दिल्ली चुनाव में हवा तो किसी और की है, लेकिन बीजेपी के दावों ने लोगों के मन में पैदा कर दी है ईवीएम की आशंका

दिल्ली चुनाव को लेकर हुए सर्वे तो किसी और की जीत के संकेत दे रहे हैं, लेकिन बीजेपी के जीत के दावों से लोगों के मन में ईवीएम को लेकर नए सिरे से आशंका पैदा हो गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
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तसलीम खान

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लगभग हर ओपीनियन पोल ने संकेत दिया है कि दिल्ली की सत्ता में आम आदमी पार्टी की वापसी हो रही है। संकेत साफ हैं कि बीजेपी द्वारा बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण करने और चुनावों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों के बाद भी वोटर उनके पक्ष में जाने के तैयार नहीं है। लेकिन फिर भी लोगों के मन में यह शंका घर कर रही है कि वोटिंग मशीनों यानी ईवीएम में गड़बड़ी की जा सकती है और इससे बीजेपी एक अवैध जीत हासिल कर सकती है।

टाइम्स नाउ-इप्सॉस के सर्वे में सामने आया है कि दिल्ली की कुल 70 सीटों में से आम आदमी पार्टी को 54 से 60 सीटें तक मिल सकती हैं। जबकि बीजेपी के हिस्से में 10 सेसस 14 सीटे आ सकती हैं। वहीं कांग्रेस के खाते में भी शून्य से 2 सीटें जाने का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा एबीपी न्यूज-सी वोटर का सर्वे बताता है कि आम आदमी पार्टी के खाते में 42 से 56 सीटें तक आ सकती हैं।

इन सर्वे के सामने आने के बाद भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव से सिर्फ दो दिन पहले दावा किया कि दिल्ली के चुनावी नतीजे सबकों चौंका देंगे। उनके इस दावे ने लोगों के मन में ईवीएम को लेकर शंका पैदा कर दी है। द क्विंट ने 7 फरवरी को एक आरटीआई के हवाले से खबर दी है कि, “लोकसभा चुनाव 2019 की वीवीपैट पर्चियां नष्ट की जा चुकी हैं।” हालांकि नियम है कि चुनाव होने के बाद वीवीपैट पर्चियों को कम से कम एक साल तक सुरक्षित रखा जाना चाहिए। यह खबर सामने आने के बाद लोगों के मन में चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और निष्पक्षता के साथ ही ईवीएम को लेकर सवाल उठना लाजिमी है।


दरअसल दिल्ली विधानसभा का चुनाव कोई आम चुनाव नहीं है। इस साल के लोकसभा चुनाव के बाद हुए राज्य विधानसभा के चुनावों में बीजेपी महाराष्ट्र और झारखंड में सत्ता से बाहर हो गई और हरियाणा में भी किसी तरह जेजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बना पाई। इसके अलावा अमित शाह ने दिल्ली के चुनावों में इतनी ताकत झोंकी है कि अगर नतीजे मनमाफिक नहीं आए तो भगवा दल के चाणक्य की साख पर ही बट्टा लग जाएगा।

एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि, “असल में अमित शाह के लिए यह चुनाव निजी गौरव और विश्वसनीयता का मामला है। उन्होंने दिल्ली चुनाव को इतनी हवा दे दी कि 375 सांसद और कई सारे मुख्यमंत्री दिल्ली में प्रचार करते नजर आए। बीजेपी का पूरा का पूरा प्रचार सीएए-एनआरसी और इस कानून का विरोध करनेवालों को गाली देने पर केंद्रित रहा। ऐसे में बीजेपी हार बरदाश्त नहीं कर पाएगी। ऐसे में कुछ भी अटपटा सामने आ सकता है।”


दक्षिण दिल्ली में सड़क किनारे खोमचा लगाने वाले जीतेंद्र कुमार यूं तो यूपी के उन्नाव के रहने वाले हैं, लेकिन दिल्ली के वोटर हैं। उनका कहना है,”लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद उनके अपने गृह जनपद के लोग भी हैरान थे कि आखिर उन्नाव में साक्षी महाराज इतने बड़े अंतर से कैसे जीत गए। हर किसी को यहीं सोचना पड़ा कि आखिर साक्षी महाराज को वोट दिया तो किसने दिया। यह सब मशीन का खेल था।”

वहीं रामलोचन कहते हं कि, “यहां भी ऐसा ही कुछ हो सकता है। यह लोग सत्ता में बैठे हैं और कुछ भी कर सकते हैं। ये लोग पिछले 6 साल से लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।”

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