अयोध्या विवाद: मध्यस्थों की राह में हैं कई चुनौतियां, नतीजे पर पक्षकार भी हैं आशंकित 

निर्मोही अखाड़ा के महंत सीताराम दास का कहना है कि वे इस मसले का हल कानूनी चाहते हैं इसलिए श्रीश्री रविशंकर की मध्यस्थता का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे इस मामले के समाधान के लिए किसी संवैधानिक व्यक्ति को चाहते थे, अगर रविशंकर इस मामले में संवैधानिक रूप से आगे बढ़ेंगे तब तो ठीक है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के जरिए अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए कहा है। इसके लिए तीन सदस्यीय टीम कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में रिटायर्ड जस्टिस कलीफुल्ला, वकील श्रीराम पंचू और आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविंशंकर शामिल हैं। लेकिन पक्षकारों को मध्यस्थता के जरिए हल निकलने की संभावना कम दिख रही है। अयोध्या मामले के कई पक्षकारों ने इस पर आशंका जाहिर की है।

हिंदू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन को नहीं लगता है कि मध्यस्थता के जरिए इस केस को सुलझाया जा सकता है। उनका कहना है कि क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रक्रिया तय की है इसलिए वो इंतजार कर रहे हैं। वहीं निर्मोही अखाड़ा के महंत सीताराम दास का कहना है कि वे इस मसले का हल राजनीतिक नहीं बल्कि कानूनी चाहते हैं इसलिए श्रीश्री रविशंकर की मध्यस्थता का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे इस मामले के समाधान के लिए किसी संवैधानिक व्यक्ति को चाहते थे, अगर रविशंकर इस मामले में संवैधानिक रूप से आगे बढ़ेंगे तब तो ठीक है। महंत सीताराम ने कहा कि कल कोई ये ना कह दे कि इस मामले में राजनीति हो रही है, क्योंकि इस मामले में हम राजनीति से दूर रहना चाहते हैं।

हालांकि मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने सुप्रीम कोर्ट के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि इस पहल से हल निकल सकता है और इस मामले में सभी पक्षों को कोर्ट का फैसला मानना होगा।

अयोध्या मामले के मुद्दई इकबाल अंसारी भी मध्यस्थता पर सहयोग करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट ने कहा है तो वे इस दिशा में काम करेंगे। इकबाल अंसारी ने कहा कि इस पैनल के गठन होने के बाद उम्मीदें बढ़ गई है अगर इस पर बात बन जाती है बेहतर है।

एआईएमपीएलबी के सदस्य और संयोजक जफरयाब जिलानी भी मध्यस्थता में सहयोग करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा है कि वो अपनी बात मध्यस्थता पैनल को ही बताएंगे।

दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। हालांकि उन्हें श्रीश्री रविशंकर को कमेटी में शामिल किए जाने पर आपत्ति है। उन्होंने कहा है कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन इस मसले का हल तभी निकल सकता है जब सिर्फ निर्विवादित लोग इस कमेटी में शामिल हों। उन्होंने कहा है कि कमेटी मे श्रीश्री रविशंकर के होते कोई हल निकलने की उम्मीद कम है।

फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम ने भी मध्स्यथता के जरिए हल निकलने पर संदेह जताया है। उन्होंने कहा है कि इसमें किसी बाहरी को शामिल नहीं करना चाहिए बल्कि सभी पक्षकार और कोर्ट के जज मिलकर इस पर फैसला करें। उन्हें इस कमेटी में श्रीश्री रविशंकर के शामिल किए जाने पर भी ऐतराज है। उन्होंने कहा है कि ऐसे लोगों के रहते इस मामले का हल निकलने की उम्मीद कम है।

सैयद खुर्रम रजा के इनपुट के साथ

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