हमास ने 4 इजरायली बंधकों के सौंपे शव, 20 जीवित बंधकों की रिहाई भी की
इजरायल वॉर रूम की ओर से दो बंधकों की पहचान की पुष्टि की गई है। पहला शव तामिर निमरोदी का है, जिन्हें 7 अक्टूबर 2023 को उनके बेस से गाजा ले जाया गया था। लगभग दो वर्षों तक उनके जीवित होने की कोई सूचना नहीं थी।

दो साल के लंबे संघर्ष के बाद गाजा में शांति बहाल होने की उम्मीद दिखाई देने लगी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता प्रयासों से शुरू हुए सीजफायर प्लान के पहले चरण के तहत हमास और इजरायल के बीच सोमवार को महत्वपूर्ण प्रगति हुई। हमास ने 20 जीवित बंधकों को रिहा किया, जबकि 4 बंधकों के शवों को रेड क्रॉस के हवाले किया गया।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने पुष्टि की कि शवों को गाजा पट्टी से इजरायली रक्षा बलों (IDF) और इजरायली खुफिया एजेंसी शिन बेट (Shin Bet) के अधिकारियों ने प्राप्त किया। बाद में इन्हें सीमा पार कर तेल अवीव भेजा गया, जहां शवों की पहचान के लिए राष्ट्रीय फोरेंसिक मेडिसिन केंद्र में जांच की जा रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा, "पहचान प्रक्रिया पूरी होने के बाद परिवारों को औपचारिक सूचना दी जाएगी।"
दो शवों की हुई पहचान
इजरायल वॉर रूम की ओर से दो बंधकों की पहचान की पुष्टि की गई है। पहला शव तामिर निमरोदी का है, जिन्हें 7 अक्टूबर 2023 को उनके बेस से गाजा ले जाया गया था। लगभग दो वर्षों तक उनके जीवित होने की कोई सूचना नहीं थी।
दूसरा शव उरीएल बारूक का है, जो नोवा म्यूजिक फेस्टिवल में हमास के हमले के दौरान मारे गए थे। हमास के लड़ाके उनके शरीर को गाजा ले गए थे, जिसे अब दफनाने के लिए इजरायल लौटा दिया गया है।
हमास-इजरायल अदला-बदली समझौता
सीजफायर प्लान के तहत हमास ने 20 जीवित बंधकों के साथ 4 शवों को रेड क्रॉस के हवाले किया। इसके बदले में इजरायल ने करीब 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों और बंधकों को रिहा किया।
इजरायली सुरक्षा एजेंसियों ने जानकारी दी कि गाजा में अब भी करीब 20 और इजरायली बंधकों के शव मौजूद हैं, जिनकी वापसी की मांग इजरायल ने की है।
हमास के पास अब कोई जीवित बंधक नहीं
इससे पहले सोमवार को इजरायल ने यह घोषणा की थी कि हमास के पास अब कोई भी जीवित इजरायली बंधक नहीं है। पहले चरण में हमास ने 7 बंधकों को रिहा किया था, और फिर 13 अन्य बंधकों को छोड़ा गया।
शांति की दिशा में बड़ा कदम
विश्लेषकों के मुताबिक, यह अदला-बदली और शवों की वापसी, दो साल से जारी युद्धविराम वार्ता में अब तक की सबसे ठोस प्रगति मानी जा रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि शांति की राह अभी भी लंबी और जटिल है, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच भरोसे की कमी अब भी बनी हुई है।
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