वाराणसी हादसाः यूपी पुलिस का दावा, निर्माण कार्य में की जा रही थी नियमों की अनदेखी 

वाराणसी फ्लाईओवर हादसे को लेकर यूपी पुलिस ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि पुल के निर्माण कार्य के दौरान नियमों की अनेदखी की जा रही थी, जिसे लेकर यूपी पुलिस की ओर से राज्य सेतु निगम को 5 चिठ्ठियां लिखी गई थीं।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

वाराणसी फ्लाईओवर हादसे को लेकर यूपी पुलिस ने दावा किया है कि पुल के निर्माण कार्य में निगम की ओर से लगातार नियमों का उल्लंघन किया जा रहा था, जिसे लेकर यूपी पुलिस ने निगम को कम से कम 5 बार पत्र लिखा था। इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक आईजी दीपक रतन ने कहा कि पुलिस ने नवंबर तक राज्य सेतु निगम को 5 बार चिट्ठी लिखी। इन चिट्ठियों में निगम से कहा गया था कि निर्माण कार्य के दौरान ट्रैफिक का ध्यान रखा जाए। जिस समय निर्माण कार्य किया जा रहा हो, वे अपने लोगों को वहां तैनात करें ताकि ट्रैफिक नियमों का पालन हो सके। इसके लिए वे पुलिस की भी सहायता ले सकते हैं।

ट्रैफिक एसपी सुरेश चंद्र ने सेतु निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर केआर सूदन को फरवरी में 13 दिन के अंदर में दो पत्र लिखकर बैरीकेडिंग का दायरा घटाने और पुल के दोनों ओर सर्विस लेन को और चौड़ा करने को कहा था। उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो 19 फरवरी से वे वहां तैनात किये गए ट्रैफिक पुलिस को हटा लेंगे। इसके बाद निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर ने फरवरी और मार्च में ट्रैफिक एसपी को दो पत्र लिखे , जिसमें बताया गया कि सर्विस लेन पानी से खराब हो गई है। आईजी दीपक रतन ने कहा कि हमारे बार-बार कहने के बाद भी राज्य सेतु निगम ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

16 मई को हुए फ्लाईओवर हादसे के मामले में पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर सिगरा थाने में सेतु निगम के अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया। यह केस रोडवेज चौकी इंचार्ज घनान्द मिश्रा की ओर से दर्ज कराया गया। एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि हादसे में सेतु निगम के चीफ प्रोजेक्ट ऑफिसर, मैनेजर, ठेकेदार और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ धारा 304, 308, 427 और लोक सम्पत्ति अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।

पुलिस का कहना है कि 19 फरवरी को राज्य सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक के खिलाफ जब पहली बार कई धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया गया था, अगर उसस समय राज्य सेतु निगम ने कोई कार्रवाई की होती या निर्माणाधीन पुल पर ध्यान दिया होता तो शायद इस तरह की घटना नहीं होती।

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