पंजाब-हरियाणा में बंद का जबरदस्त असर, किसानों के समर्थन में अधिकांश दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान रहे बंद

तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर किसान यूनियनों के सोमवार को 10 घंटे के राष्ट्रव्यापी बंद को पंजाब और हरियाणा में जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर किसान यूनियनों के सोमवार को 10 घंटे के राष्ट्रव्यापी बंद को पंजाब और हरियाणा में जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। हजारों किसानों ने दिल्ली को जोड़ने वाले 1 राष्ट्रीय राजमार्ग सहित प्रमुख राजमार्गो को अवरुद्ध कर दिया। व्यापारियों द्वारा आंदोलनकारी किसानों को समर्थन दिए जाने के कारण अधिकांश कस्बों में दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। बंद खत्म होने के बाद ही उन्होंने अपने प्रतिष्ठान खोले।

हालांकि, दोनों राज्यों में कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है। आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को नाकाबंदी से छूट दी गई थी। पंजाब और हरियाणा में कई घंटों तक यातायात बुरी तरह प्रभावित रहा, क्योंकि किसान, खेत मजदूर, कमीशन एजेंट, ट्रेड और कर्मचारी संघ व राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक राष्ट्रीय राजमार्गो पर बैठे रहे।

प्रदर्शनकारी किसानों ने अपने ट्रैक्टर पंजाब और हरियाणा दोनों में राजमार्गो और प्रमुख संपर्क सड़कों पर खड़े कर दिए और बीच सड़क पर बैठ गए। यहां तक कि भारतीय सेना के काफिले को भी जालंधर शहर में आधे घंटे के लिए रोका गया और किसानों ने दस्तावेजों की जांच के बाद ही उसे आगे बढ़ने की अनुमति दी।


कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हरियाणा और पंजाब में विभिन्न स्थानों पर भारी पुलिस बल की मौजूदगी देखी गई। पुलिस ने कई जगहों पर ट्रैफिक डायवर्ट किया, क्योंकि किसानों ने हाईवे जाम कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर भारत बंद के कारण बसों, टैक्सियों और ट्रेनों के नहीं चलने से सैकड़ों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

सार्वजनिक परिवहन नहीं चलने के कारण विभिन्न कस्बों और शहरों में रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों पर यात्री फंसे रहे। लोगों को भारी सामान लेकर पैदल यात्रा करने को मजबूर होना पड़ा और कार्यालय जाने वालों को भी काफी दिक्कतें आईं।

रोडवेज, निजी बसें और टैक्सियां सड़कों से नदारद रहीं, जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी हुई। बस स्टैंड या बस डिपो पर बसें खड़ी रहीं और यात्री फंसे रह गए। समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचने के इच्छुक लोगों से ऑटो-रिक्शा और साइकिल-रिक्शा चालकों ने खूब पैसा कमाया।

संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ सहित दोनों राज्यों की अधिकांश सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा।
जबकि अधिकांश निजी स्कूल बंद थे, सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति नगण्य थी। एक सरकारी कर्मचारी निशा सिंह ने कहा, "हमने सुबह से शुरू होने वाले सभी प्रमुख सड़क संपर्क बंद होने के कारण कार्यालय नहीं आने का फैसला किया है।"


सबसे ज्यादा प्रभावित स्थान लुधियाना, जालंधर, पटियाला, अमृतसर, बठिंडा, फिरोजपुर और मोगा थे। पड़ोसी हरियाणा में, अंबाला, करनाल, पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र जिलों में प्रदर्शनकारियों द्वारा राजमार्गो को अवरुद्ध किए जाने की खबरें थीं।

किसान पिछले साल संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि ये कानून किसानों को बड़े कॉर्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ देंगे और न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। सरकार ने कहा है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे। इसने विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया है।

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