डेनिस मुक्वेग और नाडिया मुराद को मिला शांति का नोबेल पुरस्कार  

आज ओस्लो में नॉर्वे की कमेटी ओर से शांति पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है। डेनिस मुक्वेगे और नादिया मुराद को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन दोनों का यौन हिंसा को युद्ध के हथियार की तरह इस्तेमाल होने के खिलाफ प्रयास में बड़ा योगदान रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

नोबेल पुरस्कारों में शुक्रवार को शांति के पुरस्कार की घोषणा की गई। ओस्लो में पांच सदस्यों की कमिटी ने डीआर कांगो के डॉक्टर डेनिस मुक्वेगे और आईएस के आतंक का शिकार हुई यजीदी रेप पीड़िता नादिया मुराद को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना है। रेप पीड़िता नादिया मुराद को आईएस के लड़ाकों ने सेक्स स्लेव बनाया था। वहां से जान बचाकर निकलने के बाद से वह इस वक्त पूरी दुनिया में महिलाओं को यौन हिंसा के खिलाफ जागरूक करने का काम कर रही हैं। डेनिस मुक्वेगे पेशे से स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं और वह यौन हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं।

नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रेइस एंडरसन ने यहां नामों की घोषणा करते हुए कहा कि इन दोनों को यौन हिंसा को युद्ध के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के इनके प्रयासों के लिए चुना गया है। दोनों वैश्विक अभिशाप के खिलाफ संघर्ष के उदाहरण हैं। शांति का नोबेल पुरस्कार देने वाली समिति के अनुसार इस बार 216 व्यक्तियों और 115 संगठनों को नामित किया गया था। नामांकित किए व्यक्तियों में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन और पोप फ्रांसिस जैसी शख्सियतों का भी नाम शामिल था।

कौन हैं डेनिस मुक्वेगे:

डेनिस का जन्म 1 मार्च 1955 को पेंटोकोस्टल मंत्री के घर हुआ था। पेशे से गायनोकोलोजिस्ट 9 भाई-बहनों में वह तीसरे नंबर के हैं। उन्होंने बुकावू के पनजी अस्पताल में काफी काम किया है। यहां वह उन महिलाओं का इलाज करते थे जिनके साथ सुरक्षाबलों ने बलात्कार या समूहिक दुष्कर्म किया होता था। दूसरे कांगों युद्ध के बाद उन्होंने ऐसी हजारों पीड़िताओं का इलाज किया है। वह 18 घंटे के दौरान लगभग 10 पीड़िताओं की सर्जरी किया करते थे। द ग्लोब एंड मॉल के अनुसार मुक्वेगे बलात्कार की चोटों को ठीक करने के लिए दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञ हैं।

कौन है नादिया मुराद:

नादिया मुराद बसी ताहा का जन्म इराक के कोजो में 1993 में हुआ था। वह इराक की यजीदी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। उन्हें आईएसआईएस ने अगवा करके तीन सालों तक बंधक बनाकर रखा था। मुराद नादिया अभियान की संस्थापक हैं। यह संस्था उन महिलाओं और बच्चों की मदद करती है जो नरसंहार, सामूहिक अत्याचार और मानव तस्करी के पीड़ित होते हैं। संस्था उन्हें अपनी जिंदगी दोबारा जीने और उन बुरी यादों से उबरने में मदद करती है।

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