रानिल विक्रमसिंघे चुने गए श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, शुरू हो सकता है प्रदर्शनों का नया सिलसिला

विक्रमसिंघे को 134, जबकि राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना के कोषाध्यक्ष दुलास अलहप्परुमा को 82 और मार्क्‍सवादी पार्टी के नेता अनुरु कुमारा दिसानायके को 3 वोट मिले। स्पीकर अभयवर्धने और दो सांसदों ने वोट नहीं दिए जबकि चार वोट अवैध घोषित हो गए।

फोटोः GettyImages
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नवजीवन डेस्क

गंभीर संकट से गुजर रहे श्रीलंका के छह बार प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे आज हुए चुनाव में देश के 8वें राष्ट्रपति चुने गए। विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले, जबकि राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना के कोषाध्यक्ष दुलास अलहप्परुमा को 82 और मार्क्‍सवादी पार्टी के नेता अनुरु कुमारा दिसानायके को 3 वोट मिले। स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने और दो सांसदों ने वोट नहीं दिए जबकि चार वोटों को अवैध घोषित कर दिया गया।

फिर शुरू हो सकता है देशव्यापी प्रदर्शन

हालांकि, राष्ट्रपति के तौर पर विक्रमसिंघे का चुनाव उन प्रदर्शनकारियों को फिर से प्रदर्शन करने पर मजबूर कर सकता है जो प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि विक्रमसिंघे भी राजपक्षे के प्रतिनिधि हैं।


जन विरोध के बाद प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को देना पड़ा इस्तीफा

बिना ईंधन, भोजन और दवा के बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लोग 31 मार्च से सड़कों पर उतर आए और उन्होंने राजपक्षे को सत्ता से बेदखल करने के लिए लगातार विरोध किया। जिसके चलते 9 मई को हिंसक विरोध के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपने मंत्रिमंडल के साथ इस्तीफा दे दिया, जबकि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे 9 जुलाई को अपने आधिकारिक आवास और कार्यालय पर कब्जा किए जाने पर देश से बाहर निकल गए। बाद में, राजपक्षे देश छोड़कर मालदीव और फिर सिंगापुर चले गए, जहां से उन्होंने अपना कार्यकाल समाप्त होने से दो साल पहले अपने इस्तीफे की घोषणा की।

अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं श्रीलंकाई

राजपक्षे के देश छोड़कर भागने पर पैदा हुए संकट के बीच 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद द्वारा एक नया राष्ट्रपति चुने जाने तक विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया था। देश के 22 मिलियन लोग बढ़ते कर्ज, आसमान छूती महंगाई के साथ अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।

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