राष्ट्रपति ट्रंप ने पहलगाम हमले पर दिया बड़ा संदेश, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी जवाबदेही तय करने पर दिया जोर
पहलगाम हमले को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान सामने आया है, उधर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इस आतंकी हमले की निंदा की और जवाबदेही तय करने पर दिया जोर।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर चल रहे तनाव में अमेरिका की किसी भूमिका से इनकार कर दिया। यह बयान पहलगाम आतंकी हमले के बाद आया है। ट्रंप ने कहा कि दोनों देश इस मसले को "किसी न किसी तरह सुलझा लेंगे।" ट्रंप पहले अपने कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं, लेकिन शुक्रवार को जब उनसे रोम जाते समय पत्रकारों ने पूछा कि क्या वे इस मुद्दे पर चिंतित हैं और क्या वे दोनों देशों के नेताओं से बात करेंगे, तो उन्होंने इस बार मध्यस्थता की पेशकश नहीं की। रोम में वे पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे।
ट्रंप ने मजाकिया अंदाज में कहा कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव "1500 साल से चल रहा है।" हालांकि, यह ऐतिहासिक रूप से अतिशयोक्ति है। उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है कि दोनों नेता इसे सुलझा लेंगे। मैं दोनों को जानता हूं।" भारत हमेशा से अपनी सीमा विवादों में बाहरी मध्यस्थता के खिलाफ रहा है, चाहे वह पाकिस्तान के साथ हो या चीन के साथ। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने कई बार मध्यस्थता की मांग की है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस बार पाकिस्तान ने कोई हस्तक्षेप मांगा है। ट्रंप की पहली पेशकश तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के सार्वजनिक अनुरोध के बाद आई थी, लेकिन भारत ने इसे ठुकरा दिया था।
ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में भी भारत-चीन सीमा विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की थी, तब भी भारत ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। इस बार ट्रंप ने मध्यस्थता की कोई इच्छा नहीं दिखाई, लेकिन उन्होंने और उनके अधिकारियों ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समर्थन की पेशकश की। हमले के कुछ घंटों बाद ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर संवेदना और समर्थन व्यक्त किया। व्हाइट हाउस ने भी तुरंत इस हमले पर बयान जारी किया। अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने भी शुक्रवार को अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, "हम इस जघन्य हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को पकड़ने में आपका समर्थन करते हैं।"
उधर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। परिषद के सदस्यों ने आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले आयोजकों, आरोपियों और वित्तपोषकों की जवाबदेही तय करने की बात कही है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोगों को गोलियों से भून दिया गया था। 15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को जारी अपने एक प्रेस वक्तव्य में दोहराया कि आतंकवाद अपने सभी रूपों व अभिव्यक्तियों में, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। सदस्य देशों ने इस हमले के पीड़ित परिजनों, भारत और नेपाल सरकार के साथ गहरी सहानुभूति और संवेदना प्रकट की है। उन्होंने घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना की है।
सुरक्षा परिषद ने सभी सदस्य देशों से अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अनुरूप तयशुदा दायित्वों को निभाने का आग्रह किया है। साथ ही, सभी प्रशासनिक एजेंसियों (प्रासंगिक) के साथ सक्रिय रूप से सहयोग किए जाने पर बल दिया है। परिषद ने ध्यान दिलाया कि कोई भी आतंकी कृत्य आपराधिक है और इसे न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता, चाहे उसे किसी ने कहीं भी, किसी भी मंशा से अंजाम दिया हो। काउंसिल ने कहा कि आतंकवादी हमलों से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए पनपते खतरों से सभी देशों को निपटने की आवश्यकता है। साथ ही कहा कि यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानूनों, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों, अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी कानूनों, और मानवतावादी कानूनों के अनुरूप की जानी चाहिए।
इससे पहले, यूएन प्रवक्ता स्टीफन दुजैरिक ने गुरुवार को न्यूयॉर्क मुख्यालय में एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा की है, जिसमें बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे गए। महासचिव गुटेरस ने ध्यान दिलाया कि आम नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए हमलों को किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि यूएन प्रमुख का सीधे तौर पर दोनों देशों के साथ फिलहाल कोई संपर्क नहीं हुआ है, मगर वह मौजूदा हालात से चिंतित हैं और घटनाक्रम पर करीबी नजर रखे हुए हैं। यूएन प्रमुख के प्रवक्ता ने भारत और पाकिस्तान से अधिकतम संयम बरतने और यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि हालात और नहीं बिगड़ें।
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