पाकिस्तान और अफगानिस्तान तुरंत युद्धविराम पर राजी, दोहा में बनी सहमति के बाद ऐलान

दोनों देशों ने तुरंत युद्धविराम पर सहमति दी और यह भी तय किया कि आने वाले दिनों में और बैठकों के माध्यम से इस युद्धविराम को स्थायी रूप देना होगा।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पाकिस्तान और अफगानिस्तान तत्काल युद्धविराम के लिए राजी हो गए हैं। कतर के विदेश मंत्रालय ने रविवार तड़के इस बात की घोषणा की। तुर्की की मध्यस्थता में बैठक दोहा में आयोजित हुई। इसका मकसद पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा संघर्ष को खत्म करना था जो पिछले करीब एक हफ्ते से चल रहा था, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए।

दोहा में वार्ता और सहमति के मुख्य बिंदु

दोनों देशों ने तुरंत युद्धविराम पर सहमति दी और यह भी तय किया कि आने वाले दिनों में और बैठकों के माध्यम से इस युद्धविराम को स्थायी रूप देना होगा।

बातचीत का नेतृत्व अफगानिस्तान ने अपने रक्षा मंत्री मुल्ला मुहम्मद याकूब से और पाकिस्तान ने अपने रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ से किया।


कब और क्यों दोनों देशों में हुआ संघर्ष?

दोनों देशों में यह संघर्ष उस समय तेज हुआ जब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से उन आतंकवादियों को रोकने की मांग की, जो सीमा पार कर पाकिस्तान में हमले कर रहे थे। इसके बाद सीमा पर जबरदस्त हिंसा शुरू हुई। अफगानिस्तान का कहना था कि पाकिस्तान ने नागरिकों पर हवाई हमले किए जिनमें मौतें हुईं।

दोनों देशों के बीच संघर्ष को 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से सबसे गंभीर टकराव बताया गया।

महत्वपूर्ण घटनाएं और असर

सीमा पर शुक्रवार को एक आत्मघाती हमला हुआ, जिसमें 7 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 13 घायल हुए। इस हमले ने तनाव को और बढ़ा दिया।

इसके तुरंत बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में हवाई ठिकानों पर हमले किए। अफगान किसानों, खिलाड़ियों की मौत हुई और इसकी वजह से अफगान क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान में होने वाली T-20 श्रृंखला से अपना नाम वापस ले लिया।

पाकिस्तान ने इन हमलों में 100 से ज्यादा आतंकवादियों के मारे जाने का दावा किया है, जबकि अफगान पक्ष ने नागरिकों के मारे जाने की बात कही।


क्या होगा आगे?

दोनों देशों ने यह स्पष्ट किया है कि अब वार्ता की प्रक्रिया जारी रहेगी, जिससे सीमा पर स्थिरता लाई जा सके और आतंकवाद-प्रेरित गतिविधियों पर नियंत्रण पाया जा सके। वर्तमान में यह देखना होगा कि यह युद्धविराम कितनी देर तक टिकता है और दोनों पक्ष कितनी सत्य-निष्ठा से अपनी प्रतिबद्धताएं निभाते हैं।

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