सबरीमाला केस: अब 7 जजों की बेंच करेगी सुनवाई, फिलहाल मंदिर में जारी रहेगी महिलाओं की एंट्री

सबरीमाला पुनर्विचार याचिका में 5 जजों में से सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस खानविलकर ने बहुमत में फैसला दिया है। जबकि जस्टिस फली नरीमन और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने अलग से इस निर्णय के खिलाफ अपना फैसला दिया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा है। अब 7 जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। अभी इस मामले की सुनवाई 5 जजों की बेंच कर रही थी, जिसमें 2 जजों के असहमति के बाद मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा गया है।

सबरीमाला पुनर्विचार याचिका में 5 जजों में से सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस खानविलकर ने बहुमत में फैसला दिया है। जबकि जस्टिस फली नरीमन और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने अलग से इस निर्णय के खिलाफ अपना फैसला दिया है। सबरीमाला मामले पर फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस सबरमाला मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा।


गौरतलब है कि 28 सितंबर 2018 में उस समय के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने मंदिर के अंदर सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को इजाजत दी थी। कोर्ट के इस फैसले के बाद पूरे केरल में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। कोर्ट ने 4:1 की सहमति से यह फैसला सुनाते हुए विशेष उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाने को पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक करार दिया था। इस बार भी गुरुवार को कोर्ट का फैसला आने से पहले राज्य को हाई अलर्ट पर रखा गया था।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सबरीमला मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया था। बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 25(1) सभी नागरिकों को अपने धर्म को मानने का समान अधिकार देता है।


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सबरीमाला मामले में 48 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गयी थीं. फरवरी 2019 में जीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के बाद पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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