दुनिया की खबरें: आइसलैंड में ज्वालामुखी विस्फोट की आशंका और मलेशिया में गैस पाइप फटा, 100 से अधिक लोग झुलसे
आइसलैंड के मौसम कार्यालय ने कहा कि पूर्व के विस्फोट के समान मंगलवार को लावा प्रवाह के साथ एक तीव्र भूकंप भी आया।

आइसलैंड में ज्वालामुखी विस्फोट की आशंका के चलते मंगलवार को अधिकारियों ने एक कस्बे और ब्लू लैगून स्पा को खाली करा दिया।
राष्ट्रीय प्रसारक ‘आरयूवी’ ने कहा कि ग्रिंडाविक शहर के पास एक ज्वालामुखी से लावा बहना शुरू हो गया है और यहां से करीब 40 घरों को खाली कराया गया है। रेक्जेनेस प्रायद्वीप पर बसे इस समुदाय को एक वर्ष पहले भी वहां से निकाला गया था, जब 800 वर्षों तक निष्क्रिय रहा ज्वालामुखी अचानक सक्रिय हो गया था।
आइसलैंड के मौसम कार्यालय ने कहा कि पूर्व के विस्फोट के समान मंगलवार को लावा प्रवाह के साथ एक तीव्र भूकंप भी आया।
कार्यालय ने कहा, ‘‘अभी तक लावा मैदानी इलाकों में नहीं पहुंचा, लेकिन विस्फोट होने की आशंका है।’’
मलेशिया में गैस पाइप फटने से लगी भीषण आग में 100 से अधिक लोग झुलसे, 49 मकान क्षतिग्रस्त
मलेशिया में कुआलालंपुर के बाहरी इलाके में गैस पाइपलाइन फटने से मंगलवार को लगी भीषण आग में 100 से अधिक लोग घायल हो गए और कई मकानों में भारी नुकसान हुआ।
कुआलालंपुर के बाहर ‘पुत्रा हाइट्स’ में एक गैस स्टेशन के पास लगी आग की लपटें कई किलोमीटर ऊपर तक दिखाई दे रही थीं और कई घंटों तक धधकती रही।
यह घटना सार्वजनिक अवकाश के दिन हुई क्योंकि मलेशिया में बहुसंख्यक मुस्लिम ईद के दूसरे दिन जश्न मनाते हैं।
राष्ट्रीय तेल कंपनी ‘पेट्रोनास’ ने एक बयान में कहा कि उसकी एक गैस पाइपलाइन में सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर आग लगी और प्रभावित पाइपलाइन को बाद में बाकी लाइनों से काट दिया गया। आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने कहा कि वाल्व बंद करने से आग बुझ जाएगी।
मध्य सेलंगोर राज्य के अग्निशमन विभाग ने ‘स्टार’ अखबार को बताया कि 20 मंजिल जितनी ऊंची लपटों वाली आग पर अपराह्न पौने तीन बजे काबू पा लिया गया।
‘बरनामा न्यूज’ एजेंसी ने सेलंगोर के ‘डिप्टी पुलिस चीफ’ मोहम्मद जैनी अबू हसन के हवाले से बताया कि कम से कम 49 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 112 लोग घायल हुए हैं जिनमें से 63 को झुलसने और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि अन्य चोटिल हैं।
सेलंगोर के मुख्यमंत्री अमीरुद्दीन शारी ने बताया कि अग्निशमन विभाग ने सुरक्षा उपाय के तौर पर आस-पास के मकानों से निवासियों को तुरंत बाहर निकाल लिया। उन्होंने कहा कि स्थिति के नियंत्रण में आने तक उन्हें अस्थायी रूप से पास की एक मस्जिद में रखा जाएगा।
आग लगने की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं।
बांग्लादेश : राजनीतिक दलों में टकराव जारी, बीएनपी और जमात के बीच झड़प, कई घायल
बांग्लादेश में दो प्रमुख राजनीतिक दलों - बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात-ए-इस्लामी के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें कई लोग घायल हो गए। संघर्ष के दौरान कुल चार दुकानों में तोड़फोड़ की गई, पांच मोटरसाइकिलों और एक वैन को आग लगा दी गई।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, राजशाही के बाघा उपजिला के बाउसा यूनियन में यह संघर्ष हुआ। इसका कारण कमजोर समूह विकास (वीजीडी) कार्ड वितरित करने में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा था।
स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हिंसा तब शुरू हुई जब बीएनपी की स्टूडेंट विंग, 'छात्र दल' के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर जमात की छात्र शाखा, 'इस्लामी छात्र शिबिर' पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में शिबिर कार्यकर्ताओं ने बाद में बीएनपी कार्यकर्ताओं पर हमला किया।
बांग्लादेश के प्रमुख अखबार 'द डेली स्टार' की रिपोर्ट के अनुसार, इन घटनाओं के बाद बीएनपी समर्थकों ने कथित तौर पर दुकानों में तोड़फोड़ की और जमात समर्थकों के वाहनों को आग लगा दी।
बीएनपी और जमात दोनों ने ही झड़प की शुरुआत के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया।
बाघा उपजिला क्षेत्र के बसुआ यूनियन में वीजीडी कार्ड के कथित दुरुपयोग को लेकर पहले हुए विवाद के बाद दोनों पक्षों के बीच यह झड़प हुई।
हाल ही में पुलिस की मध्यस्थता से दोनों दलों के बीच हुए समझौते के बाद, जमात ने दावा किया कि बीएनपी समर्थकों ने उनके सदस्यों को निशाना बनाया, जिसमें 30 मार्च को एक छात्र नेता की हत्या का प्रयास भी शामिल है।
इसके अलावा, जमात ने अपने कार्यकर्ताओं के घरों और व्यवसायों पर हमलों की रिपोर्ट की। उन्होंने न्याय की मांग की और अधिकारियों से जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने अपील की।
हालांकि, बीएनपी नेता रेजाउल ने जमात के आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया कि उनके छात्र दल के नेता राजीब अहमद इफ्तार के बाद चाय पी रहे थे, तभी शिबिर कार्यकर्ताओं के एक समूह ने उन पर अकारण हमला कर दिया। उन्होंने कहा, "राजीब का फिलहाल राजशाही मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गंभीर हालत में इलाज चल रहा है। अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। राजीब के ठीक होने के बाद हम आगे की कार्रवाई करेंगे।"
बाघा पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी एएफएम असदुज्जमां ने बताया कि जमात ने घटना के संबंध में मामला दर्ज कराया है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है ताकि जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जा सके।
बांग्लादेश में विभिन्न राजनीतिक दलों की बहुचर्चित एकता, जो अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार को सत्ता से बेदखल करने के दौरान पूरी तरह से प्रदर्शित हुई थी, धीरे-धीरे फीकी पड़ती दिख रही है। दो पूर्व सहयोगियों, बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के बीच दरार बढ़ती दिख रही है, और अब वे एक-दूसरे से भिड़ गए हैं।
दक्षिण कोरिया : राष्ट्रपति यून के महाभियोग पर 4 अप्रैल को फैसला सुनाएगा संवैधानिक न्यायालय
दक्षिण कोरियाई संवैधानिक न्यायालय ने कहा कि वह शुक्रवार (4 अप्रैल) सुबह 11 बजे राष्ट्रपति यून सूक योल के महाभियोग पर अपना फैसला सुनाएगा। उम्मीद है कि इस फैसले से दिसंबर में मार्शल लॉ लागू होने के बाद से पैदा हुई राजनीतिक उथल-पुथल समाप्त होने की उम्मीद बढ़ गई है।
अदालत ने मंगलवार को प्रेस को जारी नोटिस में कहा कि फैसला अदालत से सुनाया जाएगा और इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा, साथ ही आम जनता की उपस्थिति की भी अनुमति होगी।
यून के खिलाफ नेशनल असेंबली की ओर से महाभियोग पारित करने के लगभग चार महीने बाद आएगा यह फैसला आ
यून पर मार्शल लॉ लागू करके संविधान का उल्लंघन करने के आरोप में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। अन्य आरोपों में नेशनल असेंबली में सेना भेजने और प्रमुख राजनेताओं की गिरफ्तारी का आदेश देना।
यून ने कोई भी गलत काम करने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि यह आदेश मुख्य विपक्षी दल को विधायी शक्ति के दुरुपयोग के लिए चेतावनी देने के लिए था।
संविधान के तहत, महाभियोग प्रस्ताव को बरकरार रखने के लिए कम से कम छह न्यायाधीशों की सहमति की आवश्यकता होती है। वर्तमान में बेंच पर आठ न्यायाधीश हैं।
योनहाप समाचार एजेंसी के मुताबिक न्यायालय यदि महाभियोग प्रस्ताव को बरकरार रखता है, तो यून को पद से हटा दिया जाएगा। अगर इसे खारिज कर दिया जाता है, तो उन्हें मई 2027 तक अपने शेष कार्यकाल को पूरा करने के लिए बहाल कर दिया जाएगा।
यून की कानूनी टीम ने कहा कि फैसले के लिए अदालत में उनकी उपस्थिति अभी भी अनिश्चित है।
सत्तारूढ़ पीपुल पावर पार्टी और मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी दोनों ने अदालत की घोषणा का स्वागत किया।
बता दें राष्ट्रपति यून ने 03 दिसंबर की रात को दक्षिण कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की, लेकिन संसद द्वारा इसके खिलाफ मतदान किए जाने के बाद इसे निरस्त कर दिया गया। मार्शल लॉ कुछ घंटों के लिए ही लागू रहा लेकिन इसने देश की राजनीति को हिला कर रख दिया।
नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति यून सुक-योल के महाभियोग प्रस्ताव पारित किया। प्रधानमंत्री हान डक-सू ने उनकी जगह ली लेकिन नेशनल असेंबली ने उनके खिलाफ भी महाभियोग पारित कर दिया। इसके बाद उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री चोई सांग-मोक कार्यवाहक राष्ट्रपति और कार्यवाहक प्रधानमंत्री दोनों की जिम्मेदारी संभालने। हालांकि 24 मार्च को संवैधानिक न्यायालय ने प्रधानमंत्री हान डक-सू के महाभियोग को खारिज कर दिया और उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में बहाल कर दिया।
नेपाल : पूर्व राजा पर भड़के पीएम ओली, कहा - दोषी पाए गए तो करना होगा सजा का सामना
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले राजशाही समर्थकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि 28 मार्च की हिंसा में दोषी पाए जाने पर पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को भी नहीं बख्शा जाएगा।
स्थानीय मीडिया के अनुसार सोमवार को प्रतिनिधि सभा की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने एक वीडियो बयान के जरिए शाह पर प्रदर्शनकारियों को भड़काने का आरोप लगाया।
ओली ने कहा कि पूर्व राजा समेत आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों को सजा से छूट नहीं दी जाएगी।
प्रधानमंत्री ने सवाल किया, "क्या सिंहासन वापस पाने की आकांक्षा रखने वालों को विरोध और उसके परिणामों पर अपनी स्थिति सार्वजनिक रूप से नहीं बतानी चाहिए?"
ओली ने संसद में कहा, "उन्हें (पूर्व राजा को) किसी भी तरह से सजा से छूट नहीं दी जाएगी। जो लोग वर्तमान व्यवस्था को उखाड़ फेंकने और राजशाही को दोबारा स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें 28 मार्च की घटनाओं पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। इन भयावह कृत्यों के दोषियों को कड़ी कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा।"
संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के सांसदों को संविधान को खत्म करने से बचने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि वे चार्टर की रक्षा करने के लिए शपथबद्ध हैं।
इस बीच, ओली के भाषण ने संसद में आरपीपी के सांसदों के विरोध को भड़का दिया।
नेपाल के प्रमुख दैनिक 'काठमांडू पोस्ट' की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन ने 2008 में राजशाही के खात्मे के बाद से ही रिपब्लिकन पार्टियों पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद सदन की बैठक में बोलते हुए, आरपीपी नेता लिंगडेन ने चेतावनी दी कि अगर लोग चाहें तो रिपब्लिकन व्यवस्था को पलटा जा सकता है। उन्होंने कहा, "क्या दंगों के लिए केवल प्रदर्शनकारी ही जिम्मेदार थे? क्या स्थिति को नियंत्रण में लेना सरकार का कर्तव्य नहीं था?"
लिंगडेन ने आगे आरोप लगाया कि सुरक्षा बलों ने छतों से एक्सपायर हो चुकी आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिससे तनाव और बढ़ गया। उन्होंने काठमांडू के टिंकुने में हुई घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग की।
इससे पहले, आरपीपी के दो नेताओं - वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवींद्र मिश्रा और महासचिव धवल सुमशेर राणा को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
काठमांडू जिला न्यायालय (केडीसी) ने दोनों नेताओं पर देशद्रोह का आरोप लगाया, जिसने उनकी रिमांड भी मंगलवार तक बढ़ा दी।
द हिमालयन की एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने करीब 100 लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन केवल 42 लोगों को ही अदालत में पेश किया गया और जांच जारी है।
राजधानी काठमांडू के कुछ इलाकों में तनाव बहुत अधिक है, क्योंकि सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं।
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