एनआरसी पर अफसरों की बयानबाजी से बिफरा सुप्रीम कोर्ट, कहा, हमें बताए बिना क्यों दी गई मीडिया को जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी अधिकारियों द्वारा असम एनआरसी को लेकर मीडिया में दिए बयानों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए उन्हें कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने एनआरसी अधिकारियों से कहा कि यह अदालत की अवमानना है, जिसके लिए आपको जेल भेज देना चाहिए।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया में एनआरसी को लेकर बयानबाजी पर असम एनआरसी के वरिष्ठ अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। असम के नेशनल सिटीजन रजिस्टर (एनआरसी) से संबंधित शिकायतों के समाधान के बारे में इसके समन्वयक प्रतीक हजेला और भारत के महापंजीयक एस शैलेष द्वारा मीडिया में दिए बयानों पर मंगलवार को स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को कड़ी चेतावनी भी दी। शीर्ष अदालत ने एनआरसी ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने के लिए अपनाई जा रही प्रक्रिया के बारे में मीडिया से बात करने पर अधिकारियों को फटकार लगाई है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई और आरएफ नरीमन ने मीडिया में छपी खबरों का जिक्र करते हुए एनआरसी समन्वयक और भारत के महापंजीयक के अधिकार पर सवाल उठाए और कहा कि “आपका काम त्रुटि रहित एनआरसी तैयार करना है, बयान देना नहीं। आप कोर्ट द्वारा नियुक्त अधिकारी हैं। जब हमें सूचना नहीं दी गई, तो आप इस तरह मीडिया में कैसे जा सकते हैं?” कोर्ट ने कहा, यह अदालत की अवमानना है और इसके लिए आपको जेल भेज देना चाहिए।”

एक अंग्रेजी अखबार में छपे इंटरव्यू का जिक्र करते हुए कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा कि “आगे से दस्तावेजों का सत्यापन किस तरह होगा, ये आपने किस आधार पर कहा?” कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को भविष्य में सचेत रहने की चेतावनी देते हुए कहा कि “एनआरसी को पूरा करने के काम में लग जाइए और कोर्ट की अनुमति के बिना इस मुद्दे पर मीडिया से कोई बात ना करें। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त अधिकारी उस मुद्दे पर कैसे बात कर सकते हैं, जिसे अंतिम रूप हमें देना है।” अदालत ने कहा कि अगर एनआरसी को अंतिम रूप देने का अत्यावश्यक काम हाथ में नहीं होता तो इसके लिए दोनों अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाता।

असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनआरसी ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। बीते 30 जुलाई को एनआरसी का दूसरा और अंतिम ड्राफ्ट जारी किया गया, जिसमें असम के 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। एनआरसी में अपना नाम दर्ज कराने के लिए 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन 2.89 करोड़ लोगों के ही नाम शामिल हो सके। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के नाम इस ड्राफ्ट में नहीं होने से असम से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। केंद्र में विपक्षी दलों ने इसे गंभीर मानते हुए सरकार को घेरने की कोशिश की। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी एनआरसी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। हालांकि, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा है कि यह अंतिम मसौदा नहीं है। जिनके भी नाम इस मसौदे में नहीं हैं, उन्हें एक बार फिर मौका दिया जाएगा।

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