हिमाचल में अगली सरकार का रहस्य वोटिंग मशीन में बंद, 74 फीसदी मत पड़े, 18 दिसंबर को आएंगे परिणाम

हिमाचल विधानसभा चुनाव में 74 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि 2012 में हुए चुनाव में 73.5 फीसदी वोट पड़े थे। राज्य में पहली बार वोटिंग के लिए VVPAT मशीनों का इस्तेमाल किया गया।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

हिमाचल प्रदेश विधानसभा की सभी 68 सीटों के लिए आज सुबह 8 बजे से जारी मतदान 6 बजे खत्म हो गया। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, बीजेपी के सीएम उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल समेत 337 उम्मीदवारों की किस्मत अब ईवीएम में कैद हो गई है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सत्तारूढ़ कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री धूमल की अगुवाई में बीजेपी ने सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ा है। बीएसपी 42 सीट पर, माकपा 14 सीट पर, स्वाभिमान पार्टी और लोक गठबंधन पार्टी 6-6सीटों पर और भाकपा ने 3 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा था। चुनाव के नतीजे 18 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। हिमाचल में मुख्य टक्कर बीजेपी और कांग्रेस में है।

हिमाचल विधानसभा चुनाव में शाम 6 बजे तक 74 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि 2012 में हुए चुनाव में 73.5 फीसदी वोट पड़े थे। राज्य में पहली बार वोटिंग के लिए VVPAT मशीनों का इस्तेमाल किया गया। इस बार 19 लाख महिलाओं और 14 ट्रांसजेंडर सहित कुल 50.25 लाख मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया।

वोट देने पहुंचे वर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि अगली सरकार कांग्रेस की ही होगी। उन्‍होंने कहा, “हिमाचल के लोगों की रगों में मेहनत बहती है। आपकी सेवा में अपना जीवन देना मेरे लिए सम्‍मान है। यहां तक कि निजी हमले भी मुझे रोक नहीं सकते। मुझे लगता है कि मिलकर हम हिमाचल प्रदेश को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।”

बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल ने भी अपने पूरे परिवार के साथ हमीरपुर में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। उनके साथ बीजेपी सांसद और उनके बेटे अनुराग ठाकुर भी मौजूद थे। सुखराम ने भी अपने परिवार के साथ मतदान किया। उन्होंने दावा किया कि हमारा लक्ष्य 50 से अधिक सीटें पाने का था, अब हमें लगता है हम 60 का आंकड़ा पार कर सकते हैं।

हिमाचल की सियासत में 55 साल से सक्रिय वीरभद्र सिंह 6 बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। उन्होंने 25 साल की उम्र में सांसद बनने का इतिहास भी रचा था।

पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य की 68 सीटों में से कांग्रेस को 36, बीजेपी को 26 तो अन्य को 6 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 2007 की तुलना में 2012 के विधानसभा चुनाव में 13 सीटों का फायदा हुआ था, जबकि बीजेपी को 2007 की तुलना में 2012 में 16 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था।

हिमाचल प्रदेश में मतदान के बाद अगली सरकार का तो तय हो गया है, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान कई उतार-चढ़ाव आते रहे। लोगों की राय कमोबेश मिली-जुली थी। एक बात साफ थी कि बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए जीएसटी, नोटबंदी और महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार का बचाव करना मुश्किल हो रहा था।

सोलन में एक शिक्षिका पुष्पा सिंह ने कहा, “मैंने 2014 में मोदी को वोट दिया था, लेकिन अब इस बात का मुझे अफसोस है। उन्होंने आम लोगों के लिए कुछ नहीं किया। गैस सिलेंडर का दाम दोगुना कर दिया, महंगाई से हालत खराब है, जीएसटी से मेरे पति का कारोबार बैठ गया। पर क्या करें, हमारे हिमाचल में तो चलन ही है, एक बार कांग्रेस तो दूसरी बार बीजेपी। इस लिहाज से बहुत से लोग बीजेपी के लिए मौका बता रहे हैं, लेकिन इतना आसान नहीं है।”

इस तरह की दुविधा बहुत से लोगों में नजर आई। शिमला में वोट देकर आई सरकारी सेवा में कार्यरत प्रेमा बाला का कहना था कि कांग्रेस की वापसी हो सकती है।

शिमला में एक होटल में काम करने वाले वाले 26 साल के नृपेंद्र मिश्रा ने बिना किसी झिझक और दुविधा के बोला कि इस बार इतिहास बदलने जा रहा है, कांग्रेस की सरकार बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि सैनिक बीजेपी सरकार से बहुत नाराज हैं। वन रैंक, वन पेंशन वालों ने शिमला में बैठक करके खुलेआम बीजेपी के खिलाफ वोट देन की अपील की थी।

(एजेंसी और हिमाचल प्रदेश से भाषा सिंह के इनपुट के साथ)

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