राहुल का मोदी पर निशाना : ‘पहले रोजगार दे दो, फिर देना विजन’

राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर एक देश अपने युवाओं को रोजगार नहीं दे पाता है तो वो उसे कोई विजन भी नहीं दे सकता है।

प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में छात्रों के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में छात्रों के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
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नवजीवन डेस्क

राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि सत्ता का भयंकर केंद्रीकरण और पारदर्शिता की कमी आज भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार युवाओं को रोजगार तो दे नहीं पा रही, उन्हें विजन क्या देगी।

अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में छात्रों से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा कि बेरोजगारी भारत के विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। बर्कले के बाद यहां भी राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर एक देश अपने युवाओं को रोजगार नहीं दे पाता है तो वह उसे कोई विजन भी नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा कि, “हम संसद में बैठते हैं, चर्चा करते हैं, लेकिन कानून नहीं बनाते।” उन्होंने कहा कि “ कानून अफसरशाह और मंत्री बना रहे हैं, संसद की राय नहीं ली जा रही।”

राहुल गांधी ने कहा कि पहले सांसद चर्चा करते थे और कानून बनाते थे। आज चर्चा का स्तर बहुत नीचे गिर गया है। उन्होंने कहा कि, “ वे लोकसभा और विधानसभाओं का रूप बदलने की कोशिश करेंगे, ताकि सांसद-विधायक इन सारी प्रक्रियाओं में शामिल हों।” उन्होंने सुझाव दिया कि कानून बनाने जैसी प्रक्रियाओं में विशेषज्ञों और छात्रों जैसे संसद के बाहर के लोगों को शामिल किया जाए तो जन कल्याण के कानून बनाना बेहतर होगा।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार युवाओं को रोजगार देने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है और शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि रोजाना करीब 30,000 युवा नौकरी की तलाश में सामने आते हैं, लेकिन बमुश्किल 450 युवाओं को रोजगार मिल पा रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेक इन इंडिया प्रोग्राम का फोकस सिर्फ बड़े बिजनेस पर है, लेकिन इसकी बजाय छोटे और मझोले कारोबार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

राहुल गांधी ने कहा कि भारत में ध्रुवीकरण की राजनीति एक बड़ी चुनौती है। राहुल गांधी ने कहा कि चीन और हमारे रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन यह तय है कि भारत और चीन ही आने वाले समय में तय करेंगे कि बुनियादी तौर पर दुनिया किस तरह की होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया को लेकर चीन का नजरिया एक खास तरह का है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भारत के पास भी ऐसा ही कोई नजरिया है? हमारे और उनके बीच कितना सहयोग होने जा रहा है? ये कुछ मूल सवाल हैं? लेकिन, एक बात सबको पता है कि चीन बड़ी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भारत और अमेरिका के बीच परस्पर तालमेल काफी मजबूत है।

उन्होंने कहा कि इस समय दो बड़े बदलाव का दौर चल रहा है। एक पूरी तरह मुक्त और स्वतंत्र है और दूसरे पर केंद्रीय नियंत्रण। चीन और भारत में खेतों से लेकर आधुनिक शहरों तक, बहुत तेजी से बदलाव का दौर चल रहा है। ये दोनों देश दुनिया की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा हैं।

उन्होंने कहा, “ ये दोनों देश मूल रूप से दुनिया को नया आकार देने जा रहे हैं। मुझे यह नहीं कहना कि चीन लोकतांत्रिक है या नहीं। उन्होंने अपना रास्ता चुना है और हमने अपना। दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा है। हमें यह देखना है कि कैसे हम रोजगार लाएं? असल में हमें चीन से मुकाबला करना है।” उन्होंने कहा कि भारत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन वन बेल्ट, वन रोड (ओबीओआर) के जरिए अपना रास्ता बना रहा है। चीन की दुनिया की तरफ एक खास दूरदृष्टि है।

राहुल गांधी ने कहा कि रोजगार पैदा करने और शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिका और भारत के बीच सहयोग के लिए बहुत संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि दोनों देशों के बीच गहरा तालमेल है। ऐतिहासिक रूप से भारत ने संबंधों में संतुलन बनाए रखा है। भारत के चीन और रुस से भी संबंध रहे हैं। उसके अमेरिका और दोनों देशों से संबंध रहे हैं। राहुल ने कहा, 'मेरे लिए अमेरिका के साथ कूटनीतिक संबंध महत्वपूर्ण हैं।'

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Published: 20 Sep 2017, 11:47 AM