लेबनान के डिप्टी पीएम ने देश के दिवालिया होने की घोषणा की, अंतरराष्ट्रीय संगठन ने मानवीय संकट की चेतावनी दी

लेबनान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बीच देश को गहरे वित्तीय संकट से निकलने के लिए एक पैकेज पर हस्ताक्षर करने के लिए बातचीत चल रही है। वार्ता में बैंकिंग क्षेत्र के पुनर्गठन, आर्थिक सुधार योजना, बजट मंजूरी के साथ एक पूंजी नियंत्रण मसौदा विधेयक शामिल है।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

लेबनान के उप प्रधानमंत्री सादे चामी ने नकदी संकट से जूझ रहे देश के राज्य और केंद्रीय बैंक के दिवालियेपन की घोषणा की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार डिप्टी पीएम ने कहा, "सेंट्रल बैंक ऑफ लेबनान और राज्य के दिवालिया होने से बहुत नुकसान हुआ है। हम लोगों के नुकसान को कम करने की कोशिश करेंगे।"

उन्होंने कहा कि लेबनान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बीच देश में गहरे वित्तीय संकट से बाहर निकलने के लिए एक पैकेज पर प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि वार्ता में बैंकिंग क्षेत्र के पुनर्गठन, एक आर्थिक सुधार योजना, बजट की मंजूरी के साथ-साथ एक पूंजी नियंत्रण मसौदा विधेयक शामिल है।


लेबनान विदेशी मुद्रा की भारी कमी के बीच एक बड़े वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। देश के वित्तीय विशेषज्ञों ने वाणिज्यिक बैंकों पर उच्च ब्याज दरों के बदले सेंट्रल बैंक ऑफ लेबनान में ग्राहकों के विदेशी मुद्रा जमा करने का आरोप लगाया। विशेषज्ञों ने कहा कि इस बीच, केंद्रीय बैंक ने लेबनानी पाउंड की विनिमय दर को स्थिर करने और राज्य के बजट घाटे को वित्तपोषित करने के लिए ग्राहकों की जमा राशि का उपयोग किया।

इस बीच लेबनान में सुधार, रिकवरी और पुनर्निर्माण ढांचे (3आरएफ) के चौथे सलाहकार समूह (सीजी) की बैठक ने बढ़ते मानवीय संकट के खिलाफ चेतावनी दी है। ये जानकारी लेबनान को यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने एक बयान जारी कर दी। समूह ने सोमवार को लेबनान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ एक समझौते और एक व्यापक आर्थिक स्थिति और रिकवरी कार्यक्रम की मदद से संकट से बाहर निकलने के लिए कहा है।


समूह ने कहा है कि लेबनान की सरकार और संसद को राजनीतिक कदम उठाने होंगे। इससे विश्वास बढ़ेगा। सुधार, रिकवरी और पुनर्निर्माण ढांचे पर सलाहकार समूह, जिसमें लेबनान सरकार, लेबनानी नागरिक समाज, यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय दाता शामिल हैं, देश के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

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