वीजा सेवाएं निलंबित करने के बाद बांग्लादेश ने भारतीय राजदूत को किया तलब, देश में हिंसा और विरोध से बिगड़े हालात
बांग्लादेश में जारी हिंसा और विरोध प्रदर्शनों के बीच वीजा सेवाएं रोकने के बाद ढाका ने भारतीय राजदूत को तलब किया, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में नई तल्खी देखने को मिली।

बांग्लादेश इस समय गंभीर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। राजधानी ढाका से लेकर देश के अन्य हिस्सों तक हिंसा, विरोध प्रदर्शन और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि इसका असर अब सीधे भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी दिखाई देने लगा है।
इसी क्रम में बांग्लादेश ने भारत के तीन शहरों, नई दिल्ली, त्रिपुरा और सिलीगुड़ी, में वीज़ा सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी हैं। ढाका का कहना है कि यह फैसला “अपरिहार्य परिस्थितियों”, यानी हालात की मजबूरी के कारण लिया गया है।
भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक तल्खी
वीजा सेवाएं रोकने के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारतीय दूत को तलब किया और भारत में स्थित बांग्लादेशी मिशनों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। इससे पहले भारत भी ढाका में बिगड़ती कानून-व्यवस्था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज हामिदुल्लाह को तलब कर चुका है।
भारत ने साफ शब्दों में कहा कि बांग्लादेश में राजनयिक परिसरों और अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा को लेकर हालात चिंताजनक हैं और इस पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
एक हत्या, जिसने हालात को विस्फोटक बना दिया
वर्तमान संकट की जड़ ढाका में युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या मानी जा रही है। हादी पिछले साल हुए ‘जुलाई आंदोलन’ का प्रमुख चेहरा थे, जिसने शेख हसीना की सरकार को सत्ता से हटाने में अहम भूमिका निभाई थी।
ढाका के बिजयनगर इलाके में बेहद नजदीक से गोली मारे जाने के बाद हादी को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। इस घटना ने बांग्लादेश में गुस्से की लहर पैदा कर दी और देखते-देखते विरोध प्रदर्शन देशभर में फैल गए।
भारत विरोधी नारे और दूतावासों के बाहर प्रदर्शन
हादी की हत्या के बाद बांग्लादेश में कई जगह भारत विरोधी प्रदर्शन हुए। बांग्लादेशी मिशनों के बाहर नारेबाजी और भीड़ जुटने लगी। इसी के बाद बांग्लादेश सरकार ने भारत में वीज़ा सेवाएं रोकने का फैसला लिया।
इससे पहले भारत ने भी चटगांव स्थित अपने मिशन में वीजा सेवाएं निलंबित की थीं, जब प्रदर्शनकारियों ने परिसर में घुसने की कोशिश की थी।
हिंदू युवक की हत्या से बढ़ा अल्पसंख्यकों का डर
हालात तब और बिगड़ गए जब मयमनसिंह में एक युवा हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। दीपू एक फैक्ट्री में काम करता था और हाल ही में उसे उसकी मेहनत के लिए प्रमोशन मिला था।
आरोप है कि उसे झूठे तरीके से धार्मिक अपमान के मामले में फंसाया गया और फिर बेरहमी से मार डाला गया। इस घटना के विरोध में ढाका के नेशनल प्रेस क्लब के बाहर हिंदू संगठनों और अल्पसंख्यक अधिकार समूहों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इसे धार्मिक कट्टरता और सरकारी निष्क्रियता का नतीजा बताया।
अमेरिका की एंट्री और चुनाव को लेकर बयान
इस बीच अमेरिका भी बांग्लादेश की स्थिति पर नजर बनाए हुए है। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के विशेष दूत सर्जियो गोर ने फोन पर करीब आधे घंटे बातचीत की।
यूनुस ने भरोसा दिलाया कि देश में 12 फरवरी को स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अपदस्थ अवामी लीग के समर्थक चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने के लिए विदेश से हिंसा भड़का रहे हैं।
आंदोलन की चेतावनी और एक और नेता पर हमला
शरीफ हादी के नेतृत्व वाले मंच इंकलाब मंच ने सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी है कि अगर न्याय नहीं मिला तो बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा। संगठन ने त्वरित ट्रायल, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की जांच और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही की मांग की है।
इसी बीच छात्र आंदोलन से जुड़े एक और युवा नेता मोतालेब शिकदर को खुलना में सिर में गोली मार दी गई। इस घटना ने यह आशंका और गहरी कर दी है कि आंदोलन से जुड़े नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
मीडिया संस्थानों पर हमले
हिंसा की आंच मीडिया तक भी पहुंच गई। ढाका में प्रोथोम आलो, द डेली स्टार समेत कई बड़े मीडिया संस्थानों पर हमले हुए। प्रोथोम आलो को 27 साल में पहली बार अपना प्रिंट संस्करण रोकना पड़ा।
मोहम्मद यूनुस ने इन हमलों की निंदा करते हुए इसे सच और प्रेस की आज़ादी पर हमला बताया। बाद में प्रशासन ने कहा कि वीडियो फुटेज के आधार पर 31 संदिग्धों की पहचान की गई है और कुछ गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
शेख हसीना का हमला और भविष्य की अनिश्चितता
भारत में निर्वासन में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मौजूदा हालात के लिए यूनुस को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार कट्टरपंथियों को बढ़ावा दे रही है, अल्पसंख्यकों को सुरक्षा नहीं दे पा रही और भारत-बांग्लादेश संबंधों को नुकसान पहुंचा रही है।
शेख हसीना का कहना है कि जब तक वैध और चुनी हुई सरकार नहीं आती, तब तक हालात सामान्य नहीं होंगे।
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