उत्तर प्रदेश: आश्रय गृह से बच्ची को जबरन ले गए बीजेपी विधायक, अगले दिन कर गए वापस

बीजेपी विधायक राजेश मिश्रा बिना किसी कागजी कार्रवाई या अनुमति के एक बच्ची को आश्रय गृह से दूर ले जाने के बाद विवादों में आ गए, वह अपने बेटे की शादी में शामिल हुए और अगले दिन बच्ची को वापस कर गए।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

बीजेपी विधायक राजेश मिश्रा बिना किसी कागजी कार्रवाई या अनुमति के एक बच्ची को आश्रय गृह से दूर ले जाने के बाद विवादों में आ गए, वह अपने बेटे की शादी में शामिल हुए और अगले दिन बच्ची को वापस कर गए। यह घटना पिछले हफ्ते हुई थी, लेकिन मामला शनिवार शाम को उस समय प्रकाश में आया जब बाल आश्रय के एक अधिकारी ने इस बारे में बात की। इस मामले में, यह वही बच्ची है जिसे पिछले साल अक्टूबर में श्मशान घाट में मिट्टी के बर्तन में जिंदा दफन किए जाने के बाद बचाया गया था।

बरेली के एक आश्रय स्थल वार्न बेबी फोल्ड के सुपरिंटेंडेंट, प्रिमरोज एडमंड ने कहा, "पिछले रविवार को, बीजेपी विधायक राजेश मिश्रा आए और बिना किसी कागजी कार्रवाई या अनुमति के बच्ची को अपने साथ ले गए। वह अपने बेटे की शादी में गए, बिना कोई कोविड-सावधानी बरते उसके साथ तस्वीरें लीं और उसे एक दिन बाद केंद्र में वापस दे गए।"


प्रिमरोज ने आगे कहा, "किसी को भी बच्चे को ले जाने की अनुमति नहीं है। केवल सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के साथ पंजीकृत माता-पिता ही बच्चे को गोद ले सकते हैं और ले जा सकते हैं। जब वह बच्ची को ले गए तो उनके राजनीतिक रसूख के कारण मैं उनसे कुछ कहने की स्थिति में नहीं था।"

विधायक ने कहा कि उन्हें केवल बच्ची की देखभाल करने से मतलब था। उन्होंने कहा, "मैं हमेशा उसके बारे में चिंतित रहा हूं। वह उस दिन बीमार थी। मेरे पास एक फोन आया कि उसे दौरे पड़ रहे हैं। इसलिए, मैं अपने बेटे की शादी से सीधे 20-25 आदमियों के साथ अस्पताल गया। मैंने उसे दवाइयां दीं और फिर वापस शादी में चला गया।"

मिश्रा ने शादी में बच्ची को गोद में लिए तस्वीरें खिचाई थीं और न तो बच्ची ने और न ही उन्होंने मास्क पहना था। उनके बेटे ने भी एक साल की बच्ची की दो तस्वीरें पोस्ट कीं, जिसमें एक में वह बच्ची को गोद में लिए हुए हैं, जबकि दूसरे में बच्ची के साथ उनके पिता हैं। शादी में शामिल लोगों ने कहा कि उन्होंने अपनी 'गोद ली हुई बेटी' के रूप में बच्ची का परिचय दिया था।

इससे पहले, विधायक ने सोशल मीडिया पर दावा किया था कि वह बच्ची को घर ले जाकर अपनी बेटी की तरह उसकी परवरिश करेंगे। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि विधायक ने कानूनी तौर पर बच्चे को गोद नहीं लिया है।


'यूपी स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के चेयरपर्सन' डॉ. विशेष गुप्ता ने कहा कि कानून के अनुसार, किसी बच्चे को किसी को भी बस ऐसे ही नहीं सौंपा जा सकता। यह जिम्मेदारी केयर सेंटर के पास है। यहां, वार्न बेबी फोल्ड स्टाफ की गलती है। उन्हें जिला प्रशासन या केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्यों को सूचित करना चाहिए था अगर कोई उन पर दबाव डाल रहा था। बच्चे को स्पष्ट रूप से संक्रमण का खतरा था। मैं मामले में उचित कदम उठाऊंगा और इस संबंध में एनसीपीसीआर (बाल अधिकार संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग) को लिखूंगा।

विवादास्पद विधायक, जिन्हें पप्पू भरतौल के रूप में भी जाना जाता है, उनके खिलाफ 22 मामले दर्ज हैं। वह पिछले साल जुलाई में तब सुर्खियों में आए थे जब उनकी बेटी साक्षी ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा था कि दलित व्यक्ति से शादी करने के कारण वह उसे धमका रहे हैं।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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