इस बार त्योहारी सीजन में चीनी खिलौनों, राखियों से नहीं सजेगा बाजार, कारोबारियों ने चीन से नए ऑर्डर देना किया बंद

चीन से आयातित सस्ते खिलौनों और राखियों में इस्तेमाल होने वाले सामान समेत अन्य लुभावने सामान से शायद इस साल त्योहारी सीजन में देश का बाजार नहीं सज पाएगा, क्योंकि चीनी उत्पादों के प्रति लोगों का रुझान कम हो गया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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आईएएनएस

चीन से आयातित सस्ते खिलौनों और राखियों में इस्तेमाल होने वाले सामान समेत अन्य लुभावने सामान से शायद इस साल त्योहारी सीजन में देश का बाजार नहीं सज पाएगा, क्योंकि चीनी उत्पादों के प्रति लोगों का रुझान कम हो गया है। यही वजह है कि देश के कारोबारियों ने चीन से खिलौने, लाइटिंग के सामान के नए ऑर्डर देना बंद कर दिया है। गलवान घाटी की घटना के बाद भारत और चीन के रिश्तों में आई खटास को देखते हुए देश के कारोबारी चीन से नए आयात के ऑर्डर देने में सतर्कता बरत रहे हैं।

दिल्ली के सदर बाजार के राखी विनिर्माता और थोक कारोबारी मगन जैन ने कहा कि राखी में इस्तेमाल होने वाली चमकीली चीजें अब चीन से नहीं आ रही हैं, इसलिए चीनी एसेसरीज से बनी राखियां इस बार रक्षाबंधन पर ग्राहकों को नहीं लुभाएंगी। उन्होंने कहा कि जिस किसी कारोबारी ने काफी पहले ही मंगा रखा है या जिसके पास पहले का स्टॉक बचा हुआ है, वही चीनी सामान का इस्तेमाल राखी बनाने में कर पाएगा, लेकिन ग्राहकों की दिलचस्पी इस बार बिल्कुल देसी राखियों में है।


दिल्ली के सदर बाजार से राखियां पूरे देश में जाती हैं, लेकिन इस साल रक्षाबंधन को एक महीने से भी कम समय बचा है फिर भी बाजार में वैसी रौनक नहीं है जैसी विगत वर्षों में देखी जाती थी। रक्षाबंधन इस साल 3 अगस्त को है। जैन ने कहा कि कोरोना के कारण इस बार राखी का कारोबार ठंडा पड़ गया है। त्योहारी सीजन में आमतौर पर खिलौने की मांग बढ़ जाती है, जिसकी पूर्ति के लिए कारोबारी सीजन शुरू होने से पहले चीन से सस्ते खिलौने मंगाते थे, लेकिन इस बार नए ऑर्डर देने से पहले वे सतर्कता बरत रहे हैं।

ट्वॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट अजय अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया कि देश में खिलौने का रिटेल कारोबार करीब 18,000-20,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें करीब 75 फीसदी आयात चीन से होता है।

कारोबारी बताते हैं कि चीन से खिलौने का आयात रुकने की एक बड़ी वहज भारत सरकार द्वारा इस साल फरवरी में जारी खिलौना, गुणवत्ता नियंत्रण का आदेश भी है, जो आगामी एक सितंबर से प्रभावी होगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा 25 फरवरी, 2020 को जारी आदेश के अनुसार, खिलौने पर भारतीय मानक चिह्न् यानी आईएस मार्क का प्रयोग अनिवार्य होगा। हालांकि यह नियम न सिर्फ आयातित, बल्कि घरेलू उत्पाद पर भी लागू होगा।

अग्रवाल ने कहा कि यह आदेश हालांकि घरेलू कारोबार पर भी लागू होगा, लेकिन चीन से आयात घटने से घरेलू कारोबार बढ़ेगा, क्योंकि कारोबारियों को एक लेवल-प्लेइंग फील्ड मिल जाएगा।


दिल्ली-एनसीआर के खिलौना कारोबारी और प्लेग्रो ट्वॉयज ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर मनु गुप्ता ने कहा भी कहा कि देश में खिलौना कारोबार बढ़ने से अकुल श्रमिकों, खासतौर से महिलाओं को रोजगार मिलेगा।

गुप्ता ने कहा कि चीन से खिलौने का आयात रुकने से लंबी अविध में घरेलू खिलौना उद्योग फलेगा-फूलेगा, जिससे मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा मिलेगा। जबकि अल्पावधि में यह भी संभव है कि छोटे-छोटे रिटेल कारोबारी इस कारोबार से बाहर हो जाएं, क्योंकि वेरायटी के हिसाब से 80 फीसदी खिलौने चीन से ही आते हैं।

अजय अग्रवाल ने बताया कि भारत थाईलैंड और मलेशिया के अलावा कुछ अन्य देशों से भी खिलौना आयात करता है, लेकिन मुख्य रूप से खिलौने का आयात चीन से ही होता है।

लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ हुई झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद चीनी वस्तुओं के इस्तेमाल के प्रति लोगों की दिलचस्पी घट गई है।

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