Russia-Ukraine War: यूक्रेन संकट से 70 लाख से अधिक लोग हो सकते हैं विस्थापित, आफत में पड़ी लोगों की जान

रूस के हमले के कारण यूक्रेन के करीब 70 लाख लोगों पर विस्थापन का खतरा मंडराने लगा है। यूक्रेन पर हमले का सोमवार को पांचवां दिन है. हजारों लोग यूक्रेन की सीमा पार कर पोलैंड में दाखिल हो रहे हैं।

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डॉयचे वेले

यूरोपीय संघ के संकट प्रबंधन आयुक्त ने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई 70 लाख से अधिक लोगों को विस्थापित कर सकती है। यूक्रेन से आते शरणार्थियों पर केंद्रित यूरोपीय संघ आंतरिक मंत्रियों की बैठक के बाद यानेज लेनार्सिच ने पत्रकारों से कहा, "हम कई वर्षों में यूरोपीय महाद्वीप पर सबसे बड़ा मानवीय संकट देख रहे हैं।"

उन्होंने कहा, "वर्तमान में विस्थापित यूक्रेनी नागरिकों की अपेक्षित संख्या 70 लाख से अधिक है।" साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि वह संयुक्त राष्ट्र से हासिल केवल "मोटा अनुमान" दे रहे हैं क्योंकि लड़ाई ने सटीक गिनती को थाम दिया है।

यूरोपीय आयोग के एक अधिकारी ने बाद में स्पष्ट किया कि लेनार्सिक संयुक्त राष्ट्र की सूचना के आधार पर "हमला जारी रहने की स्थिति में अनुमान" दे रहे थे।

लेनार्सिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक युद्ध जारी रहा तो "लगभग 1.8 करोड़ यूक्रेनियन होंगे जो मानवीय दृष्टि से प्रभावित होंगे, चाहे वे यूक्रेन में उचित तरह से हो या पड़ोसी देशों में।"

लेनार्सिक ने कहा कि "आंकड़े बड़े हैं और हमें इस तरह के आपातकाल के लिए तैयार रहना होगा।" शनिवार देर रात जारी संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) की ताजा स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक, "कथित तौर पर 1,60,000 से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं।"

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यूएनएचसीआर के अनुमानों के आधार पर ओसीएचए ने कहा, "1,16,000 से अधिक लोगों को मजबूरी में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार पड़ोसी यूरोपीय देशों में भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है।" स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेनी सरकार का अनुमान है कि "सबसे खराब स्थिति में 50 लाख शरणार्थी हो सकते हैं।" यूक्रेन से निकले लोगों ने पोलैंड, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाकिया में शरण ली है।

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संयुक्त राष्ट्र की सहायता एजेंसियों का कहना है कि इस जंग की वजह से 50 लाख लोग देश के बाहर जाएंगे. इनमें से केवल पोलैंड में ही करीब 30 लाख लोगों के पहुंचने की आशंका है। एजेंसियों का कहना है कि यूक्रेन के कुछ हिस्सों में ईंधन, नगदी और दवाइयों की कमी हो रही है।

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