शपथ लेने के 6 महीने बाद योगी आदित्यानाथ को याद आई पिछली सरकारों की कमियां!

अपनी सरकार के 6 महीने होने पर जब कोई सरकार अपनी उपलब्धियों पर बात करने की बजाय पिछली सरकारों की नाकामियां गिनाए तो इसका अर्थ है कि वह सरकार विफल है और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रही है।

योगी आदित्यनाथ/फोटोः getty images
योगी आदित्यनाथ/फोटोः getty images
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बिश्वजीत बनर्जी

अपनी सरकार के 6 महीने पूरे होने पर जब कोई सरकार अपनी उपलब्धियों पर बात करने की बजाय पिछली सरकारों की नाकामियां गिनाए तो इसका साफ अर्थ है कि वह सरकार विफल हो गई है और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रही है।

18 सितंबर को अपने कार्यकाल के 6 महीने पूरे करने वाली योगी सरकार ने सोमवार को कुछ ऐसा ही किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े जोश और प्रसन्नता के साथ बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टियों की पिछली सरकारों के कुशासन और भ्रष्टाचार पर श्वेत पत्र जारी किया और कहा कि उन्हें खस्ता वित्तीय हालत वाली दीमक चाट चुकी व्यवस्था विरासत में मिली है।

योगी ने 19 मार्च 2017 को शपथ लिया था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि महज 6 महीने पहले 403 में से 325 सीट हासिल कर विशाल बहुमत से चुनाव जीतने वाली सरकार आज भी प्रशासनिक स्तर पर विफल क्यों साबित हो रही है। बीजेपी नेताओं ने सरकार में आने पर 100 दिनों में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने, स्वास्थ्य सुविधा को तीन महीने में बेहतर करने और 1 महीने में अबाध जल आपूर्ति करने के बड़े-बड़े वादे किये थे। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अचानक से इन मुद्दों पर अपना मुंह ऐसे बंद कर लिया है कि मानों वे लोगों को अपनी उपलब्धियों के बारे में भी नहीं बता सकते।

इस पत्रकार ने जब योगी से सवाल किया कि पिछली सरकारों के असफल रहने पर जब लोगों ने बीजेपी को वोट दिया था तो फिर क्यों उनकी सरकार ने पिछली सरकारों के कामकाज पर श्वेत पत्र जारी किया, तो उन्होंने कहा, ‘पिछली सरकार से मिली विरासत के बारे में आपको बताने के लिए मैं आज यह श्वेत पत्र जारी कर रहा हूं। मैं एक-दो दिनों में अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में आपको जानकारी दूंगा।’

एक अन्य पत्रकार ने उनके 6 महीने के कार्यकाल में सामने आई चुनौतियों के बारे में जब पूछा तो उन्होंने कहा, ‘जब मैं अपनी उपलब्धियों के बारे में बात करूंगा तब आप लोगों को उन चुनौतियों के बारे में बताऊंगा।’

योगी सरकार के श्वेत पत्र में 2003-04 से 2016-2017 के दौरान राज्य की बसपा और सपा सरकारों के दौर में राज्य की खस्ता वित्तीय हालत की चर्चा की गई है। लेकिन इसमें 1997 से 2002 तक का कोई जिक्र नहीं है जब बीजेपी सत्ता में थी और इस दौरान कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे। इस बारे में सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री की कमजोरी जाहिर हो गई, इस पर उन्होंने कहा, ‘अगर आप उस समय की वित्तीय हालत देखना चाहते हैं तो मेरी सरकार आपको वह भी उपलब्ध करा सकती है। लेकिन आज जारी श्वेत पत्र सिर्फ बसपा और सपा कार्यकाल के बारे में है।’

24 पन्ने के श्वेत पत्र में पीडब्ल्यूडी, गन्ना और चीनी का विकास, स्वास्थ्य, राजस्व, शिक्षा और पुलिस समेत अलग-अलग विभागों के भ्रष्टाचार का जिक्र किया गया है। इसमें उस दौर की खराब कानून-व्यवस्था का भी जिक्र किया गया है जब पुलिस एफआईआर तक दर्ज नहीं किया करती थी।

विपक्ष ने योगी सरकार पर हमला करने के लिए इस श्वेत पत्र का उपयोग हथौड़े के तौर पर किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माहरूफ खान ने कहा, ‘मुख्यमंत्री पीछे देखने वाले शीशे में देखकर सरकार चला रहे हैं। इस सरकार के पास जनता को बताने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है, इसलिए वह सिर्फ पिछली सरकारों की विफलताओं के बारे में बात कर रहे हैं।‘

सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने योगी को बीजेपी सरकार के पहले 6 महीनों की तुलना अखिलेश के 6 महीने से करने की चुनौती देते हुए कहा, ‘हमने उस अवधि में कई योजनाओं की शुरुआत की, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और जनेश्र्वर मिश्र पार्क के निर्माण यह में साफ नजर आती हैं। जबकि योगी सरकार ने इस अवधि में कुछ भी नहीं किया है।’

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