कोरोना के बीच अंतरिक्ष से धरती पर आ रही ये बड़ी आफत! हिमालय पर्वत से बड़ा है आकार, वैज्ञानिक भी परेशान

धरती के पास से एक बड़ी आफत गुजरने वाली है। जिसमें 24 घंटे से भी कम का समय बचा है।वैज्ञानिकों ने बताया कि इसके बाद एस्टरॉयड 52768 (1998 OR 2) का पृथ्वी की ओर अगला चक्कर 18 मई 2031 के आसपास हो सकता है। उस वक्त यह 1.90 करोड़ किलोमीटर की दूरी से निकल सकता है।

फोटो : सोशल मीडिया 
फोटो : सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस (कोविड-19) संकट का सामना कर रही है। इस बीच खबर आ रही है कि धरती के पास से एक बड़ी आफत गुजरने वाली है। जिसमें 24 घंटे से भी कम का समय बचा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ‘1998 OR2’ नाम का उल्कापिंड बुधवार को धरती के पास से गुजरेगा। अगर इसकी दिशा में थोड़ा सा भी परिवर्तन आता है तो खतरा बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। इस पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों की नजर बनी हुई है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस बात का खुलासा करीब डेढ़ महीने पहले किया था। एजेंसी ने कहा था कि धरती की ओर एक बड़ा एस्टेरॉयड यानी उल्कापिंड तेजी से आ रहा है। बताया जा रहा है कि ये उल्कापिंड आकार में किसी पर्वत के समान है।

धरती से करीब 62.90 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा

उल्कापिंड की गति की बात करें तो यह 31,319 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसका मतलब 8.72 किलोमीटर प्रति सेकेंड। माना जा रहा है कि अगर इतनी तेज गति से ये धरती के किसी हिस्से से टकरा गया तो बड़ी सुनामी तक ला सकता है। इससे जुड़ी कई तस्वीरें भी इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इस घटना से दुनियाभर के लोग चिंता में पड़ गए हैं। इस बीच नासा का कहना है कि इस उल्कापिंड से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह धरती से करीब 62.90 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा। वैसे अंतरिक्ष विज्ञान में इस दूरी को बहुत ज्यादा नहीं माना जाता है, लेकिन कम भी नहीं मानी जाती।


अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का क्या कहना है?

नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ स्टडीज के अनुसार, बुधवार 29 अप्रैल को सुबह 5:56 बजे ईस्टर्न टाइम में उल्कापिंड पृथ्वी के पास से होकर गुजरेगा। इस बारे में एक अंतरिक्ष विज्ञानी का कहना है कि उल्कापिंड 52768 सूरज का एक चक्कर लगाने में 1340 दिन या 3.7 वर्ष लगाता है। इसके बाद उल्कापिंड 52768 (1998 OR 2) का धरती की ओर अगला चक्कर 18 मई, 2031 के आसपास हो सकता है। उस समय यह 1.90 करोड़ किलोमीटर की दूरी से निकल सकता है।

इस मामले में खगोलविद क्या कहते हैं?

खगोलविद के मुताबिक ऐसे उल्कापिंड की हर सौ साल में धरती से टकराने की 50 हजार संभावनाएं होती हैं। लेकिन ये किसी न किसी तरीके से धरती के पास से होकर गुजर जाता है। इस मामले में खगोलविदों का ये भी कहना है कि छोटे उल्कापिंड कुछ मीटर के होते हैं। ये आमौतर पर वायुमंडल में आते ही जल जाते हैं। इससे किसी बड़े नुकसान का कोई खतरा नहीं रहता है।


इस उल्कापिंड को 52768 (1998 OR 2) नाम दिया गया है। इसे सबसे पहले नासा ने साल 1998 में देखा था। इसका व्यास करीब 4 किलोमीटर है। इसका व्यास करीब 4 किलोमीटर का है। यह एस्टेरॉयड 29 अप्रैल की दोपहर 3.26 बजे करीब धरती के पास से गुजरेगा। नासा ने इसे लाइव देखने के लिए अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट भी किया है। इसके साथ ही नासा ने यह भी बताया है कि कोई भी जो इसके बारे में जानकारी चाहता है वह उनके ट्विटर पर उनसे सवाल कर सकता है।

इसे भी पढ़ें- दुनिया को संकट में डालने वाले चीन की बढ़ेगी मुसीबत! ट्रंप बोले- कोरोना महामारी पर ‘ड्रैगन’ से वसूलेंगे भारी हर्जाना

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia