राफेल डील की जांच की मांग पर कल आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला

राफेल डील मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान डील को रद्द करने और उसकी निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।

फोटोः पीटीआई
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नवजीवन डेस्क

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान खरीद के सौदे की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस डील की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर 4 याचिकाएं दायर की गई हैं। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 14 नवंबर को इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

याचिकाकर्ताओं ने इस सौदे में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई को एफआइआर दर्ज करने के निर्देश देने की अपील करते हुए एसआईटी जांच की मांग की है। याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि डील की ऑफसेट शर्तों को बाद में बदलकर अनिल अंबानी की नवगठित कंपनी रिलायंस को चुन लिया गया। इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया कि राफेल डील का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय की सलाह लिए कर लिया, जो कि गलत है। प्रशांत भूषण इस मामले में अरुण शौरी की तरफ से पेश हुए थे, जो कि मामले के याचिकाकर्ताओं में से एक हैं। इनके अलावा याचिका दायर करने वालों में वकील एमएल शर्मा, विनीत ढांढा और आप नेता संजय सिंह शामिल हैं।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल ने फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए हुए सौदे का बचाव करते हुए डील की कीमत को सार्वजनिक करने का विरोध किया। वेणुगोपाल ने डील की न्यायिक समीक्षा का भी विरोध करते हुए दलील दी कि अगर हथियार और विमान की कीमतें सार्वजनिक की जाएंगी तो दुश्मनों को राफेल विमान में इस्तेमाल होने वाले हथियारों का पता चल जाएगा।

बता दें कि राफेल सौदे की अनुमानित कीमत लगभग 58,000 करोड़ रुपये है। इस डील को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार पीएम मोदी पर हमलावर रहे हैं। राहुल गांधी ने संसद में भी इस सौदे की कीमत और डील में अनिल अंबानी की बिल्कुल नई कंपनी को ठेका देने पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग उठाई है।

बता दें कि 14 नवंबर को हुई सुनवाई में राफेल डील की कीमत और उसके ठेके की निर्णय प्रक्रिया पर सुनवाई हुई थी। इस दौरान सरकार और याचिकाकर्ताओं के वकीलों के बीच दलीलों का लंबा दौर भी चला। यहां तक कि कोर्ट ने इस सौदे की जरूरत को समझने के लिए वायु सेना के अधिकारियों को भी कोर्ट में तलब किया। इस मामले पर बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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