सीबीआई में घमासान: एजेंसी ने अपने ही नंबर-2 के खिलाफ दर्ज की एफआईआर, करोड़ों की रिश्वत लेने का आरोप

सीबीआई का घमासान अब खुलकर सामने आ गया है। करोड़ों रुपए के घूसखोरी मामले में सीबीआई ने अपने ही नंबर अधिकारी राकेश आस्थाना का नाम एफआईआर में शामिल किया है। उन पर जांच के दौरान रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई ने अपने ही शीर्ष नंबर दो अफसर को घूसखोरी के मामले में आरोपी बनाया है। सीबीआई ने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना का नाम उस एफआईआर में शामिल किया है जो उसने बीते सप्ताह यानी 16 अक्टूबर को दर्ज की है। एफआईआर में अस्थाना के अलावा देश की इंटेलिजेंस एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ के स्पेशल डायरेक्टर समंत कुमार गोयल का नाम भी शामिल है।

द संडे एक्स्प्रेस की खबर के मुताबिक एफआईआर में अस्थाना को मुख्य आरोपी माना गया है। उन पर कथित तौर पर एक कारोबारी से घूस लेने का आरोप है। खास बात है कि अस्थाना की अगुवाई वाली स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी ही मोइन कुरेशी भ्रष्टाचार मामले में उस कारोबारी को लेकर पूर्व में जांच कर चुकी है।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने इस मामले में टेलीफोन बातचीत, व्हाट्सऐप संदेश, पैसे के आवागमन की जानकारी और बयान मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए हैं। सीबीआई ने इससे पहले 21 सितंबर को कहा था कि, “इस बारे में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को सूचना दे दी गई है कि हम भ्रष्टाचार के छह मामलों में अस्थाना को लेकर जांच कर रहे हैं।” इंडियन एक्प्रेस के मुताबिक सीबीआई ने यह भी बताया कि अस्थाना, सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे थे और अधिकारियों को धमकाते थे कि वह वर्मा के खिलाफ सीवीसी में शिकायत भेज देंगे।

इसके जवाब में आस्थाना ने सरकार को दी लिखित शिकायत में कहा था कि, सीबीआई डायरेक्टर उनके कामकाज में रुकावट डाल रहे हैं, जांच-पड़ताल में दखल दे रहे हैं और उनकी छवि खराब कर रहे हैं।

दरअसल सीबीआई ने दुबई के एक बिचौलिये मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया था। उसे हैदराबाद के कारोबारी सना सतीश की शिकायत पर पकड़ा गया था। इसके बाद ही राकेश आस्थाना का नाम जांच में शामिल किया गया था। सीबीआई की एसआईटी टीम उन्हीं को लेकर कुरेशी भ्रष्टाचार मामले में जांच कर चुकी है।

गौरतलब है कि कुरेशी के यहां फरवरी 2014 में आयकर विभाग ने छापा मारा था। अधिकारियों को तब उनके ब्लैकबेरी मेसेंजर (बीबीएम) में पूर्व सीबीआई डायरेक्टर एपी सिंह के साथ बातचीत मिली थी, जिसके बाद सिंह को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के सदस्य पद से से बतौर सदस्य इस्तीफा देना पड़ गया था।

इसके तीन साल बाद फरवरी 2017 में सीबीआई ने एक केस दर्ज किया। ये उन कई मामलों में से एक था जिसकी जांच राकेश आस्थाना की अगुवाई वाली एसआईटी कर रही थी। इस मामले की जांच में सतीश ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था जिसमें उसने राकेश आस्थाना और अन्य का नाम लिया था। उसने बताया था कि उसने दस महीने के दौरान 3 करोड़ रुपए रिश्वत के रूप में दिए थे।

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