उत्तराखंडः गगनदीप की दिलेरी से भगवाधारियों की तनी भवें, रामनगर में कभी भी हो सकती है सांप्रदायिक हिंसा
उत्तराखंड के रामनगर में उग्र हिंदुवादियों की भीड़ से एक मुस्लिम युवक की जान बचाने वाले सब इंस्पेक्टर गगनदीप सिंह लगातार मिल रही धमकियों की वजह से भारी तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। इसकी वजह से उन्हें लंबी छुट्टी पर अज्ञातवास में जाना पड़ा है।
![फोटोः सोशल मीडिया](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2018-06%2F78daabec-8f6d-44ad-9c58-25710fe7b037%2Fgagandeep.jpg?rect=0%2C0%2C488%2C275&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
देश में बढ़ते अतिवाद का आलम यह है कि पिछले सप्ताह एक मुस्लिम युवक को उग्र भीड़ के हाथों से बचाना पुलिस को ही भारी पड़ गया है। बहादुरी से हिन्दू संगठनों से जूझकर अपना फर्ज निभाने वाले सब इंस्पेक्टर गगनदीप सिंह को अज्ञातवास मिल गया है। नैनीताल के एसएसपी जन्मेजय खंडूरी के अनुसार वो छुट्टी पर गये हैं और कुछ समय बाद लौट आयेंगे। गिर्जिया में पीएसी तैनात कर दी गई है। गिर्जिया में अब मुस्लिमों के आने जाने पर रोक लगा दी गई है। स्थानीय स्तर पर भारी तनाव है। सांप्रदायिक दंगो के लिए बदनाम रुद्रपुर के विधायक राजकुमार ठुकराल रामनगर में सक्रीय हो गये हैं। उन्होंने ऐलान कर दिया है, “हमारे लड़कों ने सिर्फ दो थप्पड़ ही तो मारे थे बात का बतंगड़ बना दिया गया। अब कोई गैर हिन्दू जायेगा तो ठीक नही होगा।”
जिस विधायक राजकुमार ठुकराल के भड़काऊ बयान से रामनगर की फिजा गर्म हो गयी है, वो दंगों के लिये कुख्यात हैं। रुद्रपुर के 2011 के भीषण दंगो में उनकी भूमिका पायी गई थी और वो आरोपित किये गए थे। खास बात ये है कि बीजेपी सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा वापस ले लिया है। रुद्रपुर में यह दंगा 2 अक्टूबर 2011 को हुआ था, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई थी। स्थानीय निवासी मानते हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में लाभ लेने के लिये इस दंगे की साजिश रची गई थी। इसके बाद राजकुमार ठुकराल विधायक बन गये। इस दंगे में 3 लोगों की मौत हो गयी थी और दर्जनों घायल हुए थे। दंगों की वजह से इलाके से अल्पसंख्यकों को पलायन के लिये मजबूर होना पड़ा था। रामनगर के फैजल अंसारी के अनुसार मस्जिद के बाहर कुरान शरीफ के फटे हुए टुकड़े गंदगी में लपेटकर रखे हुए थे, जो एक गहरी साजिश थी।
रामनगर के अमनपसंद लोग मानते हैं कि रुद्रपुर के इस दंगे के बाद उधमसिंह नगर जनपद और आसपास के इलाके में सांप्रदायिक तनाव बहुत बढ़ गया है। गिर्जिया मंदिर में हुई घटना पिछले 6 साल से सुलग रही इसी नफरत की आग का परिणाम थी। इस इलाके में तमाम हिंदूवादी संगठनों को बीजीपी विधायक राजकुमार ठुकराल का संरक्षण माना जाता है। इसीलिए राजकुमार ठुकराल रामनगर में मुस्लिम युवक पर हमला करने वाले गुंडों की हिमायत में खड़े हैं।
पुलिस सूत्र बताते हैं कि स्थानीय विधायक ठुकराल के दबाव के चलते ही सब इंस्पेक्टर गगनदीप सिंह को लंबी छुट्टी पर भेजा गया है। गगनदीप सिंह यहां एक मुस्लिम युवक की जान बचाकर सुर्खिया में आये थे और उनकी देशभर में तारीफ हुई थी। नैनीताल के पुलिस कप्तान जन्मेजय खंडूरी ने उन्हें ढाई हजार रुपये इनाम भी दिया था। देश-दुनिया के तमाम लोगों ने उनकी सराहना की थी, मगर इसके बाद वो हिंदूवादी ताकतों की आंखों में खटकने लगे हैं।
इस बीच राजकुमार ठुकराल ने ऐलान कर दिया कि अगर पुलिस लव जेहादियों का दिमाग ठीक नहीं कर पा रही है तो हिन्दुओं की सेना इन्हें सबक सिखायेगी। इस पर रामनगर के लोगों में ठुकराल के खिलाफ नाराजगी फैल गयी और वो विधायक के खिलाफ माहौल बिगाड़ने की तहरीर लेकर रामनगर थाने पहुंच गये। इन लोगों में से एक समाजवादी एकता मंच के मनीष कुमार ने बताया कि स्थानीय विधायक ने हमलावरों का समर्थन किया और उन्हें आगे भी ऐसी घटना करने के लिए प्रेरित किया जो खुद में एक अपराध है। वो लगातार इस क्षेत्र को आग में झोंकने की साजिश कर रहे हैं। इसलिये हमने राजकुमार ठुकराल के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
रामनगर कोतवाल विक्रम सिंह राठौर के मुताबिक तहरीर ले ली गई है और एसआई कश्मीर सिंह इसकी जांच कर रहे हैं। मगर वो क्या जांच करेंगे ये एक दूसरे एसआई गगनदीप सिंह के हाल से समझा जा सकता है। क्योंकि गिर्जिया मन्दिर में सरेआम एक युवक पर पुलिस के सामने हमला करनेवाले हिंदुवादी कार्यकर्ता तो आराम से खुलेआम घूम रहे हैं, मगर खाकी का फर्ज निभाने वाले गगनदीप सिंह को छिपा दिया गया है। रामनगर के प्रभात ध्यानी के मुताबिक अब इससे आप अंदाजा लगा लीजिये की कानून-वव्य्वस्था कैसे बीजेपी विधायक के हाथ का खिलौना है।
गगनदीप सिंह ने 22 मई को इरफान नाम के एक युवक को हिंदुत्ववादी गुंडों के हाथों से तब बचाया था, जब भीड़ ने उसे एक हिंदू लड़की के साथ पकड़ लिया था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायर हो गया, जिसके बाद गगनदीप की दुनिया भर में तारीफ हुई थी। लेकिन उसके बाद 26 मई से उनका फोन बंद है। उत्तराखंड पुलिस के उच्च सूत्रों के मुताबिक वह अत्यधिक तनाव में हैं। गगनदीप सिंह का घर उधमसिंह नगर के जसपुर में है और स्थानीय लोग उन्हें और उनके परिवार को अच्छी तरह से जानते हैं। यह उनके परिवार के लिये भी परेशानी का कारण है। गगनदीप के पिता की मौत 1996 में हो गई थी और तब वो 5 साल के थे। उनके परिवार में सिर्फ उनकी मां हैं।
गगनदीप सिंह ने सिर्फ अपना फर्ज निभाया, मगर उनके लिये पैदा हुई ताजा स्थिति चिंता का विषय है। स्थानीय सिख समाज में भी इसको लेकर खासी नाराजगी है। उधमसिंह नगर को मिनी पंजाब कहा जाता है। अब इस मामले ने राजनितिक रूप लेना शुरू कर दिया है। उत्तराखंड के डीजीपी दफ्तर ने इस मामले में अब तक चुप्पी साधे रखा है। उन्होंने गगनदीप सिंह को मिल रही धमकी से भी इंकार किया है। इस बीच रामनगर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है, जिसकी वजह से यहां पीएसी बुला ली गई है।
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