कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, हम तीन तलाक बिल के पक्ष में, लेकिन कुछ संशोधनों के साथ 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तीन तलाक कानून के पक्ष में है, लेकिन इसके कुछ प्रावधान आपत्तिजनक हैं जिनमें संशोधन की जरूरत है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जारी गतिरोध के कारण सरकार इस सत्र में तीन तलाक बिल पास नहीं करा पाई। कुछ मुद्दों को लेकर विपक्ष द्वारा तीन तलाक बिल का विरोध किए जाने पर बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि उनकी पार्टी पूरी तरह से इस कानून के पक्ष में है, “लेकिन इसके कुछ प्रावधान आपत्तिजनक हैं। आजाद ने संसद में सरकार द्वारा पेश विधेयक को लेकर कहा कि इसमें सरकार ने पीड़ितों के भरणपोषण के बारे में स्पष्टीकरण नहीं दिया है।“

संसद का शीतकालीन सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के बाद दिल्ली में कई मुद्दों को लेकर आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में आजाद ने कहा, “हम पूरी तरह से तीन तलाक पर कानून के पक्ष में हैं, लेकिन सरकार द्वारा पेश विधेयक के कुछ प्रावधान आपत्तिजनक हैं।‘ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “पिछले 3 साल से आए नए चलन के तहत केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव समितियों और प्रचार का काम दिया जा रहा है। आजाद ने कहा, यह लोकतंत्र औऱ देश के विकास के लिए अच्छा नहीं है।“

इससे पहले संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन भी राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास नहीं हो पाया। विपक्ष इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग पर अड़ा था, जबकि सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। अब बजट सत्र में ही तीन तलाक बिल पर कोई फैसला होने की उम्मीद है।

इससे पहले 4 जनवरी को राज्‍यसभा में बिल को लेकर काफी हंगामा हुआ था। विपक्ष बिल को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग पर अड़ा हुआ था, लेकिन सरकार ने ऐसा करने से मना करती रही। यह बिल लोकसभा से पहले ही पास हो चुका है। लोकसभा में 28 दिसंबर, 2017 को तीन तलाक बिल पास हुआ था। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2017 तीन तलाक या मौखिक तलाक को आपराधिक घोषित करता है, और इसमें तीन तलाक देने वाले के खिलाफ तीन साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। यह बिल मुस्लिम महिलाओं को भरण-पोषण और बच्चे की निगरानी का अधिकार देता है।

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