पाकिस्तान: 3 महीने में चुनाव कराने के इमरान के मंसूबों पर फिरा पानी! इन चुनौतियों के आगे चुनाव आयोग ने खड़े किए हाथ

पाकिस्तान के चुनाव आयोग का कहना है कि तीन महीने में नए सिरे से आम चुनाव कराना संभव नहीं है। वहीं, इमरान खान विपक्ष पर तंज कसते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहा और वो सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पाकिस्तान में सियासी ड्रामा जारी है। इमरान खान द्वारा पाकिस्तानी संसद को भंग करने की सलाह और फिर राष्ट्रपति द्वारा इसे भंग करने के बाद से देश में राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। उधर, पाकिस्तान में तीन महीने के भीतर चुनाव कराने के इमरान खान के मंसूबे पर पानी फिरता नजर आ रहा है। पाकिस्तान के चुनाव आयोग का कहना है कि तीन महीने में नए सिरे से आम चुनाव कराना संभव नहीं है। वहीं, इमरान खान विपक्ष पर तंज कसते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहा और वो सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।

चुनाव कराने के लिए चुनौती नंबर 1:

पाकिस्ताने के अखबार 'डॉन’ ने चुनाव आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से खबर दी है कि पाकिस्तान में दोबारा चुनाव कराने के लिए कम से कम 6 महीने का समय लगेगा। अधिकार ने बताया कि नए सिरे से निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना है। खासतौर से खैबर-पख्तूनख्वा में, जहां सीटों के संख्या बढ़ाई गई है। अधिकारी ने बताया कि यहां इलेक्टोरल रोल तैयार करना बड़ी चुनौती है। अधिकारी ने कहा कि परिसीमन एक लंबी प्रक्रिया है। एक महीना तो सिर्फ आपत्तियों के लिए चाहिए और उसके बाद एक महीना उन आपत्तियों को ठीक करने में लगेगा। अधिकारी के मुताबिक, तीन महीने का समय तो सिर्फ परिसीमन में ही लग जाएगा।


चुनाव कराने के लिए चुनौती नंबर 2:

चुनाव अधिकारी ने बताया कि अ चुनाव सामग्री की खरीद, बैलट पेपर की व्यवस्था और चुनाव कर्मियों की नियुक्ति और ट्रेनिंग भी बड़ी चुनौतियों में से एक है। अधिकारी के मुताबिक, कानूनन वॉटर मार्क वाले बैलट पेपर का इस्तेमाल ही हो सकता है। बैलट पेपर को बाहर से इम्पोर्ट किया जाता है। अधिकारी ने कहा कि बिडिंग में भी समय लगेगा। करीब 1 लाख पोलिंग स्टेशन के लिए 20 लाख स्टांप पैड की जरूरत होगी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा कैंची और बॉल पॉइंट भी खरीदना पड़ेगा।

संवैधानिक चुनौतियां:

चुनाव अधिकारी ने बताया कि इलेक्शन एक्ट की धारा 14 के तहत चुनाव आयोग को 4 महीने पहले चुनाव तारीखों का ऐलान करना जरूरी है। इसके अलावा पंजाब और खैबर पख्तूनख्वाह में चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि संविधान में आयोग के सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करती है। गौर करने वाली बात यह है कि केयरटेकर प्रधानमंत्री को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।

अगर तीन महीने में चुनाव कराए जाते हैं तो इलेक्शन एक्ट की धारा 39 के प्रावधान के मुताबिक, चुनाव तारीख से एक महीने पहले इलेक्टोरल रोल को फ्रीज करना होगा। ऐसा होता है तो कई सारे वोटर्स इस लिस्ट में शामिल नहीं हो पाएंगे।

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Published: 05 Apr 2022, 1:27 PM