‘बोल के लब आज़ाद हैं तेरे’ नारे के साथ ‘शाहीन बाग’ पहुंचा पंजाब का ‘काफिला’

पंजाब से शाहीन बाग के लिए निकले लोग प्रदर्शनकारियों के लिए लंगर की रसद लेकर गए हैं। आटा, चावल, चीनी और सब्जी की यह रसद आसपास के गांवों से इकट्ठा की गई है। काफिले में शामिल नजर सिंह ने बताया कि वे वहां लंगर लगाने के लिए कई दिन का राशन साथ लेकर जा रहे हैं।

फोटोः अमरीक
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अमरीक

विभिन्न जन आंदोलनों में बढ़-चढ़कर शिरकत करने वाले पंजाब के मालवा इलाके के सैकड़ों लोग छह बसों में सवार होकर दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले 30 दिनों से प्रदर्शन पर बैठी बहनों के समर्थन के लिए पहुंचे हैं। यह काफिला मंगलवार को बठिंडा से दिल्ली के लिए निकला था और देर रात प्रदर्शन स्थल पर पहुंचा। भारतीय किसान यूनियन, पंजाब खेत मजदूर यूनियन और नौजवान भारत सभा की संयुक्त अगुवाई में यह जत्था आया है। बसों का बंदोबस्त भी इन्हीं संगठनों ने अपने चंदे की मद में से किया है। जिन्हें बसों में जगह नहीं मिली, वे ट्रेन के जरिए दिल्ली पहुंचे हैं।

खास बात यह है कि पंजाब से दिल्ली के शाहीन बाग पहुंचे लोग यहां संघर्ष कर रहे लोगों के लिए लंगर की रसद लेकर गए हैं। आटा, चीनी, सब्जियों और चावल की यह रसद बड़े पैमाने पर पंजाब के गांवों से इकट्ठा की गई है। लंगर पंजाब की पुरानी रिवायत है। काफिले के साथ पहुंचे नजर सिंह ने बताया कि वे लोग कई दिनों का राशन साथ लेकर आए हैं और यहां पूरा लंगर लगाएंगे।

‘बोल के लब आज़ाद हैं तेरे’ नारे के साथ ‘शाहीन बाग’ पहुंचा पंजाब का ‘काफिला’

राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग और अन्य जगहों पर नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और सरकारी अत्याचारों के खिलाफ जारी आंदोलनों के समर्थन में पहुंचीं महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और नौजवान पंजाब के बठिंडा, मानसा, बरनाला, संगरूर, फरीदकोट और मोगा के गांवों से हैं। इनमें बड़ी तादाद महिलाओं और बच्चों की है। ऐसा माना जाता है पंजाब के इन जिलों के गांवों के लोगों की रगों में आंदोलन और संघर्ष का लहू बहता है।

किसान नेता शिंगारा सिंह मान कहते हैं कि पंजाब इन दिनों हर किस्म की सरकारी ज्यादती के खिलाफ शिद्दत के साथ आवाज उठा रहा है, सो हमने फैसला किया कि क्यों न अपने अधिकारों के लिए राष्ट्रीय राजधानी में लड़ रहे लोगों के पास जाकर कंधे से कंधा मिलाया जाए। जबकि नौजवान महिला नेता हरिंदर बिंदु के अनुसार शाहीन बाग में बैठी औरतों के साथ पंजाब की औरतें भी चट्टान की मानिंद खड़ी हैं। इसी अहसास को साझा करने के लिए हम दिल्ली पहुंचे हैं। हमें नहीं मालूम कि हमारे यहां पहुंचने के बाद हालात क्या होंगे, लेकिन हम इस लड़ाई में साथ देने का जज्बा लेकर आए हैं और साथ में डटे रहेंगे।

‘बोल के लब आज़ाद हैं तेरे’ नारे के साथ ‘शाहीन बाग’ पहुंचा पंजाब का ‘काफिला’

बठिंडा के गांव कोठा गुरु की रहने वालींं बुजुर्ग महिला मालण कौर शाहीन बाग में ये नारा लगाना चाहती हैं, “तुम बाग में हम पंजाब में!” एक जन आंदोलन के सिलसिले में मालण कौर को फरीदकोट जेल में 13 दिन और बठिंडा जेल में 19 दिन सलाखों के पीछे रहना पड़ा था। वहीं, गांव लहरा धूरकोट की बाहरवीं क्लास की छात्रा अमनदीप कौर ने कहा कि वह जेएनयू छात्र संघ को समर्थन देने आई हैं। संघर्षरत छात्रों को वह पंजाब की तरफ से भरोसा देंगी। अमनदीप कौर के साथ कई अन्य छात्राएं भी रास्ते भर बसों में जोशीले नारे लगाते हुए आई हैं। यह वही अमनदीप कौर है, जिसने रामपुरा पुलिस स्टेशन के आगे 26 दिन लगातार धरना दिया था ताकि खुदकुशी के मामले में उसके पिता को इंसाफ मिल सके।

दिल्ली पहुंचे काफिले में 12 साल का एक बच्चा अदीब भी शामिल है। अदीब रामपुरा फूल के सर्वहितकारी स्कूल में सातवीं कक्षा का छात्र है और बखूबी समझता है कि आज देश में क्या हालात हैं और किस वजह से हैं। फरीदकोट जिले के गांव सेवेवाला के नौजवान रविंदर सिंह के अनुसार एकदम साफ है कि तय रणनीति के तहत वर्तमान केंद्र सरकार मुसलमानों को निशाना बना रही है। जो आज उनके साथ हो रहा है, कल पंजाब में भी दोहराया जा सकता है। इस काफिले में रामपुरा फूल के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता लोक बंधु भी हैं, जिनका यूट्यूब पर गाया गीत 'बोल के लब आज़ाद हैं तेरे' काफी चर्चित रहा है।

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Published: 15 Jan 2020, 6:01 PM