इजरायल और ईरान में संघर्ष के बीच बड़ा खुलासा! इजरायल पर दागी गई ईरानी मिसाइलों को रोकने में मदद कर रहा अमेरिका!
अधिकारी ने कहा कि अमेरिका मिसाइल रोकने में सहायता करने और क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए इजरायल के करीब अपनी प्रणालियों को ले जा रहा है।

अमेरिकी सेना ईरान की ओर से इजरायल पर जवाबी कार्रवाई में दागी गई मिसाइल को रोकने में मदद कर रही है। अमेरिका के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि अमेरिका मिसाइल रोकने में सहायता करने और क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए इजरायल के करीब अपनी प्रणालियों को ले जा रहा है।
अधिकारी ने यह नहीं बताया कि अमेरिका ने किस तरह से सहायता प्रदान की, लेकिन अमेरिकी वायुसेना के लड़ाकू विमानों और विध्वंसक मिसाइल रक्षा प्रणाली ने पिछले हमलों के दौरान मिसाइल को रोका है। अधिकारी ने अपनी पहचान गोपनीय रखे जाने की शर्त पर यह जानकारी दी।
इजरायल ने शुक्रवार को ईरान के परमाणु और सैन्य ढांचे पर युद्धक विमानों और ड्रोन से भीषण हमले किए, ताकि प्रमुख प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा सके और शीर्ष जनरल एवं वैज्ञानिकों को मारा जा सके।
इसके बाद ईरान ने शुक्रवार को इजरायल की ओर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइल दागीं। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी आईआरएनए के मुताबिक, ईरान ने देश के परमाणु और सैन्य स्थलों पर इजरायल के भीषण हमलों के जवाब में यह कदम उठाया। उसने बताया कि ईरानी सेना ने इजरायल के खिलाफ अपने अभियान को ‘सिवियर पनिशमेंट’ (गंभीर सजा) नाम दिया है।
इजराइल ने लगातार दूसरे दिन ईरान पर मिसाइलें दागीं। इजरायल के लड़ाकू विमानों ने शुक्रवार देर रात ईरान के परमाणु ठिकानों को दोबारा निशाना बनाया। इजरायली हमलों में अब तक 78 लोग मारे जाने और 350 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है।
उधर, जवाब में ईरान ने 150 बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल पर दागीं। इनमें से 6 मिसाइलें राजधानी तेल अवीव में गिरी, जिसमें 1 महिला की मौत हो गई। वहीं, 63 लोग घायल हो गए। ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स में इजरायली रक्षा मंत्रालय को भी निशाना बनाने का दावा किया गया है।
ईरान की ओर से हमले को देखते हुए इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को सुरक्षित ठिकाने पर भेज दिया गया है। इजरायल ने एक दिन पहले शुक्रवार सुबह 5:30 बजे ईरानी परमाणु और कई मिलिट्री ठिकानों को निशाना बनाया था। इसमें 6 परमाणु वैज्ञानिक और 20 से ज्यादा मिलिट्री कमांडर्स मारने के दावे किए गए थे।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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