'PM ने 10 साल बिहार की महिलाओं की सुध नहीं ली, अब कर रहे हैं ‘डिजिटल संवाद’, कांग्रेस ने NDA से पूछे सवाल
रमेश ने कहा, ‘‘पश्चिमी चंपारण की सुनीता देवी इसका जीती-जागती उदाहरण हैं। उन्होंने 40,000 रुपये का ऋण लिया था। बीमा/कटौती के बाद उनके हाथ में 33,000 रुपये आए। 2,800 रुपये प्रति माह के हिसाब से उन्होंने दो साल में 68,200 रुपये चुका दिए।"

कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक दशक में बिहार की महिलाओं की सुध लेने की याद नहीं आई और अब चुनाव के समय वोट के लिए ‘डिजिटल संवाद’ का ढोंग किया जा रहा है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि बिहार में 20 वर्षों की बीजेपी-जेडीयू सरकार में महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य, और सम्मान की लगातार अनदेखी हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के प्रचार अभियान के अंतिम चरण में बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की महिला कार्यकर्ताओं से बातचीत करेंगे।
यह बातचीत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की 'मेरा बूथ, सबसे मजबूत' पहल के तहत होगी।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘बिहार में 20 वर्षों की बीजेपी-जेडीयू सरकार में महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य, और सम्मान की लगातार अनदेखी हुई। प्रधानमंत्री को एक दशक तक बिहार की महिलाओं की सुध लेने की याद नहीं आई और अब चुनाव के समय वोट के लिए डिजिटल संवाद का ढोंग किया जा रहा है।’’
उन्होंने दावा किया कि बीजेपी-जेडीयू शासन में महिलाओं के खिलाफ अपराध बेतहाशा बढ़े हैं और महिलाओं के खिलाफ अपराध में 336 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उनका कहना था कि पहले की तुलना में अब हर साल 20,222 अपराध हुए तथा अब तक कुल 2,80,000 महिलाएं इसका शिकार हुईं।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘1,17,947 मामले अभी तक अदालतों में लंबित हैं जो देश में सबसे अधिक हैं। महिलाओं के अपहरण के मामलों में 1097 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पहले हर साल अपहरण की 929 घटनाएं होती थीं लेकिन अपहरण की 10,190 की घटनाएं होती हैं।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘महिलाओं के खिलाफ रिकॉर्ड तोड़ अपराध के बावजूद बीजेपी-जेडीयू की सरकार महिलाओं को सुरक्षा क्यों नहीं दे पाई?’’
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘चुनावी हार से घबराकर सरकार अब महिलाओं के अकाउंट में 10,000 रुपये डाल रही है। मगर बिहार की लाखों बेटियां माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के कर्ज़ के जाल में बुरी तरह फंसी हुई हैं। अब तक एक करोड़ 9 लाख महिलाएं कर्ज़ के जाल में फंस चुकी हैं।’’
उनके अनुसार, औसतन बकाया 30,000 रुपये प्रति महीना तक हो चुका है तथा इस वजह से ‘‘वसूली एजेंट का गुंडा राज’’, सामाजिक अपमान, पलायन, आत्महत्या तक की नौबत आ रही है।
रमेश ने कहा, ‘‘पश्चिमी चंपारण की सुनीता देवी इसका जीती-जागती उदाहरण हैं। उन्होंने 40,000 रुपये का ऋण लिया था। बीमा/कटौती के बाद उनके हाथ में 33,000 रुपये आए। 2,800 रुपये प्रति माह के हिसाब से उन्होंने दो साल में 68,200 रुपये चुका दिए। इसके बावजूद जैसे ही एक किस्त रुकी, उन्हें वसूली एजेंट की तरफ से धमकी मिली कि बेटी को उठा ले जाएंगे।’’
उनका कहना था कि यह कोई अपवाद नहीं है, बल्कि बिहार में ऐसे लाखों मामले हैं। कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि ‘‘माइक्रो फाइनेंस माफिया’’ को किसका संरक्षण मिला हुआ है?
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं के सुरक्षा, सम्मान, और अधिकार से कोई समझौता नहीं। महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से मुक्ति के लिए राजग की सत्ता से मुक्ति ज़रूरी है।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ
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