जानिये क्या होता है एयरस्पेस और कैसे तय होता है किसी देश का उस पर अधिकार

पाकिस्तानी एयरस्पेस के बंद होने का असर भारत और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों से पश्चिमी देश जाने वाली उड़ानों पर पड़ा। भारत और इस दिशा से पश्चिमी देश जाने वाले विमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ऊपर से आते-जाते थे, लेकिन एयरस्पेस बंद होने के बाद यह रुक गया था।

फोटोः सोशल मीडिया
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DW

सौरभ 1 मार्च 2019 को नई दिल्ली से जर्मनी के फ्रैंकफर्ट जा रहे थे। उनकी फ्लाइट दिल्ली से इस्तांबुल और इस्तांबुल से फ्रैंकफर्ट के लिए थी। उनकी फ्लाइट दिल्ली से सुबह 6 बजे रवाना होनी थी, लेकिन वो फ्लाइट दिल्ली पहुंची सुबह 7 बजे और 9 बजे यहां से रवाना हुई। उन्हें इस्तांबुल पहुंचने में देरी हो गई, जिससे उनकी फ्रैंकफर्ट की फ्लाइट भी छूट गई। उन्हें 12 घंटे एयरपोर्ट पर इंतजार करना पड़ा, जिसके बाद दूसरी फ्लाइट से वो इस्तांबुल से फ्रैंकफर्ट के लिए रवाना हो सके।

इस दौरान उन्हें खाने-पीने और सोने तक की भी काफी परेशानी हुई। इस्तांबुल एयरपोर्ट पर ऐसे हजारों यात्री थे जिनके साथ ऐसी ही वाकया हुआ। दरअसल इस देरी की वजह थी पाकिस्तान का एयरस्पेस यानि हवाई क्षेत्र का बंद होना, जो 1 मार्च से तीन दिन पहले यानी 26 फरवरी को बंद कर दिया गया था।

पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने का नुकसान

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर आत्मघाती हमले के बाद 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना द्वारा बम बरसाए जाने के बाद पाकिस्तान सिविल एविएशन अथोरिटी ने एक नोटिस टू एयरमेन जारी कर पाकिस्तान का एयरस्पेस पूरी तरह से बंद कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान की आंतरिक उड़ानें भी कुछ समय तक रद्द रहीं।

पाकिस्तानी एयरस्पेस के बंद किए जाने का असर भारत और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों से पश्चिमी देशों में जाने वाली उड़ानों पर पड़ा। भारत और इस दिशा से पश्चिमी देशों को जाने वाले विमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ऊपर से होते हुए आते-जाते थे, लेकिन एयरस्पेस बंद होने के बाद यह रुक गया।


इस दौरान भारत से पश्चिमी देशों में जाने वाले विमान पाकिस्तान के नीचे अरब सागर के ऊपर से उड़ान भर रहे थे। इससे उन्हें बड़ा चक्कर लगाना पड़ रहा था, जिससे हर फ्लाइट की उड़ान का समय 70-80 मिनट तक बढ़ गया था। यही कारण ता जिसकी वजह से सौरभ की इस्तांबुल से फ्रैंकफर्ट की फ्लाइट छूट गई थी।

पाकिस्तान के एयरस्पेस से 11 विमान मार्ग निकलते हैं। इनमें से दो विमान मार्गों का इस्तेमाल पाकिस्तान ने मार्च के आखिर में शुरू कर दिया था, लेकिन इनका इस्तेमाल सिर्फ पाकिस्तान आ-जा रहे विमान कर रहे थे। यहां से होते हुए दूसरे देश जाने वाले विमानों को यहां से निकलने की अनुमति नहीं दी गई थी। अब 16 जुलाई को भारतीय समयानुसार रात 1 बजे जारी एक नोटिस द्वारा पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस पूरी तरह खोल दिया है।

भारत को हुआ भारी नुकसान

पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने का भारत को खासा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। 2 जुलाई तक के जारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीय विमान कंपनियों को सम्मिलित रूप से 550 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नुकसान हुआ। इसका कारण उड़ान में लगने वाला ज्यादा समय और ईंधन है। सबसे ज्यादा नुकसान एयर इंडिया को हुआ है। आंकड़ों के अनुसार 2 जुलाई तक एयर इंडिया को 491 करोड़ का नुकसान हुआ। जबकि इंडिगो को 31 मई तक 25.1 करोड़ रुपये और 20 जून तक स्पाइसजेट को 30.73 करोड़ और गोएयर को 2.1 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

एयरस्पेस बंद होने की वजह से भारत से चलने वाली कई नॉनस्टॉप फ्लाइट्स को ईंधन के लिए दूसरी जगह पर एक स्टॉप लेना पड़ा। इस वजह से फ्लाइट के संचालन खर्च में बढ़ोत्तरी हुई और गंतव्य तक पहुंचने का समय भी बढ़ा। शुरुआत में पाकिस्तान ने एयरस्पेस को पूरी तरह से बंद किया था। इसकी वजह से हजारों पाकिस्तानी यात्री भी दूसरे देशों में फंसे रह गए थे।

हालांकि, पाकिस्तान को भी इस फैसले से भारी नुकसान हुआ है। शुरुआती दिनों में पूरी तरह एयरस्पेस बंद रहने से वहां कोई आंतरिक विमान सेवा ने काम नहीं किया। इससे वहां की विमान कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। साथ ही, इतने समय तक एयरस्पेस बंद रहने के कारण पाकिस्तान को किसी देश का एयरस्पेस इस्तेमाल करने के लिए जो एक निर्धारित फीस होती है, वोभी नहीं मिली। एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च से जून के बीच पाकिस्तान को 688 करोड़ रुपये का नुकसान विमान सेवाओं के प्रभावित होने के चलते हुआ। ऐसे में पाकिस्तान को यात्रियों की परेशानी के अलावा एयरस्पेस का आर्थिक नुकसान भी हुआ।


क्या होता है एयरस्पेस

जब किसी देश की बात की जाती है तो उसकी सीमाओं के अंदर आने वाली जमीन के साथ पानी और आकाश की भी बात होती है। किसी भी देश का अपने जमीनी तट से 12 नॉटिकल मील यानी 22.2 किलोमीटर दूर तक समुद्र पर भी उसी का अधिकार होता है। इसे जलसीमा कहते हैं। किसी भी देश की थल और जलसीमा के ऊपर के आकाशीय हिस्से को एयरस्पेस कहा जाता है।

इस एयरस्पेस पर जमीन और जल की तरह उस देश का अधिकार होता है। इसलिए वह देश तय करता है कि कौन इस एयरस्पेस से गुजर सकता है और कौन नहीं। जमीन से ऊंचाई और उपयोग के आधार पर एयरस्पेस को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है। जैसे नियंत्रित एयरस्पेस, अनियंत्रित एयरस्पेस, विशेष उपयोग के एयरस्पेस और प्रतिबंधित एयरस्पेस।

नियंत्रित एयरस्पेस का मतलब वो हवाई क्षेत्र जिसमें उड़ान भरने वाले विमानों का नियंत्रण एयर ट्रैफिक कंट्रोल द्वारा किया जाता है। इसे ऊंचाई के हिसाब से सबसे ऊपर एयरस्पेस ए, बी, सी, डी और ई में बांटा जाता है। अनियंत्रित एयरस्पेस में उड़ान भर रहे विमानों को एटीसी निर्देश नहीं देता है। इन विमानों के पायलटों को विजुअल फ्लाइट रूल्स यानी दिखाई देने के हिसाब से विमान को नियंत्रित करना होता है। इसे जी एयरस्पेस भी कहते हैं। यह जमीन से कम ऊंचाई पर होता है।

विशेष उपयोग के एयरस्पेस में सेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाले एयरस्पेस समेत अलग-अलग विशेष उपयोग का हवाई क्षेत्र शामिल होता है। प्रतिबंधित एयरस्पेस में कोई विमान उड़ान नहीं भर सकता। ऐसा अक्सर ऐतिहासिक इमारतों और सुरक्षा ठिकानों के ऊपर होता है। भारत में ताजमहल के ऊपर उड़ान भरना प्रतिबंधित है।

कैसे तय होता है हवाई मार्ग

किन्हीं भी दो स्थानों के बीच हवाई मार्ग तय करने के लिए कुछ पैमाने होते हैं। पहला पैमाना दूरी होता है। उड़ान शुरू करने वाले स्थान से उड़ान के गंतव्य स्थान तक सबसे कम हवाई दूरी वाले मार्ग को चुना जाता है। इसके बाद देखा जाता है कि इस मार्ग का मौसम कैसा है, हवा की रफ्तार क्या होगी, आपातकालीन समय में नजदीकी एयरपोर्ट की दूरी कितनी होगी और हवाई क्षेत्र के नीचे पड़ने वाले स्थल या जलीय क्षेत्र में किसी तरह का विवाद तो नहीं है।

इन सभी पैमानों पर खरा उतरने के बाद उड़ान के मार्ग को चुन लिया जाता है। हालांकि हर देश का अपने एयरस्पेस पर विशेषाधिकार होता है। यह उस देश का अधिकार है कि वो किस विमान को अपने एयरस्पेस में दाखिल होने देता है और किस विमान को प्रतिबंधित कर देता है। जैसे भारतीय एयरस्पेस पर भारत सरकार और भारतीय वायुसेना का विशेषाधिकार है। किसी भी विमान को भारत के हवाई क्षेत्र में दाखिल होने के लिए इनसे अनुमति लेनी ही होती है।

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