मोदी सरकार की ‘सौभाग्य’ योजनाः उत्तर प्रदेश में लक्ष्य पूरा करने के लिए एक ही घर में दिखा दिए कई कनेक्शन

पीएम मोदी ने जब घर-घर बिजली पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना ‘सौभाग्य’ की घोषणा की तो लोगों के मन में उम्मीद जगी कि अब उनके घरों में रौशनी पहुंचेगी। लेकिन हकीकत यह है कि इस योजना का भी वही हाल हुआ है जो मोदी राज की अन्य बड़ी योजनाओं का है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घर-घर बिजली पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना 'सौभाग्य' की जब घोषणा की तो उन्होंने पूर्व कांग्रेस सरकारों पर कटाक्ष किया कि आजादी के इतने सालों बाद भी वह लोगों को बिजली जैसी बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध नहीं करा सकी। लोगों के मन में उम्मीद भी जगी कि अब उन्हें केरोसिन वगैरह से छुटकारा मिल जाएगा। अब सरकार दावा करती है कि हर घर में बिजली देने का लक्ष्य सौ फीसदी पा लिया गया है। लेकिन हकीकत यह है कि इस योजना का भी वही हाल है जो मोदी की अन्य बड़ी योजनाओं का है। देश के विभिन्न भागों की पड़ताल से पता चला कि सैकड़ों ऐसे गांव हैं जहां बिजली के खंभे नहीं डाले गए। सैकड़ों ऐसे गांव हैं जहां खंभे लगाए तो गए लेकिन तार नहीं डाला। और सैकड़ों ऐसे गांव मिले जहां खंभे और तार तो हैं लेकिन बिजली नहीं आती। इस योजना की जमीनी हकीकत से पाठकों को बाखबर करने के लिए नवजीवन एक श्रंखला शुरू कर रहा है, जिसकी पहली कड़ी में आज उत्तर प्रदेश में इस योजना की जमीनी सच्चाई पेश की जा रही है।

उत्तर प्रदेश में लक्ष्य हासिल करने के लिए एक ही घर में दिखा दिए कई कनेक्शन

घर-घर नि शुल्क बिजली पहुंचाने के पीएम नरेंद्र मोदी संग सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के दावे और हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर है। हकीकत यह है कि कहीं खंभे गिरे हुए हैं तो कहीं तार ही नहीं। मीटर लग गया तो खंभा गायब। आठ महीने बाद भी लाइन मैन का इंतजार तो कहीं लक्ष्य पूरा करने को एक ही घर में दो-दो कनेक्शन। गांव-गांव उजियारे के शोर के बीच ग्रामीणों के पास सरकार के साथ ही बिजली विभाग के अफसरों के लिए दर्जनों सवाल हैं।

गेम-चेंजर मानी जा रही केंद्र सरकार की सौभाग्य योजना को लेकर प्रदेश के हर जिले, तहसील, ब्लॉक में ग्रामीणों के बीच दर्जनों अनसुलझे सवाल हैं। लालटेन और ढिबरी के सहारे जिंदगी की दुश्वारियों से दो-चार हो रहे लोगों की उम्मीदों से खिलवाड़ किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री के ही गृह जिले गोरखपुर के भटहट ब्लॉक के ग्राम जंगल डुमरी नंबर दो के मोहम्मदपुर टोला की दलित बस्ती में आजादी के छह दशक बाद भी 20 से अधिक परिवारों को रोशनी का इंतजार है। हालांकि, फाइलों में इनके घर सौभाग्य योजना से रौशन हो चुके हैं। गांव के राजकुमार, राजेंद्र, विजयलक्ष्मी और अनूपा देवी आदि बताते हैं कि अफसर सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं। अखबार वाले आए तो अफसरों ने खंभे, तार गिरा दिए लेकिन घरों में बिजली नहीं पहुंची।

वहीं, सरदारनगर ब्लॉक के बिलारी खास गांव के बड़का टोले के दर्जन भर परिवारों को रोशनी का सौभाग्य नहीं मिला। गांव की सरस्वती देवी कहती हैं कि कनेक्शन को लेकर आठ महीने पहले अफसरों ने सर्वे के दौरान चंद दिनों में बिजली देने का वादा किया था। वहीं, छात्र आदित्य कहते हैं कि मोबाइल चार्ज कराने के लिए भी दूसरे टोले में जाना पड़ता है। दिलचस्प यह है कि लक्ष्य पूरा करने के लिए अफसरों ने जिन घरों में पहले से कनेक्शन है, वहां भी जबरन कनेक्शन दे दिया है।

बस्ती जिले में सर्वे के बाद 1 लाख 78 हजार घरों में बिजली कनेक्शन नहीं होने की बात सामने आई थी, लेकिन अफसरों ने कागजी सक्रियता से 2 लाख से अधिक घरों में कनेक्शन दे दिया। अब शासन स्तर पर कनेक्शनों की हकीकत जांची जा रही है। अफसरों के लक्ष्य के चक्कर में फंसी गोरखपुर जिले की गुलरिहा निवासी ज्ञानमती देवी कहती हैं कि जिम्मेदारों ने लक्ष्य के चक्कर में कई ग्रामीणों का भाग्य ही बिगाड़ दिया। चार साल पहले बिजली का कनेक्शन लिया था। आठ महीने पहले मीटर लगाने के नाम पर कागजात लेते गए। अब नए कनेक्शन पर 12 हजार और पुराने पर 26 हजार रुपये का बिल आया है। बिल सुधार को लेकर चक्कर काट रहे हैं। सौभाग्य योजना के नोडल अफसर अधीक्षण अभियंता एके श्रीवास्तव का तर्क है कि ‘पुराने कनेक्शन का बिल नहीं देना पड़े इसलिए ग्रामीणों ने सौभाग्य के तहत कनेक्शन ले लिया।‘

लक्ष्य घटाकर लूट रहे वाहवाही

सितंबर 2017 में केंद्र सरकार ने जब सौभाग्य योजना शुरू की थी तो उत्तर प्रदेश में 1.98 करोड़ घरों में बिजली कनेक्शन नहीं होने की बात सामने आई थी। सौभाग्य योजना की वेबसाइट के आंकड़े तस्दीक करते हैं कि 100 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। यूपी के 75 जिलों में 11 अक्तूबर 2017 से अब तक 74,79267 कनेक्शन हो चुके हैं। सवाल है कि जब 1.98 करोड़ घर बिना कनेक्शन वाले थे तो लक्ष्य 74 लाख ही क्यों?

दरअसल, योजना को मॉनीटर कर रहे केंद्र के अधिकारियों को जब यह मालूम हुआ कि लक्ष्य हासिल करने के लिए रोज साठ हजार घरों तक बिजली पहुंचानी होगी तो लक्ष्य ही घटा दिया गया। ऐसे में प्रदेश सरकार ने ना सिर्फ 31 दिसंबर 2918 तक लक्ष्य पूरा कर लिया, बल्कि इसके लिए 1,500 करोड़ रुपये का बोनस भी ले लिया। प्रदेश सरकार एक तरफ लक्ष्य पूरा होने का दावा कर रही है, वहीं कई जगहों पर समय सीमा 31 मार्च 2019 तक बढ़ा दी गई है। बता दें कि 7100 करोड़ रुपये खर्च कर जहां बीपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया जाना है तो वहीं अन्य परिवारों को 10 मासिक किस्तों में 500 रुपये के भुगतान पर योजना का लाभ दिया जाना है।

मीटर और तार दिया पर बिजली कनेक्शन नहीं

लखीमपुर के गांव बिझौली में बिजली निगम ने कैंप लगाकर निशुल्क कनेक्शन जारी किया था। बि जली निगम के अफसर मीटर, तार देकर कनेक्शन देना भूल गए। मितौली के कमलेश सिंह और जानकी के घर में भी मीटर लगाकर छोड़ दिया गया। कौशाम्बी जिले के सिंधि या गांव की चौरा देवी और अमरनाथ के घर पिछले वर्ष मई महीने में कनेक्शन लगा था। बिजली निगम द्वारा भेजे गए 5 लाख के बिल को देख दोनों के होश उड़े हुए हैं।

महराजगंज के बृजमनगंज ब्लॉक के नैनसर के ग्रामीणों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। ट्रांसफॉर्मर, खंभा, तार होने के बाद भी घरों में कनेक्शन नहीं पहुंचा है। जबकि गांव के जाकिर अली, साबिर अली, सब्बीर अली और अख्तर आदि के नाम से बीते वर्ष 14 मार्च को कनेक्शन के लिए पर्ची कटी हुई है। योजना के अंतर्गत 14 मार्च 2018 में कनेक्शन दिया गया है लेकिन अभी तक इनके टोले तक खंभा और तार भी नहीं पहुंचा।

जाकिर अली का कहना है कि बीते 27 जनवरी को खंभे और तार लगा दिए गए, लेकिन अभी तक कनेक्शन नहीं जुड़ा है। अधिकारी कह रहे हैं कि बिजली का बिल मीटर की रसीद कटने की तिथि 14 मार्च 2018 से ही देना होगा। ग्राम प्रधान राजिया बेगम के पति अफजल हुसैन ने बताया कि गांव में 41 कनेक्शन ही जुड़ सके हैं। हरसहायपुर टोले में चार घरों की आपूर्ति नहीं बहाल हुई है। अधिकारी कह रहे हैं कि योजना की शर्तों के मुताबिक छह कनेक्शन होने की स्थिति में खंभा लगेगा, तभी बिजली की आपूर्ति बहाल होगी।

पेड़ पर लगाया मीटर

गोंडा में बिजली विभाग का कारनामा सुर्खियों में है। 31 दिसंबर, 2018 तक लक्ष्य पूरा करने के चक्कर में अफसरों ने बाबा कुट्टी गांव में झोपड़ी में रहने वाली सावित्री देवी को भी कनेक्शन दे दिया। उसके बाद मीटर को झोपड़ी के सामने आम के पेड़ पर लटका दिया। शॉर्ट सर्किट का भय जताकर महिला अफसरों से मिली तब मीटर को व्यवस्थित किया गया।

(गोरखपुर से पूर्णिमा श्रीवास्तव की रिपोर्ट)

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