'वोटों की चोरी बर्दाश्त नहीं, वोटर लिस्ट के साथ खिलवाड़ कर रहे अधिकारी', SIR के मुद्दे पर संसद में हंगामा जारी
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने एसआईआर के मुद्दे पर कहा, "विरोध तबतक चलता रहेगा जबतक इस पर सदन में चर्चा नहीं हो जाती और चुनाव आयोग सही जवाब नहीं दे देता है। इस तरह से वोटों की चोरी लोगों को बर्दाश्त नहीं है।"

बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी दल संसद के दोनों सदनों में चर्चा चाहते हैं। विपक्षी दल के सदस्यों ने बुधवार को भी एसआईआर सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था, लेकिन आसन द्वारा खारिज कर दिया गया। राज्यसभा और लोकसभा दोनों का यही हाल है। विपक्षी दल एसआईआर को लेकर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस और उसके सहयोगी दल मानसून सत्र में पिछले कई दिनों से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं, जिससे सदन में गतिरोध बना हुआ है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि वोटरक लिस्ट के साथ खिलवाड़ हो रहा है। लोगों के वोट डालने के अधिकार को छीना जा रहा है। अखिलेश यादव ने संसद के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा, "लोकतंत्र तब मजबूत होगा जब सबका वोट डालने का जो अधिकार है, वो मिलेगा। जब वो ही अधिकार छीना जा रहा है तो हम कहां आवाज उठाएं? सरकार को सुनना चाहिए और उन अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए जो लगातार वोटर लिस्ट के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।“
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि संसद में इस पर चर्चा होनी चाहिए। सभी पार्टी के सांसद इस मुद्दे पर अपनी राय रखें और इसमें जो कमियां हैं उसे दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग विपक्षी दलों की शिकायतों पर गौर नहीं करता है। अखिलेश ने आरोप लगाया कि चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को फायदा हो इस तरह से अधिकारियों की ड्यूटी लगाई जाती है और फर्जी वोट डलवाए जाते हैं।
आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने एसआईआर के मुद्दे पर कहा, "यह एसआईआर नहीं है, यह इंटेंसिव डिलीशन है। कोई वर्गीकरण नहीं, कोई ईपीक नंबर नहीं। मैं समझता हूं कि यह घोर अलोकतांत्रिक है।"
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने एसआईआर के मुद्दे पर कहा, "विरोध तबतक चलता रहेगा जबतक इस पर सदन में चर्चा नहीं हो जाती और चुनाव आयोग सही जवाब नहीं दे देता है। इस तरह से वोटों की चोरी लोगों को बर्दाश्त नहीं है।"
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ है और तब से आज तक विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से उच्च सदन में एक बार भी शून्यकाल नहीं हो पाया है। विपक्षी दल बिहार एसआईआर के मुद्दे पर संसद में चर्चा की मांग कर रहे हैं।