कोरोना काल में भी ‘पेड न्यूज’ चलवा रही उत्तराखंड की बीजेपी सरकार? खबर चलाने वालों को दिए जा रहे इतने रुपए

कोरोना वायरस से निपटने के लिए जनजागरण जरूरी है, लेकिन उसके लिए सरकार के पास भुगतान कर विज्ञापन जारी करने और निःशुल्क विज्ञप्तियां छपवाने या प्रचारित करने सहित कई दूसरे विकल्प भी हैं। लेकिन सरकार जो रास्ता अपना रही है उसे अपनी कमियां छिपाने और अपनी वाहवाही कराने का प्रयास माना जा रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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जयसिंह रावत

उत्तराखंड के त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार पर कोरोना वायरस के बारे में जागरूकता फैलाने के नाम पर पेड न्यूज चलवाने का आरोप है। दरअसल सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के सहायक निदेशक ने अपने कार्यालय आदेश संख्या मेमो/सूएवंलोस वि/42/2015 दिनांक 26 मार्च 2020 में स्पष्ट रूप से कहा है कि ‘‘प्रतिदिन कोरोना वायरस से बचाव के लिए जन जागरूकता और सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के आलेख/समाचार प्रकाशित करना होगा। उक्त विषयक समाचार (कम से कम सात) की स्क्रीन शाॅट संलग्न न होने की दशा में में भुगतान नहीं किया जाएगा।’’ इसके लिए सूचना विभाग ने 18,669 रुपए की राशि रखी हुई है। इस आदेश को जानकार पेड न्यूज का मामला बता रहे हैं। जानकरा इसे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइड लाइन का स्पष्ट उल्लंघन भी मान रहे हें।

कोरोना काल में भी ‘पेड न्यूज’ चलवा रही उत्तराखंड की बीजेपी सरकार? खबर चलाने वालों को दिए जा रहे इतने रुपए

ये सही है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए जनजागरण जरूरी है, लेकिन उसके लिए सरकार के पास भुगतान कर विज्ञापन जारी करने और निःशुल्क विज्ञप्तियां छपवाने या प्रचारित करने सहित कई दूसरे विकल्प भी हैं। लेकिन सरकार जो रास्ता अपना रही है उसे न्यूज पोर्टलों का मुंह बंद कर अपनी कमियां छिपाने और अपनी वाहवाही कराने का प्रयास माना जा रहा है। प्रेस काउंसिल के सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त का कहना है “अगर समाचार या आलेख का भुगतान करने की बात है तो यह स्पष्ट रूप से पेड न्यूज का मामला है और पेड न्यूज या भुगतान कर आलेख छपवाना प्रेस की आजादी का दुरुपयोग और पाठकों या दर्शकों से अर्जित विश्वसनीयता की बिक्री कराने का प्रयास है।’’ जयशंकर गुप्त जनजागरण को जरूरी मानते हैं, लेकिन इस तरीके को गलत मानते हैं। इसी प्रकार प्रेस काउंसिल द्वारा पेड न्यूज पर 2010 में गठित 12 सदस्यीय समिति के सदस्य रहे एस.एन. सिन्हा के अनुसार, “समाचार और विज्ञापन दो अलग-अलग तरह की सूचनाएं हैं। अगर समाचार जैसी सामग्री के नीचे विज्ञापन नहीं लिखा गया और विज्ञापन जारी करने वाले का उल्लेख नहीं किया गया तो वह पेड न्यूज ही है जिसके खिलाफ प्रेस काउंसिल समय-समय पर दिशा निर्देश जारी करती रही है।’’


इतना ही नहीं उत्तराखंड के बीजेपी विधायकों पर भड़काऊ बयान और गलत पोस्ट डालने के भी आरोप लगे हैं। बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट ने अपने फेसबुक अकाउंट पर बिजनौर से आने वाले एक खास समुदाय के लोगों की पहचान बताते हुए उनके द्वारा बेची जाने वाली सब्जियां और अन्य सामग्री न खरीदने की अपील कर दी। उन्होंने यह तक लिखा कि इन लोगों से नाई औक पेन्टर जैसी सेवाएं भी नहीं ली जानी चाहिए।वहीं रुद्रपुर से बीजेपी के विधायक राजकुमार ठुकराल और लक्सर के संजय गुप्ता तो अपने सांप्रदायिक बयानों के कारण पहले से ही चर्चा में रहते रहे हैं। ऐसे वक्त पर जब सबको मिलकर कोरोना जैसे महामारी से लड़ना चाहिए बीजेपी विधायक नफरत फैलाने में लगे हैं।

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