गौ-रक्षकों की हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, राज्यों को कार्रवाई करने को कहा

गौ-रक्षा के नाम पर गुंडागर्दी और हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि इस तरह की हिंसा के शिकार लोगों को मुआवजा देने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।

सुप्रीम कोर्ट/ फाइल फोटो
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नवजीवन डेस्क

गौ-रक्षा के नाम पर गुंडागर्दी और हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्यों को पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए कहा है। अदालत ने कहा कि इस तरह की हिंसा के शिकार लोगों को मुआवजा देने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। साथ ही अदालत ने इस तरह की हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किये जाने की भी जरूरत बताई है।

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को गौ-रक्षकों द्वारा पहलू खान की हत्या के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस साल अप्रैल में अपने बेटों के साथ मवेशियों को हरियाणा से राजस्थान के जयपुर ले जाने के दौरान कथित गौ-रक्षकों ने पहलू खान की पीटकर हत्या कर दी थी। हालांकि, हाल ही में राजस्थान पुलिस ने पहलू खान की हत्या मामले में 6 आरोपियों को क्लीनचिट दे दी है। मौत से पहले खुद पहलू खान ने इन सभी आरोपियों की पहचान की थी।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि कहा कि राज्य गौरक्षक समूहों की ज्यादतियों का शिकार हुए पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए बाध्य हैं। कोर्ट ने कहा, ‘पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए। पीड़ितों को मुआवजा देना राज्यों के लिए अनिवार्य है।’ पीठ ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत राज्य पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना बनाने के लिए बाध्य है और अगर उन्होंने ऐसी कोई योजना नहीं बनाई है तो जरूर बनाएं।

इस संबंध में एक याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सर्वोच्च अदालत से गौरक्षकों की हिंसा के शिकार लोगों को मुआवजे दिए जाने का आग्रह किया।जयसिंह ने कहा कि इस तरह के अपराध को रोकने के लिए राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए। इन याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी अदालत को बताया कि गौरक्षा के नाम पर अपराधी जमानत पर रिहा होने के दौरान पीड़ित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई और उसका उत्पीड़न किया गया।

अपने पिछले आदेश पर अमल को लेकर सभी राज्यों से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा। गुजरात, राजस्थान, झारखंड, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने शुक्रवार को अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी है। कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को गौ-रक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिए जल्द से जल्द नोडल अधिकारी की नियुक्ति कर रिपोर्ट फाइल करने को कहा है। मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 31 अक्टूबर तय की गई है।

जनहित याचिकाओं में गौ-रक्षा के नाम पर बने अलग-अलग संगठनों पर प्रतिबंध की मांग की गई है। याचिका में देश भर में दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ गौ-रक्षा के नाम पर लगातार हो रही हिंसा रोकने के लिए भी कहा गया है। याचिका में कोर्ट को यह भी बताया गया है कि कुछ राज्यों में गौ-रक्षक दलों को सरकारी मान्यता मिली हुई है, जिसे समाप्त किया जाना चाहिए। याचिका में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के उस कानून को असंवैधानिक करार देने की गुहार लगाई गई है, जिसके तहत गौ-रक्षा के लिए निगरानी समूहों के पंजीकरण का प्रावधान है।

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Published: 22 Sep 2017, 3:26 PM