प्रवासी पंजाबी किसानों के लिए कर रहे आवाज बुलंद, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी विरोध प्रदर्शन

दुनियाभर के पंजाबी प्रवासियों की आवाज भारत में प्रदर्शनकारी किसानों की गरिमा और अधिकारों के लिए दिन-पर-दिन तेज होती जा रही है। सैकड़ों सिख ध्यान आकर्षित करने और अपने सिख भाइयों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए पुरजोर तरीके से आवाज बुलंद कर रहे हैं।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

दुनियाभर के पंजाबी प्रवासियों की आवाज भारत में प्रदर्शनकारी किसानों की गरिमा और अधिकारों के लिए दिन-पर-दिन तेज होती जा रही है। सैकड़ों सिख ध्यान आकर्षित करने और अपने सिख भाइयों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में विरोध प्रदर्शन के पुरजोर तरीके से आवाज बुलंद कर रहे हैं।

हालिया विरोध ऑस्ट्रेलिया-भारत टेस्ट मैच के दौरान एडिलेड ओवल के बाहर हुआ था, जहां प्रदर्शनकारियों ने 'हम किसानों के साथ खड़े हैं' लिखी तख्तियां थाम रखी थीं और भारत सरकार से किसानों की चिंताओं को सुनने की मांग की थी। ऑस्ट्रेलियाई सांसद रॉब मिशेल और रसेल वोर्टली उनमें से हैं, जिन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों पर चिंता व्यक्त की है।

भारत में यकीनन हाल के इतिहास में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है। हजारों किसान, जिनमें से बड़े पैमाने पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं, कड़ाके की ठंड में रातें बिता रहे हैं। किसान मोदी सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपनी आजीविका प्रभावित होने का डर है।

सबसे मुखर पंजाबी सांसदों में से एक ब्रिटिश लेबर सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी हैं, जिन्होंने किसानों को 'अलगाववादियों या आतंकवादियों' के रूप में पेश कर गलत जानकारी फैलाने के लिए मीडिया की आलोचना की।


ढेसी ने ट्वीट कर कहा है, "मीडिया के कुछ लोगों ने शांतिपूर्ण किसानों, या उनके लिए बोलने वालों को अलगाववादियों या आतंकवादियों के रूप में पेश कर गलत जानकारी फैलाना शुरू कर दिया है। आप अपने राष्ट्र और पेशे को नुकसान पहुंचा रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा था कि "आपकी गाली और धमकी मुझे सच बोलने से रोक नहीं पाएगी।"

किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए, कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के क्रूर होने की खबरें बहुत परेशान करने वाली थीं।

उन्होंने ट्वीट कर कहा, "मेरे कई कन्स्टिचुएन्ट के वहां परिवार हैं और अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। स्वस्थ लोकतंत्र शांतिपूर्ण विरोध की अनुमति देता है। मैं इसमें शामिल लोगों से मौलिक अधिकार को बनाए रखने का आग्रह करता हूं।"

कनाडा के न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने ट्वीट किया, "शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ भारत सरकार द्वारा की जा रही हिंसा भयावह है। मैं पंजाब और पूरे भारत के किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करता हूं और उम्मीद करता हूं कि भारत सरकार हिंसा के बजाय शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत करेगी।" उन्होंने सेंट जॉन्स ईस्ट के सांसद जैक हैरिस को समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया।

हैरिस ने कहा, "हम भारत सरकार द्वारा नए कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के दमन को देखकर स्तब्ध हैं। पानी की बौछारों और आंसूगैस का इस्तेमाल करने के बजाय भारत सरकार को किसानों के साथ खुली बातचीत करने की जरूरत है।"


कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन टड्रो ने भी भारतीय किसानों को समर्थन दिया था, जिस पर भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। ब्रिटिश सांसद प्रीत कौर गिल ने कहा, "दिल्ली से चौंकाने वाले दृश्य।"

पिछले सप्ताह एक संयुक्त बयान में 170,000 से अधिक ब्रिटिश सिख संगठनों, गुरुद्वारों और मानवाधिकार समूहों ने भारत सरकार से कृषि संकट के मानवीय प्रभाव पर विचार करने और प्रदर्शनकारियों के प्रति दयालुता दिखाने का आग्रह किया, जिनमें से कई बुजुर्ग हैं।

किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली और मंडियों को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे, जिससे वे बड़े कॉर्पोरेट संस्थानों की दया पर निर्भर हो जाएंगे।

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