इंसानी कारस्तानियों की वजह से गहराया जलवायु संकट, यूरोप में सूखती नदियों और घटते पानी से लोग परेशान

इंसानी गतिविधियों के कारण तेज हुआ जलवायु परिवर्तन और पानी के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण दक्षिणी यूरोप के लोग लू और लंबी अवधि के सूखे का सामना कर रहे हैं। कहीं पानी की सप्लाई में कटौती है तो कहीं कोटा तय किया जा रहा है।

फोटो: DW
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डॉयचे वेले

हालात यह है कि अब इटली और पुर्तगाल की सरकारें लोगों से पानी का इस्तेमाल कम से कम करने की अपील कर रही हैं। हालांकि कई जगहों पर तो इतने से भी कुछ नहीं होगा। यूरोपीय संघ में पानी के कुल इस्तेमाल का महज 9 फीसदी ही निजी तौर पर होता है जबकि 60 फीसदी पानी का इस्तेमाल अकेले खेती में होता है। यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी ईईए के जल विशेषज्ञ निहत जल का कहना है, "सूखा तो एक बात है लेकिन जल तंत्र से हम कितना पानी लेते हैं यह बड़ा सवाल है।"

इटली

हालात सबसे ज्यादा बुरे शायद इटली में ही हैं। यह इलाका बीते 70 सालों में सबसे बड़े सूखे का सामना कर रहा है 100 से ज्यादा शहरों में लोगों से पानी का इस्तेमाल जितना संभव है सीमित करने को कहा गया है। सोमवार को इटली की सरकार ने पांच इलाकों में इस साल के अंत तक के लिए आपातकाल की घोषणा की है। सरकार ने जल संकट का सामना करने के तात्कालिक उपायों के लिए 3.6 करोड़ यूरो देने की योजना बनाई है।

कई महीनों के सूखे और सर्दियों में कम बारिश के कारण डोरा बाल्टेया और पो में पानी का तल सामान्य के मुकाबले आठ गुना नीचे चला गया है। यह इटली की सबसे लंबी नदियां हैं। ये दोनों नदियां पूरे यूरोप के सबसे प्रमुख खेती के इलाकों की प्यास बुझाती हैं। फिलहाल सूखे के कारण 30 फीसदी उत्पादन पर खतरा मंडरा रहा है। सेसिया नदी के आसपास के उत्तर पश्चिमी इलाके में सिंचाई विभाग ने पहले ही फल और चिनार के पेड़ों को पानी नहीं देने का आदेश जारी कर दिया है। इससे बचे हुए पानी का इस्तेमाल आर्थिक रूप से फायदेमंद चावल की फसल को सींचने में होगा।

वेरोना के मेयर ने गार्डन, खेल के मैदान में पानी डालने, कार या आंगन धोने और स्विमिंग पूल में पानी के इस्तेमाल पर अगस्त तक के लिए रोक लगा दी है। यह सब इसलिए किया जा रहा है जिससे कि पीने के पानी की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके। सब्जियों के बाग में भी केवल रात को ही पानी डाला जा सकेगा। पानी का कोटा पीसा में भी तय हो गया है। इस महीने पानी का इस्तेमाल केवल घरेलू और निजी साफ सफाई के लिए ही हो सकेगा। किसी और काम में पानी का इस्तेमाल करने पर 500 यूरो का जुर्माना देना होगा।

मिलान में सारे सजावटी पानी के फव्वारे फिलहाल बंद कर दिए गए हैं. कास्तेनासो टाउन के मेयर ने तो पानी की समस्या से जूझने का एक नया तरीका निकाला है. मेयर ने हजाम और हेडरड्रेसरों को ग्राहकों के बाल दो बार धोने पर रोक लगा दी है. 16000 बाशिंदों के छोटे से टाउन में 10 हेयरड्रेसर हैं. इस कदम के जरिये हर रोज हजारों लीटर पानी की बचत करने का लक्ष्य है.

पुर्तगाल

पुर्तगाल ने बेहद सूखे मौसम की तैयारी पिछले साल सर्दियों में ही शुरू कर दी थी। 2022 की शुरुआत में बारिश की कमी और बांधों में घटते जलस्तर को देखने के बाद सरकार ने पनबिजली संयंत्रों का इस्तेमाल प्रति हफ्ते सिर्फ दो घंटे पर सीमित कर दिया। इसके जरिये पुर्तगाल के करीब एक करोड़ लोगों को कम से कम अगले दो साल तक पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। सर्दियों में जिस तस्वीर की कल्पना की गई थी वह और ज्यादा प्रभावी रूप से आज सामने आ रही है। मई के आखिर तक देश के 97 फीसदी हिस्से में भारी सूखे का प्रभाव जम चुका था।

कोयला, तेल और गैस अत्यधिक जलाने के कारण यहां आम तौर पर सूखा 10 साल में एक बार आता है लेकिन भूमध्यसागरीय इलाके में इसका आगमन दोगुना होने की आशंका बहुत प्रबल हो चुकी है। कुछ इलाके तो एक हजार साल में सबसे भयानक सूखे का सामना कर रहे हैं। दक्षिणी पुर्तगाल के सिल्वेस, लागोआ और पोर्तिमाओ टाउन के कृषि सिंचाई संघ ने पहले ही एक आपातकालीन योजना लागू कर दी है। यहां 1800 फार्मों में कुछ फसलों की सिंचाई आधी कर दी गई है।

पुर्तगाल के पर्यावरण और जलवायु मंत्री डुआर्ते कॉरडिरो ने पिछले हफ्ते बताया कि मौजूदा तैयारियों के बावजूद देश को भविष्य में पानी की पाबंदियों और ऊंची कीमतों के साथ जीने की आदत डालनी होगी। डुआर्ते ने कारोबारी समुदाय से पानी बचाने के उपायों में निवेश करने का अनुरोध किया है। निहात जल का कहना है, "औसत रूप से 25 फीसदी ताजा पानी नदी जैसे स्रोतों से औद्योगिक इलाकों तक पहुंचने में बर्बाद हो जाता है।" उन्होंने यह भी कहा कि पानी के बुनियादी ढांचे को ज्यादा दक्ष बनाने से "काफी बचत" हो सकती है।

स्पेन

स्पेन भी अत्यधिक सूखे का सामना कर रहा है और इसके कुल इलाके के करीब दो तिहाई हिस्से के बंजर होने की आशंका है। कभी उपजाऊ रही मिट्टी तेजी से रेत में बदल रही है। स्पेन के मौसमविज्ञान विभाग के मुताबिक 1961 के बाद स्पेन सबसे अधिक सूखे का सामना कर रहा है। उत्तर में 17 स्थानीय इलाकों को फरवरी में भी पानी के इस्तेमाल में भारी कटौती शुरू करनी पड़ी। इनमें से कैटेलोनिया के दो गांवों में तो लोगों को सिर्फ कुछ घंटे के लिए ही पानी मिल रहा है। आपात स्थिति के लिए म्युनिसिपल्टी गांव में पांच जगहों पर पानी की बाल्टियां भर के रखवा रही है।

बार्सिलोना के वाकारिसे टाउन में कुएं और जमीन से पानी निकालने वाले पाइप भी सूख गये हैं। फिलहाल लोगों को बस सुबह में छह से दस बजे और शाम में आठ बजे से मध्यरात्रि तक ही पानी मिल रहा है. यूरोपीय संघ में कृषि पैदावार के लिहाज से स्पेन तीसरा सबसे बड़ा देश है। यहां मौजूद ताजे पानी का 70 फीसदी कृषि में इस्तेमाल होता है। ग्रीनपीस स्पेन के खुआन बारेया कहते हैं, "मांग में इजाफा रुक नहीं रहा है। पानी बचाने की नीतियों का प्रस्ताव लाने की बजाय हम ऐसे काम कर रहे हैं जैसे कि स्पेन के पास नॉर्वे और फिनलैंड जितना पानी हो. सच तो यह है कि हम उत्तरी अफ्रीका के स्तर पर पहुंच चुके हैं।"

वैसे तो कृषि भूमि के एक बड़े हिस्से में पहले से ही बूंद बूंद सिंचाई का तरीका इस्तेमाल हो रहा है जो काफी प्रभावी है लेकिन कम से कम 20 फीसदी जमीन में अब भी पुराने तरीकों से ही सिंचाई हो रही है जो बहुत ज्यादा टिकाऊ नहीं है। जल संकट के बेहतर प्रबंधन के लिए जरूरी है कि संकट संभालने और पानी का कोटा तय करने की बजाय लंबे समय के उपायों पर काम किया जाए। इसका मतलब है कि पानी के इस्तेमाल को ज्यादा कुशल बनाना, जोखिम का प्रबंधन भविष्य के हिसाब से बनाना और अगले संकट की तैयारियों में जुट जाना। इसके साथ ही इसका एक मतलब यह भी है कि जलवायु परिवर्तन के हिसाब से इंसान के स्तर पर, स्थानीय स्तर पर, सरकार के स्तर और हर स्तर पर बदलाव करना।

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