उत्तर प्रदेशः इलाहाबाद हाई कोर्ट से डॉ कफील खान को मिली जमानत

पिछले साल गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज और अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में डॉ कफील खान को सितंबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज और अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से पिछले साल कई बच्चों की मौत के मामले में जेल में बंद डॉ कफील खान को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। डॉ कफील खान को 2 सितंबर 2017 को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 409, 308 और 120 बी के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था। इन आरोपों में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।

इससे पहले डॉ कफील खान की जमानत याचिका विशेष न्यायाधीश (प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट) की अदालत समते अन्य निचली अदालतों से खारिज हो चुकी थी। जिसके बाद जमानत के लिए उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आवेदन दिया था, जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।

इससे पहले 16 अप्रैल को डॉ कफील खान की पत्नी डॉ शबिस्ता खान ने दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया था कि उनके पति बीमार हैं, फिर भी जेल प्रशासन उन्हें जरूरी चिकित्सा सेवा उपलब्ध नहीं करा रहा है। डॉ शबिस्ता खान ने आशंका जाहीर की थी कि उनके पति को एक षड़यंत्र के तहत चिकित्सा सुविधा न देकर जान से मारने की साजिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि उनके पति डॉ कफील खान बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विभाग में व्याख्याता थे। उनके पास एनआरएचएम के नोडल अधिकारी का भी प्रभार था। उन्होंने बताया कि घटना के दिन डॉ कफील अवकाश पर थे, लेकिन जब उन्हें लिक्विड ऑक्सीजन खत्म होने की जानकारी मिली तो उन्होंने सभी जिम्मेदार लोगों से बात की और अपने दम पर तमाम निजी अस्पतालों से जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया और बच्चों की इलाज में कोई बाधा नहीं आने दी। ऑक्सीजन की आपूर्ति, खरीद आदि से दूर-दूर तक संबंध नहीं था। शबीस्ता खान ने कहा, “डॉ कफील खान को इस घटना के लिए जिम्मेदार बड़े लोगों को बचाने के लिए फंसाया गया है। वह बेकसूर हैं, फिर भी पिछले आठ महीने से जेल में हैं।”

बता दें कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इंसेफलाइटिस वार्ड के प्रभारी डॉ कफील खान को बच्चों की मौत का आरोप लगने के बाद सितंबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था। 10 और 11 अगस्त 2017 को कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से अस्पताल में 36 बच्चों की मौत हो गयी थी। शुरूआती जांच में प्रिंसिपल समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों के अलावा ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता कंपनी को जांच समिति ने जिम्मेदार ठहराया था। टीम की रिपोर्ट के बाद मेडिकल कॉलेज के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

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Published: 25 Apr 2018, 4:01 PM