तस्लीमा नसरीन का मुनव्वर राणा पर हमला, कहा- वो प्रगतिवादी शायर नहीं आतंकवादी हैं, हत्यारों का समर्थन करते हैं

जानी-मानी बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने मुनव्वर राणा को आंतकवादी करार दिया है। बता दें कि शायर मुनव्वर राणा ने कहा था कि अगर वे फ्रांस के राष्ट्रपति होता, तो उस कार्टूनिस्ट को फांसी की सजा देते जिसने पैगंबर मुहम्मद का कार्टून बनाया था।

फोटो: सोशल मीडिया
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रवि प्रकाश @raviprakash24

पैगंबर मुहम्मद के कार्टून को लेकर शायर मुनव्वर राणा के बायन पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। जानी-मानी बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने मुनव्वर राणा को आंतकवादी करार दिया है। बता दें कि शायर मुनव्वर राणा ने कहा था कि अगर वे फ्रांस के राष्ट्रपति होता, तो उस कार्टूनिस्ट को फांसी की सजा देते जिसने पैगंबर मुहम्मद का कार्टून बनाया था। उनके इसी बायन को लेकर तसलीमा नसरीन ने कहा कि मुनव्वर राणा हत्यारों का समर्थन करते हैं। ऐसे में उन्हें शायर नहीं आतंकवादी माना जाना चाहिए।

तसलीमा ने मुनव्वर राणा के बयान से जुड़ी एक खबर को शेयर करते हुए लिखा ” भारतीय मुनव्वर राणा को एक प्रगतिशील मुस्लिम मानते हैं! लेकिन वह एक आतंकवादी है। उसने कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति होता तो फ्रांस के उस कार्टूनिस्ट को मार डालता। वह उन मुस्लिम आतंकवादियों का समर्थन करता है जिन्होंने फ्रांस में लोगों को मार है। इस मूर्ख ने कुछ भी जाने बिना मेरे बारे और मेरे संघर्ष के बारे में भी झूठ बोला है।”

राणा ने फ्रांस में 16 अक्टूबर को हुए आतंकी हमले को सही ठहराते हुए कहा था, "हमला करने वाले की जगह मैं होता तो भी ऐसा ही करता। किसी को इतना मजबूर न करो कि वह कत्ल करने के लिए तैयार हो जाए। मोहम्मद साहब का कार्टून बनाकर हमलावर को कत्ल करने के लिए मजबूर किया गया। अगर कोई भगवान राम का विवादित कार्टून बनाएगा तो मैं उसका भी कत्ल कर दूंगा।" इसे लेकर उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है। हालांकि इसके बाद उन्होने सफाई भी दी थी। मुनव्वर राणा ने सफाई में कहा था कि मैंने अध्यापक की हत्या का समर्थन नहीं किया। जिसने कार्टून बनाया उसने गलत किया, जिसने हत्या की गलत किया।

तस्लीमा नसरीन ने ट्वीट कर असदुद्दीन ओवैसी पर भी हमला बोला था। उन्होंने ट्वीट किया- ओवैसी अक्सर कहते हैं कि वो विदेशी हैं और उन्हें भारत में इस्लाम पर बात करने का कोई अधिकार नहीं है। आम तौर पर मुद्दा यह नहीं है कि विदेशी हैं या नहीं, पर सवाल यह है कि क्या वह अभिव्यक्ति की आजादी में विश्वास करते हैं या नहीं। अगर कोई इस्लाम की अलोचना करें तो उस पर हमला करते हैं जिस तरह से उसने मुझ पर हमला किया है।

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