हिमाचल प्रदेशः विधायकों के भत्ते में बेतहाशा बढ़ोतरी से राज्य के बेरोजगार नाराज, जूते पॉलिश कर जताया विरोध

हिमाचल प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा राज्य के विधायकों के भत्ते में की गई बेतहाशा वृद्धि को लेकर प्रदेश के बेरोजगार युवाओं में रोष है। इन बेरोजगार युवाओं ने विरोध जताने के लिए जूते पॉलिश करने और भीख मांगने का तरीका अपनाया है।

फोटोः साभार
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बिपिन भारद्वाज

हिमाचल प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा विधायकों के सालाना मुफ्त यात्रा भत्ता में वृद्धि करने के फैसले को लेकर विरोध शुरू हो गया है। 5,000 करोड़ रुपये के भारी कर्ज के बोझ से दबी हिमाचल की जयराम ठाकुर सरकार ने शनिवार को राज्य के विधायकों और उनके परिवार का मुफ्त यात्रा भत्ता 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये सालाना करने का एक विधेयक विधानसभा में पेश किया। थियोग विधानसभा से सीपीएम विधायक राकेश सिंघा के कड़े विरोध के बावजूद इस विधेयक को ध्वनिमत से सदन द्वारा पारित कर दिया गया। विरोध करने वाले एकमात्र विधायक राकेश सिंघा ने राज्य की खराब वित्तीय हालत का मुद्दा उठाते हुए सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की।

दिलचस्प बात यह है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता प्रेम कुमार धूमल ने भी जय राम ठाकुर की अगुवाई वाली अपनी ही पार्टी की सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार के फैसले पर निशाना साधते हुए कहा कि जब राज्य एक बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है तो सरकार ऐसा फैसला कैसे ले सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार को सरकारी कर्मचारियों के वेतन-भत्ते का निर्धारण करने वाले आयोग की तर्ज पर विधायकों के वेतन और भत्ते तय करने के लिए एक "वेतन आयोग" के गठन की पहल से बचना चाहिए था।


विधानसभा अध्यक्ष और बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजीव बिंदल का भी मानना है कि विधायकों के वेतन और अन्य भत्तों में नियमित बढ़ोतरी के लिए कुछ नियम होने चाहिए। फिलहाल इस विधेयक के पारित होने के साथ राज्य के विधायकों और उनके परिवार के सदस्यों का मुफ्त यात्रा भत्ता मौजूदा 2.50 लाख रुपये से बढ़कर 4 लाख रुपये हो गया है। वहीं पूर्व विधायकों के लिए यह भत्ता 1.25 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया है।

विधायकों के भत्ते में इस अभूतपूर्व बेतहाशा वृद्धि के खिलाफ शिमला में कुछ सामाजिक संगठनों के सदस्यों, बेरोजगार युवाओं और किसानों ने अनोखा विरोध प्रदर्शन करते हुए भिक्षा एकत्र करने का अभियान शुरू किया है। इसके तहत युवा अलग-अलग जगहों पर जाकर लोगों से 1 रुपये की भीख मांग रहे हैं ताकि भीख में एकत्र की गई राशि प्रदेश के "गरीब विधायकों" की विलासिता के लिए उपलब्ध कराई जा सके। सरकार के इस फैसले के खिलाफ कुछ युवाओं ने शिमला में हिमाचल प्रदेश सचिवालय के बाहर बैठकर जूते भी पॉलिश किए, ताकि कुछ पैसे जमा हो सकें। लोगों से विधायकों को पैसे देने के लिए भीख मांगते हुए स्थानीय नेता राजू कुमार ने कहा कि अगर 15 दिनों में इस कानून में संशोधन नहीं हुआ तो वे लोग एक ज्ञापन के साथ राज्यपाल को दान में एकत्र हुआ पैसा सौंपेंगे।


स्टेट इलेक्शन वाच नामक एक एनजीओ के कोऑर्डिनेटर डॉ ओ पी भुरैटा ने कहा कि मंत्रियों और विधायकों के भत्ते में 166 प्रतिशत की बढ़ोतरी हिमाचल के 10 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं के साथ एक क्रूर मजाक है। उन्होंने कहा, “अगर चुनाव आयोग को सौंपे गए हलफनामे को देखें तो प्रत्येक विधायक की संपत्ति हर पांच साल के बाद औसतन 150 प्रतिशत से 200 प्रतिशत तक बढ़ती है। इसके साथ ही विधायकों को आजीवन पेंशन भी मिलती रहती है।”

हालांकि, बढ़ोतरी के फैसले को सही ठहराते हुए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि टैक्सी के लिए कुल राशि का केवल 10 प्रतिशत ही भुगतान किया जाएगा और वह भी बिल जमा करने पर। सीएम ने दावा किया कि पहले विधायकों को अपनी जेब से खर्च करना होगा और बाद में प्रतिपूर्ति के लिए उन्हें बिल जमा करने होंगे। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत विधायकों ने अब तक इस सुविधा का लाभ नहीं उठाया है।

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