे आनेवाले महीनों में मुद्रास्फीति पर प्रभावशाली असर होगा। हालांकि, आरबीआई ब्याज दरों के बारे में फैसला फेड रिजर्व के कदमों के हिसाब से ही करेगी।"

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा, "आनेवाले महीनों में महंगाई और बढ़ेगी, जिसकी वजह तेल की बढ़ती कीमतें और घरेलू खर्च में की जानेवाली वृद्धि होगी। किसानों को ऋण छूट और राज्य सरकार के कर्मचारियों का वेतन भत्ता बढ़ने से घरेलू खर्च में वृद्धि होगी।"

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Published: 14 Nov 2017, 12:58 PM