खैबर पख्तूनख्वा में बाढ़ से तबाही! 48 घंटे में 300 से ज्यादा मौतें, कई जिलों में आपदा घोषित

पाकिस्तान में महज 48 घंटे में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में 307 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मानसूनी बारिश ने भीषण तबाही मचाई है। महज 48 घंटे में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में 307 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (PDMA) के आंकड़े इस आपदा की भयावहता को दर्शाते हैं।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, अब तक खैबर पख्तूनख्वा में सबसे ज्यादा जनहानि हुई है। इसके अलावा गिलगित-बाल्टिस्तान में 12 और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। शुक्रवार को हुई मूसलाधार बारिश और बादल फटने जैसी घटनाओं ने हालात और भी विकराल बना दिए। अकेले एक दिन में 200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। दुखद यह रहा कि मोहमंद जिले में राहत और बचाव अभियान के दौरान एक प्रांतीय सरकारी हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें चालक दल के पांच सदस्य मारे गए।

सबसे ज्यादा प्रभावित जिले

  • पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 48 घंटों में मौतों का आंकड़ा 184 तक पहुंच गया है।

  • बुनेर जिला सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है।

  • शांगला में 36, मनसेहरा में 23, स्वात में 22, बाजौर में 21, बट्टाग्राम में 15, निचले दीर में 5 और एबटाबाद में एक बच्चे की डूबने से मौत हुई है।

  • बाढ़ के कारण अब तक 11 घर पूरी तरह ध्वस्त और 63 घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। वहीं स्वात और शांगला जिलों के कई सरकारी स्कूल भी जलप्रलय की चपेट में आए हैं।

लापता और घायल लोगों की संख्या बढ़ी

बुनेर के डिप्टी कमिश्नर काशिफ कयूम खान के मुताबिक, चगरजई तहसील में कम से कम 30 लोग लापता बताए जा रहे हैं, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। लगातार चल रही बारिश और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बीच बचाव दल का तलाशी अभियान जारी है।

सरकार और राहत अभियान

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने बुनेर, बाजौर, स्वात, शांगला, मनसेहरा और बट्टाग्राम जैसे पहाड़ी जिलों को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है। PDMA के अनुसार, करीब 2,000 से ज्यादा बचावकर्मी राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं। लेकिन लगातार बारिश, भूस्खलन और सड़कों के कट जाने से भारी मशीनरी और एम्बुलेंस प्रभावित इलाकों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे राहत कार्य में बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

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