निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने वाला मेडिकल कानून कर्नाटक विधानसभा में पास

कर्नाटक विधानसभा में सिद्धरमैया सरकार की ओर से पेश निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने वाला कानून पारित हो गया। अब राज्य के निजी अस्पतालों में इलाज का शुल्क सरकार द्वारा नियमित किया जा सकेगा।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कर्नाटक विधानसभा ने मरीजों के इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों द्वारा मनमनाना शुल्क लिए जाने पर रोक लगाने वाला 'कर्नाटक प्राइवेट मेडिकल एस्टैब्लिशमेंट (संशोधन) बिल 2017’ पारित कर दिया। इस विधेयक के पास हो जाने से राज्य के अस्पतालों का शुल्क नियमित किया जा सकेगा। विधानसभा में राज्य की सिद्धारमैया सरकार द्वारा पेश बिल के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी शिकायतों के निवारण के लिए एक शिकायत कोषांग का गठन किया जाएगा। इस बिल में राज्य भर के अस्पतालों के शुल्क को नियमित करने का प्रवाधान किया गया है। जिससे राज्य के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रमेश कुमार ने ‘कर्नाटक प्राइवेट मेडिकल एस्टैबलिशमेंट (संशोधन) बिल 2017’ विधानसभा में पेश किया। आज पारित विधेयक ‘कर्नाटक प्राइवेट मेडिकल इस्टैबलिशमेंट (संशोधन) बिल 2007’ में आवश्यक संशोधन करने का अधिकार देता है।

हालांकि इस बिल से उस विवादित प्रावधान को हटा दिया गया है जिसमें ‘इलाज में लापरवाही’ के लिए डॉक्टरों को 6 महीने से लेकर 3 साल की जेल की सजा का प्रावधान था। इस प्रावधान पर पिछले काफी समय से राज्य के डॉक्टर विरोध जता रहे थे। बंगलुरू के निजी अस्पतालों के करीब 22000 डॉक्टर नवंबर महीने की शुरुआत से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की केन्द्रीय इकाई ने भी प्रस्तावित कानून के इस प्रवधान का विरोध करते हुए काला दिवस मनाया था। बुधवार को पारित बिल में से कई ऐसे प्रावधान हटा दिए गए हैं, जिसे निजी अस्पताल और नर्सिंग होम के डॉक्टर कठोर कानून बता रहे थे। सरकार और हड़ताली डॉक्टरों के बीच हुए समझौते के बाद 17 नवंबर को डॉक्टरों ने अपना अनिश्चित हड़ताल वापस ले लिया था। इस दौरान राज्य में डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से कम से कम 7 मरीजों की जान चली गई थी।

विधानसभा में पारित विधेयक आपातकालीन परिस्थितियों में रोगी या रोगियों के परिजनों पर अग्रिम भुगतान के लिए दबाव बनाने पर रोक लगाता है। इसके लिए कुछ निश्चित मामलों में अर्थ दंड का भी प्रावधान किया गया है। इस विधेयक के उद्देश्य और कारण के संबंध में कहा गया है कि पंजीकरण और शिकायत निवारण अधीकरण को पुनर्गठित करने और निजी अस्पतालों द्वारा शुल्क के प्रदर्शन में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए 2007 के कानून में संशोधन की आवश्यकता थी। यह कानून सरकार की स्वास्थ्य आश्वासन योजनाओं के अंतर्गत इलाज और प्रक्रियाओं के लिए एक समान पैकेज दर निर्धारित करने का सरकार को अधिकार देता है। इस विधेयक के तहत मरीज चार्टर या निजी मेडिकल संस्थान चार्टर का अनुपालन नहीं किए जाने पर आर्थिक दंड लगाने का प्रावधान है। इस कानून को पहले 13 जून को विधानसभा में रखा गया था और बाद में डॉक्टरों के विरोध को देखते हुए इसे ज्वाइंट सेलेक्ट कमिटी को भेज दिया गया था। जिसके बाद 22 नवंबर को यह कानून पारित हो गया।

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