काठमांडू में सड़क पर प्रदर्शनकारी, अब तक 19 की मौत, 250 से ज्यादा घायल, जानें नेपाल में क्यों मचा बवाल?
हिंसक विरोध प्रदर्शन में कम से कम 19 लोग मारे गए। 17 काठमांडू में और इतहरी में दो लोगों की जान गई है।

नेपाल की राजधानी काठमांडू में एक बार फिर प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर गए हैं। सोमवार को 'Gen Z विरोध' में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। यह संघर्ष सरकार द्वारा लगे सोशल मीडिया प्रतिबंध और व्यापक भ्रष्टाचार के खिलाफ है।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "कल कई छात्र मारे गए और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को देश छोड़ देना चाहिए। छात्रों को अपनी आवाज उठाते रहना चाहिए।"
नेपाल सेना के रिटायर्ड कर्नल, माधव सुंदर खड़्गा ने कहा, "मैं भी पिछले 6 महीने से भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े अभियान पर काम कर रहा था। मेरा बेटा भी कल मेरे साथ था। मैं अपने घर के पास था। मैंने उसे तीन बार फोन किया, लेकिन उसने कॉल रिसीव नहीं किया। शाम 4 बजे के बाद उसका फोन स्विच ऑफ हो गया। फिर मैं यहां आया। मैं पुलिस के पास आया, लेकिन उन्होंने मुझे मारा। मैं चाहता हूं कि राष्ट्रपति इस सरकार को भंग करें।"
क्यों हो रहा है प्रदर्शन?
4 सितंबर को नेपाल सरकार ने फेसबुक, X, यूड्यूब समेत 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बंद कर दिया, क्योंकि वे सरकार में पंजीकरण और स्थानीय प्रतिनिधि नियुक्त नहीं कर रहे थे। सोशल मीडिया पर बैन लगाना मकसद गलत सूचना, फेक आईडी और घृणा भड़काने वाले कंटेंट को रोकना बताया गया।
सरकार के इस कदम ने विशेषकर युवा वर्ग, यानी ‘Gen Z’ के बीच गहरी नाराजगी पैदा कर दी। कई युवा इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बता रहे हैं।
कब क्या हुआ?
8 सितंबर सुबह माइतीघर मंडला और संसद भवन के आसपास विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। बहुत से प्रदर्शनकारी स्कूल या कॉलेज की वर्दी में थे।
प्रदर्शनकारी संसद परिसर की बैरिकेड तोड़कर घुसने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने टियर गैस, वाटर कैनन, रबर बुलेट और गोलियां चलाई। सुरक्षा बलों ने प्रमुख क्षेत्रों में कर्फ्यू भी लगाया गया।
मृतकों और घायलों का आंकड़ा
हिंसक विरोध प्रदर्शन में कम से कम 19 लोग मारे गए। 17 काठमांडू में और इतहरी में दो लोगों की जान गई है।
घायलों की संख्या 250 से ज्यादा बताई जा रही है।
घायलों में कई लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। अस्पताल में इलाजा जारी है।
प्रदर्शन पर सरकार की प्रतिक्रिया
गृह मंत्री रमेश लेखक ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है।
प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने हिंसा पर दुख व्यक्त किया है, और पीड़ितों को मुआवजा और घायलों को मुफ्त इलाज देने की घोषणा की गई है।
15 दिनों में जांच समिति गठित कर, हिंसा की वजहों और भविष्य में रोकथाम के लिए रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia